तिनका-तिनका अवार्ड्स

लखनऊ की जेल में आठ दिसंबर को दिया जाएगा ‘तिनका-तिनका’ इंडिया अवॉर्ड

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नई दिल्ली। कहते हैं हुनर की न तो कोई न सीमा होती है और न उसे छुपाया जा सकता है। इसी हुनर को सलाखों से बाहर लाने और जेल में बंद कैदियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए तिनका-तिनका इंडिया यह कार्य कर रहा है। बता दें कि हर बार की तरह इस साल भी जेल में बंद कैदियों के लिए रचनात्मक प्रयोगिताओं का आयोजन किया गया। जेल में बंद जो कैदी विजेता बने उन्हें पुरस्कार दिया गया। ये लगातार पांचवां साल है, जब कैदियों को पुरस्कार दिए गए हैं।

तिनका-तिनका अवार्ड्स की हैं तीन श्रेणियां

तिनका-तिनका अवार्ड्स की तीन श्रेणियां हैं। पहला पेटिंग, विशेष प्रतिभा और जेल प्रशासकों के लिए पुरस्कार। ये सभी पुरस्कार विजेताओं को मानवाधिकार दिवस पर दिए गए।

जानें क्या थी पेटिंग की थीम?

इस साल पेंटिंग की थीम थी- जेल में रेडियो। बंदियों को इस विषय पर पेंटिंग और स्केच बनाने के लिए कहा गया। इस थीम का उद्देश्य था- बंदियों की संचार की जरूरतों के प्रति जागरूकता लाना है। इस प्रक्रिया में तिनका-तिनका ने आगरा जिला जेल में रेडियो की शुरुआत की है। यह भारत की सबसे पुरानी जेल है। यह तिनका तिनका प्रिज़न रिफॉर्म्स का मॉडल है, जो अगले कुछ महीनों में आकार ले लेगा।

बता दें कि इस साल पेंटिंग श्रेणी में बंदियों के कुल 144 नामांकन आए है। इस वर्ष अधिकतम नामांकन बिलासपुर, छत्तीसगढ़ से आए, जहां से 44 कैदियों को पेंटिंग श्रेणी के लिए नामित किया गया है। वहीं उत्तर प्रदेश से इसी श्रेणी में कुल 35 नामांकन आए हैं। पेंटिंग की श्रेणी में सबसे कम उम्र के बंदियों में उत्तर प्रदेश की बांदा जेल से धीरज कोरी और छत्तीसगढ़ की बिलासपुर जेल से शीतला हैं। दोनों की उम्र 18 वर्ष है। इस श्रेणी में सबसे उम्रदराज़ बंदी बिलासपुर जेल से 75 वर्ष की आयु के साथ भेशलाल हैं। चलने में असमर्थ होने के बावजूद भेषलाल ने 2018 में ‘जेल में ज़िंदगी थीम’ पर पेंटिंग बनाई थी। इस पेंटिंग को पेंटिंग श्रेणी में प्रथम पुरस्कार मिला था। तिनका-तिनका के अनुरोध के बाद बिलासपुर जेल के तत्कालीन अधीक्षक एस.एस. तिग्गा ने जेल में एक पेंटिंग स्टूडियो बनवाया, जिसमें कैदियों को उनके रचनात्मक कौशल को अभिव्यक्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

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विशेष प्रतिभा श्रेणी में 19 बंदियों के नामांकन प्राप्त हुए

विशेष प्रतिभा श्रेणी में 19 बंदियों के नामांकन प्राप्त हुए है। यह पुरस्कार उन बंदियों को दिया जाता है, जिन्होंने जेल के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव लाने का प्रयास किया है। इस श्रेणी में सबसे कम उम्र के प्रतिभागी चंडीगढ़ की जेल के 22 वर्षीय राहुल हैं। वह जेल के वेल्डिंग सेक्शन में काम करते हैं। इसी श्रेणी में चंडीगढ़ की ही जेल से सबसे उम्रदराज बंदी प्रिया स्वामी हैं और उनकी उम्र 64 वर्ष है। वह जेल के पॉलिश सेक्शन में काम करते हैं।

28 जेल कर्मचारियों ने अपने संबंधित राज्य मुख्यालय के माध्यम से तिनका-तिनका पुरस्कार 2019 के लिए आवेदन किया

इस साल 28 जेल कर्मचारियों ने अपने संबंधित राज्य मुख्यालय के माध्यम से तिनका-तिनका पुरस्कार 2019 के लिए आवेदन किया था। यह श्रेणी उन जेल कर्मियों के योगदान को सम्मान देती है जो ड्यूटी के अपने नियमित काम से आगे बढ़कर जेल सुधार में अपना योगदान देते हैं। इस साल निर्णायक मंडल में जावेद अहमद (IPS, महानिदेशक, एनआईसीएफएस), राम फल यादव (IPS, महानिदेशक, नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) और वर्तिका नन्दा संस्थापक, तिनका-तिनका रहे।

भारत की जानी-मानी जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने तिनका-तिनका अवार्ड्स की परिकल्पना की

भारत की जानी-मानी जेल सुधारक वर्तिका नन्दा ने तिनका-तिनका अवार्ड्स की परिकल्पना की है। उन्होंने ने बताया कि हर साल तिनका तिनका इंडिया अवॉर्ड्स चयनित बंदियों और जेल कर्मचारियों की उपस्थिति में देश की किसी जेल में जारी किए जाते हैं। वर्तिका नन्दा ने ने बताया कि यह पुरस्कारों का पांचवा साल है। 2018 में यह समारोह जयपुर की केंद्रीय जेल और 2017 में तिहाड़ जेल दिल्ली में हुआ था। इस साल यह समारोह लखनऊ की जिला जेल में 8 दिसंबर, 2019 को होगा। पुरस्कारों को महानिदेशक, कारागार, उत्तर प्रदेश आनन्द कुमार, सुलखान सिंह, पूर्व पुलिस महानिदेशक, उतर प्रदेश और वर्तिका नन्दा, संस्थापक, तिनका-तिनका देंगे।

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