बेवाक पत्रकारिता

इस बहादुर पत्रकार की बेवाक पत्रकारिता से प्रधानमंत्री सत्ता से हुए बेदखल

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नई दिल्ली। इटली के नीचे भूमध्यसागर में एक छोटा सा देश माल्टा के एक जर्नलिस्ट की पत्रकारिता से वहां की सरकार इतनी डर गई थी कि उसकी हत्या करा दी, लेकिन हत्या के बावजूद जर्नलिस्ट ने जो सच्चाई सामने रखी थी। उसने जर्नलिस्ट की मौत के बाद अपना असर दिखाना नहीं छोड़ा है। धीरे-धीरे लोगों को यह भी पता चल गया कि जर्नलिस्ट की मौत का कारण भी उसकी निडर पत्रकारिता बनी है।  अंतत: उस देश के प्रधानमंत्री को हत्याकांड में शामिल होने के शक में इस्तीफा देना पड़ा। फिल्मी लगने वाली यह सच्ची कहानी जर्नलिस्ट डैफनी कैरुआना गलीज़िया की है।

रात में न करें ग्रीन टी का सेवन, इसके ये हैं बड़े नुकसान

आगामी आठ मार्च को मनाए जाने वाले वुमेंस डे से पहले हम ऐसी ही कहानी आपके लिए लेकर आए हैं, जो पिछले दिनों में खबरों में छाई रहीं और दुनिया में बदलाव लाने में उनका बड़ा योगदान रहा है।

जानें डैफनी ने कैसे दुनिया के एक हिस्से को बदला?

अक्टूबर, 2017 में घर लौटते हुए कार विस्फोट में कर जर्नलिस्ट डैफनी कैरुआना गलीज़िया की दी गई थी। इस हत्या की वजह
डैफनी पनामा पेपर लीक्स से जुड़ी हुई थीं। उनकी जांच में उनके देश माल्टा के प्रधानमंत्री जोसेफ मस्कट और उनके दो करीबियों के बारे में बड़ा खुलासा किया था। एक रिपोर्ट के मुताबिक डैफनी ने इस दौरान जो दस्तावेज अपने ब्लॉग के जरिए लीक किए थे, उसे पढ़ने वालों की संख्या उनके देश के सबसे ज्यादा पढ़े जाने वाले अखबारों से भी कहीं ज्यादा थी।

माल्टा के प्रधानमंत्री मस्कट ने  प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वह “कैरुआना गलीज़िया मेरी कट्टर विरोधी थी, लेकिन इस तरह की घटना निंदनीय

इस लीक के सामने आने के बाद अक्टूबर, 2017 में जब वे घर जा रही थीं। उसी दौरान उनकी कार में एक जोरदार धमाका हुआ और उनकी कार के परखच्चे उड़ गए थे। इस हमले में डैफनी की भी मौत हो गई। डैफनी की मौत के बाद इससे अपने किसी भी संबंध को खारिज करते हुए माल्टा के प्रधानमंत्री मस्कट ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि वह “कैरुआना गलीज़िया मेरी कट्टर विरोधी थी, लेकिन इस तरह की घटना निंदनीय है। कोई भी इस घटना को सही नहीं ठहरा सकता है, ये एक वीभत्स हमला है और इसकी जांच की जाएगी। हालांकि दिसंबर, 2019 में जांच में जब मस्कट का नाम इससे जुड़ा निकला तो उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।

पिछले दो सालों से अपनी धाकड़ पत्रकार डैफनी कैरुआना के चलते दुनिया भर में चर्चा में था माल्टा

इटली के नीचे भूमध्यसागर में एक छोटा सा देश माल्टा है। कुल 315 वर्ग किमी के इलाके और करीब 5 लाख की जनसंख्या वाला यह छोटा सा देश पिछले दो सालों से अपनी धाकड़ पत्रकार डैफनी कैरुआना के चलते दुनिया भर में चर्चा में था। करीब डेढ़ दशक पहले ही ईयू का सदस्य बना यह देश डैफनी की मौत से उबल पड़ा। अंतत: वहां के प्रधानमंत्री मस्कट को इस्तीफा देना ही पड़ा था। गार्डियन अखबार की जूलियट गार्साइड के मुताबिक डैफनी माल्टा की सबसे चर्चित पत्रकार थीं। उन्होंने अपनी जिंदगी में बहुत से राजनीतिक षड्यंत्रों का खुलासा किया था। उन्होंने न सिर्फ अपने देश में बड़े स्तर पर चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों का खुलासा किया बल्कि भ्रष्ट चुनावी प्रणाली और आर्थिक नियामकों के रोल पर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने यह खुलासा किया था कि मस्कट की पत्नी और सरकार के चीफ ऑफ स्टाफ की अजरबैजान से धन देने के लिए पनामा में विदेशी कंपनी थी। इसके अलावा वे माल्टा के पासपोर्ट बेचे जाने के आरोपों की जांच में भी शामिल थीं।

 

माल्टा और यूरोपियन यूनियन में बड़े बदलावों की वजह बनीं डैफनी कैरुआना गलीज़िया

उनकी मौत के बाद दुनिया के तमाम बड़े अखबारों और चैनलों से जुड़े पत्रकार साथ आए और उन्होंने डेफनी के अधूरे रह गए काम को पूरा कर छपवाना शुरू किया। धीरे-धीरे अपराधियों की गिरफ्तारियां शुरू हुईं तो तार प्रधानमंत्री के करीबी दो कैबिनेट मंत्रियों से भी जुड़े, जिन्हें नवंबर, 2019 में इस्तीफा देना पड़ा। माल्टा की जनता में आई जागरुकता और भारी विरोध के चलते 2013 से माल्टा के प्रधानमंत्री रहे जोसेफ मस्कट ने तो इस्तीफा दे दिया है लेकिन अभी उनकी पार्टी लेबर पार्टी सत्ता में बनी हुई है। इससे डैफनी के साथ पूरा न्याय हो पाने की उम्मीद लोगों को कम है।

डैफनी के खुलासों के चलते माल्टा की EU के नियमों के साथ की जा रही छेड़छाड़ का  हो चुका है खुलासा

हालांकि इतना जरूर है कि डैफनी के खुलासों के चलते माल्टा की EU के नियमों के साथ की जा रही छेड़छाड़ का खुलासा हो चुका है। जिससे EU सतर्क हो गया है। इसके अलावा वह डैफनी की हत्या ही थी, जिसके चलते माल्टा में एक सिविल सोसाइटी बन गई है। नागरिक अपने अधिकारों को लेकर सचेत हुए हैं। हालांकि न ही अभी पूरा न्याय हुआ है और न ही डैफनी की कहानी खत्म हुई है।

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