अपने चुनावी वादों को पूरा करने के क्रम में असम की भाजपा सरकार ने मवेशी संरक्षण बिल को विधानसभा के भीतर पास किया। इस बिल के अनुसार हिन्दू धार्मिक स्थलों के 5 किसी एरिया के भीतर बीफ की बिक्री नहीं होगी, मवेशियों को दूसरे राज्य ले जाने पर भी पाबंदी होगी। सीएम हेमंता बिस्व सरमा ने कहा- हम कुछ चीजों पर प्रतिबंध चाहते हैं, मवेशियों का संरक्षण धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक तर्क है।
उन्होंने कहा- असम में कई स्थान ऐसे हैं जहां मंदिर नहीं है, 70-80 हजार की बस्तियों में भी कोई हिन्दू नहीं है, प्रमाण पत्र के साथ वहां धंधा किया जा सकता है। हिमंता ने कहा- सांप्रदायिक सौहार्द को बनाए रखने की जिम्मेदारी सिर्फ हिन्दुओं की ही नहीं है, मुसलमानों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी।
इस बिल में यह भी कहा गया है कि कानून किसी व्यक्ति को मवेशियों का वध करने से तब तक प्रतिबंधित करेगा जब तक कि उसने किसी विशेष क्षेत्र के पंजीकृत पशु चिकित्सा अधिकारी द्वारा जारी आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त नहीं किया हो। इसके अलावा पशु चिकित्सा अधिकारी केवल तभी प्रमाण पत्र जारी करेगा जब उसकी राय में गाय की उम्र 14 वर्ष से अधिक होगी।
विधानसभा अध्यक्ष बिस्वजीत डेमरी द्वारा असम मवेशी संरक्षण विधेयक, 2021 को पारित करने की घोषणा करते ही सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्यों ने ‘भारत माता की जय और ‘जय श्री राम के नारे लगाए और मेज थपथपाई। जब विधेयक पर चर्चा हो रही थी तो एकमात्र निर्दलीय विधायक अखिल गोगोई सदन से बहिर्गमन कर गए।
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विपक्षी कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सरकार से विधेयक को विधानसभा की प्रवर समिति को समीक्षा के लिए भेजने का आग्रह किया, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कानून पर चर्चा पर अपने जवाब के दौरान प्रस्ताव को खारिज कर दिया।