Manaskhand

उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ को मिला प्रथम स्थान, मुख्यमंत्री बोले-गौरव का पल

191 0

देहरादून। उत्तराखंड की झांकी ‘मानसखंड’ (Manaskhand ) को गणतंत्र दिवस की परेड (Republic Day Parade) में देश में प्रथम स्थान मिलने से इतिहास में देवभूमि का नाम दर्ज हो गया है। राजपथ का नाम बदलने के बाद कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस की यह पहली परेड थी। मुख्यमंत्री ने राज्य को मिली इस उपलब्धि के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए कहा कि यह हम सबके लिए गौरवशाली पल है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने कहा कि पुराणों में गढ़वाल का केदारखंड और कुमाऊं का मानसखंड के रूप में वर्णन किया गया है। स्कंदपुराण में मानसखंड के बारे में बताया गया है। जागेश्वर मंदिर की बहुत धार्मिक मान्यता है। प्रधानमंत्री ने हमेशा अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने की बात कही है। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सांस्कृतिक नवजागरण में उत्तराखंड सरकार भी काम कर रही है। ‘मानसखंड’ (Manaskhand ) मंदिर माला मिशन योजना भी इसी दिशा में महत्वपूर्ण पहल है। ‘मानसखंड’ मंदिर माला मिशन के तहत चार धाम की तर्ज पर कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों को भी विकसित किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा है कि यह दशक उत्तराखंड का है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 2025 तक उत्तराखंड को देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इसी दृष्टि से गणतंत्र दिवस परेड में उत्तराखंड की झांकी को देश में प्रथम स्थान पर आना उनके विजन को दर्शाता है। झांकी निर्माण का कार्य 31 दिसंबर को प्रारंभ किया गया था,जिसको सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक किया जाता है। साथ ही झांकी में शामिल कलाकारों को टीम लीडर के साथ कड़ाके की सर्दी में कर्तव्य पथ रिहर्सल के लिए 4 बजे जाना पड़ता है।

मुख्यमंत्री ने सुझाया था झांकी का विषय –

मुख्यमंत्री ने भारत सरकार को भेजे गए झांकी का विषय/टाइटिल “मानसखंड“ (Manaskhand ) को सुझाया था। उन्होंने मंदिर माला मिशन के अंतर्गत मानसखंड के रूप में इस विषय का सुझाव दिया था।

मुख्यमंत्री स्वयं गणतंत्र दिवस से पहले दिल्ली जाकर झांकी का निरीक्षण किया था। इसके साथ ही झांकी को उत्कृष्ट और राज्य की संस्कृति के अनुरूप निर्माण के लिये सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक/ नोडल अधिकारी के.एस.चौहान को निर्देश दिए थे। इसके साथ ही झांकी के कलाकारों से मिलकर उनको शुभकामनाएं भी दी थी

मानसखंड (Manaskhand ) झांकी-

गढ़वाल की चारधाम यात्रा की भांति सरकार कुमाऊं में मंदिर माला मिशन के अंतर्गत पर्यटन बढ़ाने का प्रयास कर रही हैं। इसी के दृष्टिगत प्रसिद्ध पौराणिक जागेश्वर धाम को दिखाया गया था। उत्तराखंड का प्रसिद्ध कॉर्बेट नेशनल पार्क, बारहसिंगा, उत्तराखंड का राज्य पशु कस्तूरी मृग, गोरल, देश की राष्ट्रीय पक्षी मोर जो उधमसिंह नगर में पाई जाती है, उत्तराखंड के प्रसिद्ध पक्षी घुघुती, तीतर, चकोर, मोनाल आदि और उत्तराखंड की प्रसिद्ध ऐपण कला को प्रदर्शित किया गया था। झांकी के आगे और पीछे उत्तराखंड का नाम भी ऐपण कला से लिखा गया था। जागेश्वर धाम के मंदिर घनघोर देवदार के वृक्षों के बीच में है। इसलिए झांकी में मंदिर के आगे और पीछे घनघोर देवदार के वृक्षों का सीन तैयार किया गया था।

झांकी का अंतिम चयन-

सितंबर माह में भारत सरकार द्वारा सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों एवं मंत्रालयों से प्रस्ताव मांगे जाते हैं।अक्टूबर तक राज्य सरकारें विषय का चयन कर प्रस्ताव भारत सरकार को भेजती है। उसके बाद भारत सरकार प्रस्तुतिकरण के किये आमंत्रित करती है। पहले बार की मीटिंग में विषय के आधार चार्ट पेपर में डिजाइन तैयार कर प्रस्तुत करना होता है। आवश्यक संशोधन करते हुए तीन बैठकें डिजाइन निर्माण के सन्दर्भ में होती है जिन प्रदेशों के डिजाइन कमेटी को सही नही लगते हैं उनको शार्टलिस्ट कर देती है। उसके बाद झांकी का मॉडल बनाया जाता है। मॉडल के बाद थीम सॉंग 50 सेकंड का जो उस प्रदेश की संस्कृति को प्रदर्शित करता हो, तैयार किया जाता है। इस प्रकार जब सभी स्तर से भारत सरकार की विशेषज्ञ समिति संतुष्ट हो जाती है तब झांकी का अंतिम चयन किया जाता है।

इन कलाकारों ने निभाई थी अहम भूमिका –

टीम लीडर संयुक्त निदेशक केएस चौहान के नेतृत्व में झांकी में उत्तराखंड की कला और संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए उत्तराखंड का प्रसिद्ध छोलिया नृत्य करने में पिथौरागढ़ के भीम राम के दल के 16 कलाकारों का उत्कृष्ट प्रदर्शन रहा। उत्तराखंड को देवभूमि के साथ ही योग भूमि भी कहा जाता है। झांकी के ऊपर योग करते हुए बारु सिंह और अनिल सिंह ने योग करते हुए अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

झांकी थीम सांग-

झांकी का थीम सांग “जय हो कुमाऊं,जय हो गढ़वाला“ को पिथौरागढ़ के प्रसिद्ध जनकवि जनार्दन उप्रेती ने लिखा था और उसको सौरभ मैठाणी और साथियों ने सुर दिया था। इस थीम गीत के निर्माता पहाड़ी दगड़िया, देहरादून थे।

इन प्रमुख मंदिरों का होगा विकास-

मुख्यमंत्री धामी के विजन के अनुसार पहले चरण में क़रीब 2 दर्जन से अधिक मंदिरों को इसमें शामिल किया गया है। इनमें जागेश्वर महादेव, चितई गोलज्यू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर, नंदादेवी मंदिर कसारदेवी मंदिर, झांकर सैम मंदिर पाताल भुवनेश्वर, हाटकालिका मंदिर, मोस्टमाणु मंदिर, बेरीनाग मंदिर, मलेनाथ मंदिर, थालकेदार मंदिर, बागनाथ महादेव,बैजनाथ मंदिर,कोट भ्रामरी मंदिर, पाताल रुद्रेश्वर गुफा, गोल्ज्यू मंदिर, निकट गोरलचौड मैदान, पूर्णागिरी मंदिर, वारही देवी मंदिर देवीधुरा, रीठा मीठा साहिब, नैनादेवी मंदिर, गर्जियादेवी मंदिर, कैंचीधाम, चैती (बाल सुंदरी) मंदिर, अटरिया देवी मंदिर व नानकमत्ता साहिब प्रमुख रूप से शामिल किए गए।

Related Post

डोनाल्ड ट्रंप

ट्रंप का बेहद पसंदीदा भोजन मेन्यू से गायब, आइस टी और ग्रीन टी को मिली जगह

Posted by - February 24, 2020 0
अहमदाबाद। दो दिवसीय भारत दौरे पर आए अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी पत्नी मेलानिया, बेटी इवांका और दामाद जेरेड…
वायरल पोस्टर पर पीएम मोदी ने तोड़ी चुप्पी

वायरल पोस्टर पर पीएम मोदी ने तोड़ी चुप्पी,बोले- किसी की लगती है खुराफात

Posted by - April 8, 2020 0
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने उनके बारे में सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक पोस्टर पर चुप्पी तोड़ी…
CM Yogi

देश और धर्म की रक्षा के लिए गुरु गोविंद सिंह महाराज ने की खालसा पंथ की स्थापना: सीएम योगी

Posted by - April 13, 2024 0
लखनऊ : गुरु गोविंद सिंह महाराज ने वर्ष 1699 में देश और धर्म की रक्षा के लिए शक्तिपुंज के रूप में…
Prof. Vinay Kumar Pathak

अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से कोविड-19 रोगियों की होगी स्क्रीनिंग

Posted by - February 4, 2021 0
लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय व किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के संयुक्त अनुसंधान द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (artificial intelligence)…