Tirangi Barfi

बनारस की ‘तिरंगी बर्फी’ से हिल गई थी अंग्रेजी हुकूमत, आज भी है लाजबाव

1866 0

वाराणसी। देश को आजादी दिलाने में बनारस के लोगों का काफी अहम योगदान है, जिसमें कई कहानियां शामिल है। आज भी बनारस की रंग बिरंगी मिठाइयों का कोई जवाब नहीं है।

देश-विदेश में मशहूर ‘राम भंडार’ में आजादी की लड़ाई के दौरान पहली बार तिरंगे के रंग वाली तिरंगी बर्फी बनी तो अंग्रेजों के होश उड़ गए थे। तिरंगे पर रोक के दौर में लोग तिरंगी बर्फी हाथों में लिए घूमते रहे थे। इसके बाद बनारस से ही जवाहर लड्डू, गांधी गौरव, मदन मोहन, वल्‍लभ संदेश, नेहरू बर्फी के रूप में राष्‍ट्रीय मिठाइयों सहित कई श्रृंखला सामने आई।

हरा धनिया स्वाद और खाने की सजावट के साथ त्वचा को भी करें खूबसूरत

तिरंगी बर्फी और तिरंगे जवाहर लड्डू में आज ही की तरह किसी रंग का उपयोग नहीं हुआ था। हरे रंग के लिए पिस्‍ता, सफेद के लिए बादाम और केसरिया के लिए केसर का प्रयोग कर तिरंगे का रूप दिया गया था।

वाराणसी के चौखम्भा निवासी अशोक बताते हैं कि इस बर्फी की कहानी 1947 से भी पुरानी है। इस बर्फी को स्वतंत्रता के लड़ाई में संदेश पहुचाने के लिए बनाया गया था। तब से इसका नाम तिरंगा बर्फी पड़ा है। यही कारण है कि आज भी लोग 15 अगस्त के दिन इसको खरीदारी करते हैं।

वाराणसी के चौखम्भा इलाके में स्थित ‘श्री राम भंडार’ ने इस बर्फी की शुरुआत 1947 में की थी। इस बर्फी की शुरूआत आज़ादी के लड़ाई में लड़ने वाले लोगों के लिए संदेश के लिए किया गया था।

दुकान मालिक बताते हैं कि इनकी मिठाई की दुकान 150 वर्ष पुरानी है। लेकिन आज भी ये उसी तरह चल रही है। जब देश आजाद हुआ तब आम जनमानस तक इस तिरंगे बर्फी का स्वाद पहुंचा, चूंकि देश के आज़ादी का जश्न था, तो इसका रंग भी तिरंगे के रंग में दिया गया।

इस तिरंगे बर्फी के साथ ही आज़ादी के वक्त के कई नाम दिए गए थे। उस दौर में पहली बार बनारस में ही तिरंगा बर्फी बनी जो राष्‍ट्रीय ध्‍वज के रंग की थी।

Related Post

लोकसभा की कार्यवाही लगातार बाधित होने पर बरसे स्‍पीकर, बोले- ये नारेबाजी की प्रतियोगिता नहीं

Posted by - July 27, 2021 0
संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पेगासस मुद्दे पर विपक्षी दलों का हंगामा लोकसभा और राज्यसभा में मंगलवार को भी…

18 अक्टूबर, 2021 को राजॠषि श्रद्धेय पंडित नारायण दत्त तिवारी को याद करने के मायने…

Posted by - October 19, 2021 0
“चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति” यह मंत्र था- बप्पा दादाजी (Pandit Narayan Dutt Tiwari) का। देश की शीर्ष-अदालतों में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं…
Kashi Vishwanath Dham

काशी विश्वनाथ धाम में पिछला रिकाॅर्ड टूटा, मार्च में 95 लाख 63 हजार भक्तों ने लगाई हाजिरी

Posted by - April 1, 2024 0
वाराणसी। श्री काशी विश्वनाथ धाम ( Kashi Vishwanath Dham) में दर्शन पूजन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं का नित नया…