संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन के लिए याचिका की तैयारी

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आगरा। ‘हिन्दी से न्याय’ (hindi se Nayay) अभियान के अंतर्गत संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन की लड़ाई लड़ी जा रही है। उद्देश्य है उच्चतम और उच्च न्यायालयों की कार्यवाही हिन्दी और स्थानीय भाषा में हो। इसके लिए पूरे देश में हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत उत्तर प्रदेश संचालन समिति ने सचदेवा मिलेनियम स्कूल, शास्त्रीपुरम, आगरा में ‘गोलमेज सम्मेलन’ कराया। प्रबुद्धजन जुटे। सभी ने सहयोग का वचन दिया। सचदेवा मिलेनियम स्कूल के चेयरमैन और शिक्षाविद राजेन्द्र सचदेवा ने मांग की कि अनुच्छेद 348 को समाप्त किया जाए। इसके लिए लोकसभा की याचिका समिति के समक्ष याचिका प्रस्तुत करेंगे। परिचर्चा का विषय था- “भारतीय संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन की आवश्यकता। प्रारंभ में ‘हिन्दी दीप’ प्रज्ज्वलित किया गया।

हिन्दी दीप प्रज्ज्वलित करते डॉ. मुकेश चंद्र अग्रवाल, राजेन्द्र सचदेवा, डॉ. देवी सिंह नरवार, डॉ. भोज कुमार शर्मा,  डॉ. मुनीश्वर गुप्ता, डॉ. निर्मला दीक्षित, डॉ. भानु प्रताप सिंह,  डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी।

मुख्य अतिथि आगरा मंडल के संयुक्त शिक्षा निदेशक डॉ. मुकेश चंद अग्रवाल ने कहा- हिन्दी साहित्य विषय से मैंने लोक सेवा आयोग की परीक्षा उत्तीर्ण की और सर्वाधिक अंक आए। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की संवैधानिक व्यवस्था का सबसे बड़ा भाग न्यायपालिका है। वहां पर जो अपना दुख लेकर जाता है, उसे मालूम नहीं होता कि उसकी ओर से वकील ने क्या कहा, जज ने क्या कहा और क्या निर्णय हुआ। मुझे अकसर न्यायालय में जाना पड़ता है और मेरी समझ में भी नहीं आता कि क्या हुआ है। स्वतंत्रता के इतने साल बाद भी न्याय मांगने गया व्यक्ति न्यायिक प्रक्रिया को समझ नहीं सकता है तो उससे बड़ा दुख हो नहीं सकता है। इस भावना के साथ हस्ताक्षर अभियान चलाना होगा। उन्होंने इस कार्यक्रम को गोलमेज सम्मेलन बताया।

 

सचदेवा मिलेनियम स्कूल, शास्त्रीपुरम, आगरा के चेयरमैन और शिक्षाविद राजेन्द्र सचदेवा ने समारोह की अध्यक्षता करते हुए कहा- शिक्षा के तीन शब्द हैं, शिक्षा, स्वास्थ्य, संस्कार। शिक्षा का आधार केवल पढ़ाई नहीं बल्कि स्वास्थ्य भी है। मनोविज्ञान पर भी काम कर रहा हूँ। अंग्रेजी बहुत गरीब भाषा है। हिन्दी समृद्ध भाषा है। हिन्दी में स्त्री के लिए 536 शब्द हैं जबकि अंग्रेजी में सिर्फ वुमैन है। अनुच्छेद 348 को हटाया जाए, संशोधन की क्या जरूरत है। अगर धारा 370 को हटा सकते हैं तो 348 को क्यों नहीं? संशोधन के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाते रहें। मैं धारा 348 हटाने के लिए याचिका बनाऊंगा और सांसदों से अग्रसारित कराकर लोकसभा याचिका समिति में ले जाऊंगा। आप आगे बढ़िए, हर आदमी चट्टान की तरह खड़ा रहेगा।

प्रारंभ में जनसंदेश टाइम्स के कार्यकारी संपादक और हिन्दी से न्याय अधिष्ठाता मंडल के सदस्य डॉ. भानु प्रताप सिंह ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा कि भाषा का संबंध हमारी संस्कृति से है। हिन्दी राष्ट्र की भाषा होगी तो भारतीय संस्कृति पल्लित होगी। इसीलिए संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन आवश्यक है ताकि सर्वोच्च और उच्च न्यायालयों में कार्य हिन्दी में हो सके। उन्होंने कहा कि हिन्दी से न्याय अभियान न्यायविद चंद्रशेखर उपाध्याय द्वारा प्रारंभ किया गया है।

उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य और हिन्दी से न्याय अमात्य मंडल के सदस्य निर्मला दीक्षित ने कहा- उच्चतम और उच्च न्यायालयों में कार्यवाही हिन्दी में हो। अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी में भाषण दिया था। हिन्दी के समर्थन में चल रहे हस्ताक्षर अभियान में हस्ताक्षर हिन्दी में ही करें और अंक भी हिन्दी में लिखें। हमें अंग्रेजी में हस्ताक्षर की आदत बदलनी होगी।

हिन्दी से न्याय अधिष्ठाता मंडल के सदस्य डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 348 में परिवर्तन होना ही चाहिए। राजीव गांधी के समय मेडिकल प्रवेश परीक्षा अंग्रेजी में कराने का प्रावधान किया गया था। हम इसके विरोध में आंदोलन कर रहे थे। एक शिक्षक के सुझाव पर हमने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की। लक्ष्मीमल सिंघवी ने निःशुल्क मुकदमा लड़ा। सरकार को आदेश बदलना पड़ा। आईआईटी की प्रवेश परीक्षा को हिन्दी में कराने के लिए आमरणन अनशन किया और एक साल बाद न्याय मिला। अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विवि, भोपाल में हिन्दी माध्यम से पढ़ाई हो रही है। म.प्र. सरकार ने आदेश दिया कि छात्र को जिस भाषा में सुविधा हो, उसी में उत्तर लिख सकता है। न्यायालय में जिसके लिए कार्यवाही हो रही है उसी को समझ नहीं आ रहा है, इससे बड़ा मजाक हो नहीं सकता है। लंदन के एय़रपोर्ट पर उद्घोषणा हिन्दी में होती है, यह बहुत बड़ी बात है। मोरारजी देसाई ने सिविल सेवा परीक्षा भारतीय भाषाओं में कराई। मैंने एक बैठक में गृहमंत्री अमित शाह से आग्रह किया है कि देश में जितनी भी महत्वपूर्ण परीक्षाएं हैं, वे सिर्फ अंग्रेजी में नहीं होनी चाहिए। इसमें किसी का कोई नुकसान नहीं है।

आगरा कॉलेज के पूर्व प्राचार्य हिन्दी से न्याय अमात्य मंडल के सदस्य डॉ. विनोद कुमार माहेश्वरी ने कहा कि मां को मॉम और पिता को डैड बना दिया। ए से अल्लाह, बी से बुद्धा, सी क्राइस्ट क्यों नहीं हो सकता है? ए से एप्पल ही क्यों? हमें स्वयं शुरुआत करनी होगी। मैंने एमए और पीएचडी अंग्रेजी से की और सेवा में रहते हुए एमए हिन्दी से किया। अंग्रेजी ने मेरा पेट पाला लेकिन हिन्दी मेरी रगों में हैं।

प्रख्यात कवयित्री डॉ. रुचि चतुर्वेदी ने कहा-

मेरी भारत मां सजती है ओढ़ चुनरिया हिन्दी की

भारत मां के तन लहराई लहर लहरिया हिन्दी की

परिचर्चा के संयोजक एवं हिन्दी से न्याय अभियान संचालन समिति के उत्तर प्रदेश अध्यक्ष डॉ. देवी सिंह नरवार ने हस्ताक्षर अभियान की रिपोर्ट प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 348 में संशोधन के लिए सम्पूर्ण भारत से दो करोड़ नागरिकों के हस्ताक्षर का लक्ष्य है। उत्तर प्रदेश से दस लाख तथा आगरा से एक लाख हस्ताक्षर का लक्ष्य है। अभी तक आगरा से 20000 हजार हस्ताक्षर कराए जा चुके हैं। सरकार ने आठ राज्यों में मातृभाषा में पढ़ाई की छूट दी है। संसद में सांसद अपनी भाषा मे बोल सकता है तो उच्चतम और उच्च न्यायालयों में हिन्दी में कार्य क्यों नहीं। इसके लिए हमारी लड़ाई जारी है।

कार्यक्रम के सह संयोजक एवं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ उत्तर प्रदेश युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. भोज कुमार शर्मा ने कहा कि अब तक जितने भी लोग इस अभियान से जुड़े हैं उनके अंदर हिन्दी को ऊंची अदालतों में विधिक भाषा हिन्दी बने, ऐसा संकल्प है। हिन्दी में कार्य करने की और हिन्दी को उच्च दर्जा दिलाने की इच्छा रखने वाले इस अभियान से जुड़ें। जनसमूह की इच्छा निश्चित रूप से इसके उद्देश्य को पूरा करेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता सचदेवा मिलेनियम स्कूल चेयरमैन राजेंद्र सचदेवा ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। स्मृति चिह्न ‘आओ फर्ज निभाएं’ भेंट किया। सर्व व्यवस्था प्रभारी डॉ. योगेंद्र सिंह ने आगंतुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन प्रख्यात एंकर इस्लाम कादरी ने किया। परिचर्चा में डॉ. अनिल कुमार वशिष्ठ, डॉ. डीएस शर्मा, डॉ. ज्योत्सना शर्मा, डॉ. दिग्विजय शर्मा, पार्षद मंजू वार्ष्णेय, पार्षद कमलेश जाटव, श्याम सिंह, शीलेन्द कुमार शर्मा, डॉ. केएस शर्मा, फूल सिंह सिकरवार, हरेंद्र सिंह चाहर, वेदांत वर्मा, गफूर खान आजाद, डॉ. धीरेन्द्र स्वरूप शर्मा, राजमोहन शर्मा, गोपाल सिंह इंदौलिया,विनय पालीवाल, वीपी सिंह आदि ने प्रतिभाग किया।

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