मकर संक्रांति

Makar Sankranti 2020: पूरे देशभर में मकर संक्राति को अलग-अलग से मनाए जाने की जानें वजह

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लाइफ़स्टाइल डेस्क। हमारे देश में ऐसे कई धार्मिक त्यौहार हैं जिसे हर राज्य में अलग-अलग नामों से जाना जाता हैं। इन्ही त्यौहारों में से मकर संक्राति भी एक हैं। वैसे तो यह त्योहार पूरे देश में मनाया जाता है।

बता दें कि कर्नाटक में संक्रांति, तमिलनाडु और केरल में पोंगल, पंजाब,हरियाणा में माघी, गुजरात और राजस्थान में उत्तरायण, उत्तराखंड में उत्तरायणी होता है। वहीं उत्तर प्रदेश और बिहार में इसे खिचड़ी के नाम से जानते हैं। वैसे पंजाब में इसे लोहड़ी के नाम से सक्रांति के एक दिन पहले ही मनाया जाता है।

मकर संक्राति का त्योहार हिंदी कैलेंडर के अनुसार पौष माह की उस तिथि को मनाया जाता है जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। ज्यादातर यह त्योहार चौदह या पंद्रह तारीख को मनाया जाता है। तो चलिए जानें आखिर क्या कारण है जो हर राज्य में इस त्योहार का नाम अलग-अलग होता है।

उत्तर प्रदेश

‘मकर संक्रांति’ का त्योहार उत्तर प्रदेश में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन घरों में उड़द की दाल की खिचड़ी बनाकर खाना शुभ माना जाता है। इसके अलावा लोग इस दिन तिल के लड्डू, तिल की गजक और मूंगफली के स्वाद का भी लुत्फ उठाते नजर आते हैं।

बिहार-झारखंड

‘मकर संक्रांति’ के त्योहार पर बिहार और झारखंड में खिचड़ी के साथ दही-चूड़ा बनाने की परंपरा है। इसके अलावा यहां के लोग रात के भोजन में तिल से बने व्यजंन बनाते हैं।

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महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में ‘मकर संक्रांति’ का त्योहार 3 दिन तक मनाया जाता है। इस दौरान महाराष्ट्र की पारंपरिक ‘पूरन पोली’ खाई जाती है। साथ ही तिल से बने व्यंजनों को लोगों के बीच बांटकर पुरानी कड़वाहट को भुलाने की भी पहल की जाती है।

राजस्थान और गुजरात

‘मकर संक्रांति’ पर राजस्थान और गुजरात में पतंग उड़ाने की पंरपरा है। जिसकी वजह से गुजरात में ‘पतंग महोत्सव’ के नाम से इसे बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है। पतंग उड़ाने के अलावा इस दिन घरों में सूर्य पूजा करने के लिए घेवर, फैनी, तिल के लड्डू भी बनाएं जाते हैं।इस खास दिन यहां के लोग महिलाओं को सुहाग का सामान देना शुभ मानते हैं।

तमिलनाडु

‘मकर संक्रांति’ का त्योहार तमिलनाडु में ‘पोंगल’ नाम से जाना जाता है। इस दिन लोग घर में साफ-सफाई करने के बाद आंगन में आटे और चावल के आटे से रंगोली बनाते हैं। इसके बाद मिट्टी के बर्तन में खीर बनाई जाती है। जिसका भोग सबसे पहले सूर्य देव को लगाया जाता है। तमिलनाडु में ये त्योहार 4 दिनों तक मनाया जाता है।

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