नई दिल्ली। संघर्ष और चुनौतियां न केवल इन्सान को मजबूत बना देता है, बल्कि उसके जीवन जीने का मकसद ही बदल जाता है। यह सच साबित किया है ऋषिकेश निवासी हेमलता बहन ने। हेमलता भी संघर्षों से उपजी एक ऐसी ही मिसाल है, जिसने जीवन के कटु अनुभवों को सबक मानकर दूसरों के लिए जीवन समर्पित कर दिया।
‘नंदा तू राजी-खुशी रैयां ‘ क्षय रोग पीड़ित बेटियों के लिए साबित हो रहा है वरदान
हेमलता बहन का एक अभियान ‘नंदा तू राजी-खुशी रैयां ‘ (नंदा तू राजी-खुशी रहना) क्षय रोग पीड़ित बेटियों के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस अभियान ने न सिर्फ गंभीर रूप से क्षय रोग पीड़ित बेटियों को नया जीवन देने का काम किया, बल्कि समाज में उन्हें सबल बनाकर खड़ा भी किया।
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लंबे समय से सामाजिक कार्यों से जुड़ी हेमलता करीब पांच वर्ष पूर्व देहरादून में एक ऐसे ही युवक से मिली, जो बिहार से दिहाड़ी मजदूरी के लिए यहां आया था। इसके बाद टीबी की चपेट में आ गया। हेमलता बहन ने उस युवक का न केवल इलाज कराया। बल्कि स्वस्थ होने के बाद उसे आजीविका के लिए सब्जी की ठेली दिला दी। फिर तो इस बीमारी से जूझ रहे लोगों की सेवा को ही उन्होंने अपना ध्येय बना लिया। वह देहरादून की मलिन बस्तियों में घूम-घूमकर इस तरह के रोगियों को तलाशतीं और उन्हें टीबी अस्पताल पहुंचाकर उनकी जांच व दवा आदि की व्यवस्था सुनिश्चित करती रहती हैं।
हेमलता बहन टीबी मरीजों को दवा के साथ पोषाहार भी उपलब्ध कराने का संकल्प लिया
इसी दौरान हेमलता बहन ने देखा कि टीबी के रोगी दवा तो ले लेते हैं, मगर उन्हें सही पोषण नहीं मिल पाता। नतीजा दवा के दुष्प्रभाव भी कई बार घातक रूप ले लेते। उन्होंने तय किया कि ऐसे मरीजों को वह दवा के साथ पोषाहार भी उपलब्ध कराएंगी। अपने संसाधनों व अन्य लोगों की मदद से उन्होंने इस काम को आगे बढ़ाया। इसी दौरान पता चला कि टीबी से पीड़ित महिलाओं व बेटियों की स्थिति और भी दयनीय है। उन्हें सामाजिक रूप से भी तरह-तरह की प्रताड़नाएं झेलनी पड़ रही हैं।
2017 में ‘आस’ संस्था का गठन किया
वर्ष 2017 में उन्होंने ‘आस’ संस्था का गठन किया और इसे नाम दिया ‘नंदा तू राजी-खुशी रैयां’। उनके इस अभियान को तब और बल मिला, जब टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड की सीएसआर संस्था ‘सेवा-टीएचडीसी’ ने उन्हें अभियान को आगे बढ़ाने के लिए आर्थिक मदद देनी शुरू की। पिछले तीन वर्ष में इस अभियान के जरिये सौ से अधिक बेटियां टीबी की बीमारी को परास्त कर चुकी हैं। इनमें से कई बेटियां समाज में प्रतिष्ठित जीवन जी रही हैं, कई दोबारा पढ़ाई शुरू कर चुकी हैं और कई इस अभियान को आगे बढ़ाने में सहायक बन रही हैं।
बहुमुखी प्रतिभा की धनी हेमलता बहन को मिल चुके हैं कई पुरस्कार
हेमलता न सिर्फ समाज सेवा, बल्कि अपनी बहुमुखी प्रतिभाग के लिए भी पहचान रखती हैं। वह एक बेहतरीन थिएटर आर्टिस्ट भी हैं। रंगमंच पर ‘एक गधे की आत्मकथा’, ‘मशाल’, ‘हे छुमा’, ‘बछुली चौकीदार’ जैसे नाटकों में उनके अभिनय को खूब सराहा गया। वर्ष 2002, 2004 व 2006 के उत्तराखंड महोत्सव में उन्हें पारंपरिक वेशभषा के लिए प्रथम पुरस्कार मिला। पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए उन्हें महिला हेल्प लाइन डेस्क में काउंसलर के रूप में रखा गया है। वह रक्षा लेखा मंत्रालय की कार्यस्थल उत्पीडऩ निवारण समिति की भी सदस्य हैं।