“सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी असफल नहीं होता”, सच साबित हुई टेरेसा पर ये कहावत

834 0

डेस्क। आज भी अनेक भारतीय महिलाएँ पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर देश की प्रगति में भागीदार बन रही हैं। उनका कार्यक्षेत्र कार्पोरेट सेक्टर हो या खेल, फिल्म हो या राजनीति, साहित्य हो या पत्रकारिता। जैसे कि हम बात करें प्रथम नोबेल पुरस्‍कार विजेता मदर टेरेसा की। मदर टेरेसा ऐसा नाम है जिसका स्मरण होते ही हमारा ह्रदय श्रध्धा से भर उठता है और चेहरे पर एक ख़ास आभा उमड़ जाती है।सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी असफल नहीं होता, यह कहावत मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई।

ये भी पढ़ें :-रहमतों और बरकतों का महीना रमजान, रोजे के दौरान इन बातों जरुर रखे ध्यान 

आपको बता दें उनका असली नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’ (Agnes Gonxha Bojaxhiu ) था। अलबेनियन भाषा में गोंझा का अर्थ फूल की कली होता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि मदर टेरेसा एक ऐसी कली थीं जिन्होंने छोटी सी उम्र में ही गरीबों, दरिद्रों और असहायों की जिन्दगी में प्यार की खुशबू भर दी थी।मदर टेरेसा एक ऐसी महान आत्मा थीं जिनका ह्रदय संसार के तमाम दीन-दरिद्र, बीमार, असहाय और गरीबों के लिए धड़कता था और इसी कारण उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके सेवा और भलाई में लगा दिया।

ये भी पढ़ें :-Weather : आसमान उगल रहा आग, गर्मी ने तोड़ा रिकॉर्ड 

जानकारी के मुताबिक मदर टेरेसा को मानवता की सेवा के लिए अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मान एवं पुरस्कार प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उन्हें  पहले पद्मश्री (1962) और बाद में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ (1980) से अलंकृत किया। संयुक्त राज्य अमेरिका ने उन्हें वर्ष  1985 में मेडल आफ़ फ्रीडम 1985 से नवाजा। मानव कल्याण के लिए किये गए कार्यों की वजह से मदर टेरेसा को 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार मिला। उन्हें यह पुरस्कार ग़रीबों और असहायों की सहायता करने के लिए दिया गया था।

Related Post

छतीसगढ़: आज सबसे बड़ी जरूरत उच्च शिक्षा में गुणवत्ता सुनिश्चित करना -बघेल

Posted by - November 3, 2019 0
रायपुर। आज यानी रविवार को सायाजी होटल में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमे अनुसंधानकर्ताओं, नवाचार करने वालों और प्राध्यापकों…