सरकार घमंड में है कि किसान आंदोलन को थका कर तोड़ देगी, लेकिन ये सपना पूरा नहीं होगा- योगेंद्र यादव

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कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है, कल क‍िसान आंदोलन को 7 महीने पूरे हो जाएंगे। इस दौरान कल देश के सभी राज्यों में संयुक्त किसान मोर्चा गवर्नर को राष्ट्रपति के नाम रोष पत्र सौंपेगा। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि 26 जून को देश में इमरजेंसी लगी थी, इसलिए इस दिन का चुनाव किया गया है।

उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा- सरकार आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास कर रही लेकिन किसान विचलित नहीं होंगे। उन्होंने आगे कहा कि सरकार घमंड में है कि किसान आंदोलन को थका कर तोड़ देगी लेकिन सरकार के ये मंसूबे किसान पूरा नहीं होने देगा।

दरअसल, कृषि बिल के लिए दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसानों के आंदोलन में तेज़ी लाने के लिए गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने किसान ट्रैक्टर यात्रा का आयोजन किया था। ये किसान ट्रैक्टर यात्रा आज सहारनपुर से चलकर मुज़फ्फरनगर जनपद में पहुंची जहां भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं के द्वारा यात्रा में सवार किसानों को जलपान कराया गया।

बाद में मुज़फ्फरनगर जनपद से भी सैकड़ो ट्रैक्टरों और कारों में सवार होकर किसान इस यात्रा में शामिल हुए। इसके बाद ये यात्रा मेरठ टोल प्लाज़ा के लिए निकल पड़ी, जहां पर रात्रि विश्राम कर ये यात्रा शुक्रवार की सुबह गाज़ीपुर बॉर्डर की ओर कूच करेगी। इस दौरान दिल्ली देहरादून नेशनल हाईवे की एक ओर सड़क पर किसानों की ट्रैक्टर यात्रा का ये जथा ही दिखाई दिया।

योगेंद्र यादव ने कहा की खेती बचेगी तो ही लोकतंत्र बचेगा, इसी मुद्दे के तहत अब आंदोलन की रणनीति तैयार की गई है। इसके चलते 26 जून को देश के सभी गवर्नर को राष्ट्रपति के नाम रोष पत्र सौंपे जाएंग। इस दिन का चुनाव इसलिए किया गया है क्योंकि 26 जून को देश में आपातकाल लगा था और इसे आपातकाल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। योगेंद्र यादव का कहना है कि सरकार की नीयत बातचीत को लेकर साफ नहीं है।

सरकार घमंड में है कि किसानों के आंदोलन को थका कर तोड़ देगी। लेकिन सरकार के इस मंसूबे को पूरा नहीं होने दिया जाएगा और किसान बिल्कुल विचलित नहीं होगा। आज तक सरकार आंदोलनकारी किसी भी संगठन को तोड़ नहीं पाई। यही नहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार बातचीत में जितनी देर करेगी उन्हें उतना ही महंगा पड़ेगा।

किसान आंदोलन के समाधान को लेकर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि समाधान तब होगा जब सत्ता जनता के सामने सिर झुकाएगी और सिर झुकाने से आदमी बड़ा होता है। आज देश में लोकतंत्र की हत्या हो रही है और वह हत्या भी धीरे-धीरे गला रेत कर की जा रही है। उन्होंने कहा कि 26 जून को जो आपातकाल लगा था उस आपातकाल को मौजूदा सरकार ने सामान्य काल बना दिया है, जो कि देश के लिए खतरनाक है।

पहले जिस आंदोलन को भाजपा के नेता पवित्र आंदोलन कहते थे, अब उसे कैसे राजनीतिक बता रहे हैं। अगर भाजपा दो मुंह से बात करेगी तो पकड़ी जाएगी, क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल में इतनी औकात नहीं है कि वह इतने लोगों को 7 महीने तक इकट्ठा रख सके।

आंदोलन स्थल के पास रहने वाले लोगों को आ रही परेशानियों के चलते उन्होंने माफी मांगी और कहा कि वे जानते हैं कि लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। लेकिन जहां तक आंदोलन के खिलाफ पंचायत होने की बात है तो वह भाजपा व आरएसएस द्वारा प्रायोजित पंचायत थी।

आंदोलन स्थल पर हुई घटनाओं को लेकर जवाब देते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि कुछ राजनीतिक गिद्ध लाशों पर नजर बनाए हुए हैं, जो आंदोलन के अंदर घूमते रहते हैं. जो इसी तरह के मामलों का इंतजार करते हैं। जहां तक एक महिला से रेप और एक व्यक्ति की जलकर मरने का मामला है, उसमें किसान आंदोलन के नेताओं ने आगे बढ़कर प्रशासन की मदद की है।

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