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योगी के प्रयास ने गीता प्रेस के शताब्दी वर्ष को अविस्मरणीय बनाया

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गोरखपुर। धार्मिक साहित्य प्रकाशन के अद्वितीय संस्थान गीता प्रेस (Gita Press) के शताब्दी वर्ष को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) के प्रयासों ने अविस्मरणीय बना दिया है। गीता प्रेस के 99 साल के इतिहास में सिर्फ एक बार राष्ट्रपति का आगमन हुआ था वहीं शताब्दी वर्ष में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के आगमन से संस्थान में एक नया इतिहास सृजित हो गया है।

गीता प्रेस शताब्दी वर्ष की यात्रा की पूर्णता में शुभारंभ पर राष्ट्रपति और समापन पर प्रधानमंत्री की मौजूदगी ने गीता प्रेस पर गर्व करने वाले गोरखपुरियों और सनातन साहित्य प्रेमियों को अविस्मरणीय उपहार दिया है।

वर्ष 1923 में किराए के एक भवन से शुरू गीता प्रेस की यात्रा के सौ वर्ष पूरे हो गए हैं। इस यात्रा में संस्था 100 करोड़ पुस्तकों के प्रकाशन के शीर्ष बिंदु के भी करीब पहुंच चुकी है। समय के उतार चढ़ाव का सामना करते हुए सनातन साहित्य को मुनाफा कमाने का माध्यम बनाए बगैर गीता प्रेस (Gita Press) ने ट्रेडिल छापा मशीन से वेब ऑफसेट मशीन तक की उपलब्धि हासिल कर ली है। अनेक भाषाओं में प्रकाशन के साथ देश और दुनिया भर के सनातन धर्मावलंबियों तक श्रीमद्भागवत गीता, रामायण, श्रीरामचरितमानस समेत अनेकानेक ग्रंथों को पहुंचाने के बाद यह आज के समय के अनुरूप ढल भी रही है। ऑनलाइन मोड में पुस्तकों के पढ़ने की सुविधा शुरू की गई है तो गीता प्रेस का अपना एप भी विकसित किया जा रहा है।

गीता प्रेस (Gita Press) की स्थापना के बाद से ही सनातन साहित्य सेवा के माध्यम से गीता प्रेस की ख्याति उत्तरोत्तर बढ़ते हुए वैश्विक होती गई। इसके बावजूद शताब्दी वर्ष को किनारे रखकर देखें तो स्थापना के 99 साल में सिर्फ एक बार देश की शीर्ष शासन सत्ता का भौतिक सानिध्य गीता प्रेस को मिल सका था। 1955 में देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद यहां के लीलाचित्र मंदिर का उदघाटन करने आए थे।

अब तक की यात्रा इतिहास में सिर्फ यही एक पड़ाव सुनहरा बना रहा पर जैसे ही गीता प्रेस शताब्दी वर्ष की तरफ उन्मुख हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे चिरकाल तक अविस्मरणीय बनाने की मंशा गीता प्रेस के न्यासियों से जाहिर की।

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वास्तव में योगी जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं उस पीठ का तीन पीढ़ियों से गीता प्रेस से आत्मीय नाता है। योगी आदित्यनाथ से पूर्व उनके गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और उनसे पहले दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ गीता प्रेस का निरंतर सहयोग करते रहे। शताब्दी वर्ष किसी भी संस्था के लिए अति महत्वपूर्ण अवसर होता है।

मुख्यमंत्री योगी के मार्गदर्शन में गीता प्रेस ट्रस्ट (Gita Press Trust) ने भी तय किया। इसके शुभारंभ से लेकर समापन तक को यादगार बनाया जाए जिसकी रूपरेखा तैयार हुई और श्री योगी की पहल पर शताब्दी वर्ष के शुभारंभ पर 4 जून 2022 को तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का आगमन हुआ। समापन समारोह में 7 जुलाई 2023 को यहां आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तो एक नया स्वर्णध्याय ही जोड़ दिया। मोदी गीता प्रेस आने वाले पहले प्रधानमंत्री बने।

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