Geetanjali Shri Ret Samadhi

रेत-समाधि : बधाई लेकिन…?

476 0

गीताजंलि श्री के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ के अंग्रेजी अनुवाद ‘टूम्ब ऑफ सेन्ड’ (Tomb of Sand) को बुकर सम्मान मिलने पर हिंदी जगत का गदगद होना स्वाभाविक है। मेरी भी बधाई। मूल अंग्रेजी में लिखे गए कुछ भारतीय उपन्यासों को पहले भी यह सम्मान मिला है। लेकिन किसी भी भारतीय भाषा के उपन्यास को मिलनेवाला यह पहला सम्मान है। लगभग 50 लाख रुपये की यह सम्मान राशि उसकी लेखिका और अनुवादिका डेजी राॅकवेल के बीच आधी-आधी बटेगी। इतनी बड़ी राशिवाला कोई सम्मान भारत में तो नहीं है। इसलिए भी इसका महत्व काफी है।

वैसे हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में इतने उत्कृष्ट उपन्यास लिखे जाते रहे हैं कि वे दुनिया की किसी भी भाषा की कृतियों से कम नहीं हैं लेकिन उनका अनुवाद अपनी भाषाओं में ही नहीं होता तो विदेशी भाषाओं में कैसे होगा? भारतीय भाषाओं में कुल मिलाकर जितनी रचनाएं प्रकाशित होती हैं, उतनी दुनिया के किसी भी देश की भाषा में नहीं होतीं। इसीलिए पहले तो भारत में एक राष्ट्रीय अनुवाद अकादमी स्थापित की जानी चाहिए, जिसका काम भारतीय भाषाओं के श्रेष्ठ ग्रंथों का सिर्फ आपसी अनुवाद प्रकाशित करना हो। इस तरह के कुछ उल्लेखनीय अनुवाद-कार्य साहित्य अकादमी, ज्ञानपीठ और कुछ प्रादेशिक संस्थाएं करती जरूर हैं। उस अकादमी का दूसरा बड़ा काम विदेशी भाषाओं की श्रेष्ठ कृतियों को भारतीय भाषाओं में और भारतीय भाषाओं की रचनाओं का विदेशी भाषाओं में अनुवाद करना हो।

राष्‍ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत महिलाओं को दिया जा रहा निशुल्‍क प्रशिक्षण

यह कार्य भारत की सांस्कृतिक एकता को सुदृढ़ बनाने में सहायक तो होगा ही, विश्व भर की संस्कृतियों से भारत का परिचय बढ़ाने में भी यह अपनी भूमिका अदा करेगा। अभी तो हम सिर्फ अंग्रेजी से हिंदी और हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद पर सीमित हैं, जो कि गलत नहीं है लेकिन यह हमारी गुलाम मनोवृत्ति का प्रतिफल है। आज भी हम भारतीयों को पता ही नहीं है कि रूस, चीन, फ्रांस, जापान, ईरान, अरब देशों और लातीनी अमेरिका में साहित्यिक और बौद्धिक क्षेत्रों में कौन-कौन से नए आयाम खुल रहे हैं।

अंग्रेजी की गुलामी का यह दुष्परिणाम तो है ही, इसके अलावा यह भी है कि अंग्रेजी में छपे साधारण लेखों और पुस्तकों को हम जरूरत से ज्यादा महत्व दे देते हैं। हमारे लिए बुकर सम्मान और नोबेल प्राइज हमारे भारत रत्न और ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी अधिक सम्मानित और चर्चित हो जाते हैं। गीताजंलि का उपन्यास ‘रेत-समाधि’ भारत-पाकिस्तान विभाजन की विभीषिका और उससे जुड़ी एक हिंदू और मुसलमान की अमर प्रेम-कथा पर केंद्रित है।

वह भारत के अत्यंत प्रतिष्ठित प्रकाशन गृह राजकमल ने छापा है तो वह उत्कृष्ट कोटि का तो होगा ही लेकिन सारे देश का ध्यान उस पर अब इसलिए जाएगा कि उसे हमारे पूर्व स्वामियों और पूर्व गुरुजन (अंग्रेजों) ने मान्यता दी है। भारत अपनी इस बौद्धिक दासता से मुक्त हो जाए तो उसे पता चलेगा कि उसने जैसे दार्शनिक, विचारक, राजनीतिक चिंतक, साहित्यकार और पत्रकार पैदा किए हैं, वैसे दुनिया के अन्य देशों में मिलने दुर्लभ हैं।

-डॉ. वेदप्रताप वैदिक

Related Post

Banshidhar

राज्यपाल ने भाजपा के वरिष्ठ सदस्य को दिलाई प्रोटैम स्पीकर पद की शपथ

Posted by - March 21, 2022 0
देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा (Uttarakhand Legislative Assembly) के विधायकों की शपथ का कार्यक्रम शुरू हो गया हैं। उत्तराखण्ड के राज्यपाल (Governor)…
CM Dhami

पर्यावरण संरक्षण के लिए डिजिटल डिपॉजिट रिफन्ड सिस्टम का शुभारंभ महत्वपूर्ण कदम: मुख्यमंत्री

Posted by - August 28, 2024 0
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने बुधवार को सचिवालय में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से संचालित प्लास्टिक…
दीपिका पल्लीकल

टॉप-10 रैंकिंग पहुंचने में मानसिक प्रशिक्षण का अहम रोल : दीपिका पल्लीकल

Posted by - May 30, 2020 0
मुंबई। प्रोफेशनल महिला स्क्वैश रैंकिंग में भारत की तरफ से सबसे पहले टॉप-10 में जगह बनाने वाली दीपिका पल्लीकल कार्तिक…