सिरोही। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि देश में महिलाओं की सुरक्षा एक अहम और गंभीर मुद्दा है। पॉस्को एक्ट के तहत यदि दुष्कर्म के आरोपित को दोषी ठहराया जाता है। तो उसे अपनी सजा कम करवाने व रियायत के लिए दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि संसद को इससे जुड़े कानून में संशोधन करना चाहिए।
President Ram Nath Kovind at an event in Sirohi, Rajasthan: Women safety is a serious issue. Rape convicts under POCSO Act should not have right to file mercy petition. Parliament should review mercy petitions. pic.twitter.com/sUiydWKwHI
— ANI (@ANI) December 6, 2019
लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत बनाने की जि़म्मेदारी हर अभिभावक की
बता दें कि राष्ट्रपति कोविंद शुक्रवार को सिरोही जिले के आबूरोड स्थित प्रजापिता ब्रह्माकुमारी संस्थान के शांतिवन परिसर पहुंचे थे। जहां पर आयोजित ‘महिला सशक्तिकरण से सामाजिक परिवर्तन’ विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।रामनाथ कोविंद ने कहा कि महिला सुरक्षा पर बहुत काम हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। बेटियों पर होने वाले आसुरी प्रहारों की वारदात देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख देती हैं। उन्होंने कहा कि लड़कों में महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को मजबूत बनाने की जि़म्मेदारी हर अभिभावक की होती है। यहां हजारों की संख्या में यहां उपस्थित राजयोगिनी महिलाओं का यह समूह पूरे विश्व के लिए महिला नेतृत्व की मिसाल है। इस राष्ट्रीय सम्मेलन के विषय बहुत ही प्रासंगिक हैं। उन्होंने कहा कि सामाजिक परिवर्तन के लिए महिला सशक्तिकरण को ब्रह्माकुमारी संस्था सही मायने में बहुत बड़े पैमाने पर अंजाम दे रही है। संभवत: यह महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली विश्व में सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था है।
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राष्ट्रपति ने कहा कि सब लोग मानते हैं कि शिक्षा सशक्तीकरण का आधार
राष्ट्रपति ने कहा कि सब लोग मानते हैं कि शिक्षा सशक्तीकरण का आधार है। महात्मा गांधी ने कहा था कि जब तक राष्ट्र की जननी स्वरूप हमारी स्त्रियां ज्ञानवान नहीं होंगी। उन्हें स्वतंत्रता नहीं मिलती है। उनसे संबंधित कानूनों एवं रीति-रिवाजों में अनुकूल परिवर्तन नहीं किए जाते तब तक राष्ट्र आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने कहा कि हम देखते हैं कि आज भी हमारे देश में महिलाओं की साक्षरता दर काफी कम है, लेकिन यह प्रसन्नता की बात है कि अब बालिकाओं की शिक्षा को सुविधाजनक बनाया जा रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ योजना के तहत कन्या भ्रूण हत्या तथा बाल विवाह को रोकने, स्कूलों में बेटियों की संख्या बढ़ाने। शिक्षा के अधिकार के नियमों को लागू करने और बेटियों के लिए स्कूलों में शौचालयों का निर्माण करने से छात्राओं को सहायता मिली है।
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि यह एक सामाजिक सत्य है कि जब आप एक बालक को शिक्षित बनाते हैं। तो उसका लाभ एक परिवार को मिलता है, लेकिन जब आप एक बालिका को शिक्षित बनाते हैं। इसका लाभ दो परिवारों को मिलता है। एक और महत्वपूर्ण सामाजिक तथ्य यह भी है कि शिक्षित महिलाओं के बच्चे अशिक्षित नहीं रहते। शिक्षित महिलाएं अपनी अगली पीढ़ी का बेहतर निर्माण करती हैं। नारी विकास केन्द्रित योजनाओं के कारण चाइल्ड सेक्स रेशियो में भी सुधार हो रहा है।
इस सुधार के लिए हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश और राजस्थान को केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। हरियाणा, उत्तराखंड और उत्तरप्रदेश के चाइल्ड सेक्स रेशियो में लगभग 35 प्वाइंट्स का सुधार हुआ है। यह एक बहुत महत्वपूर्ण सामाजिक परिवर्तन है। राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में 1000 बेटों पर 1003 बेटियां होना एक सुखद सामाजिक स्थिति है। कार्यक्रम को संस्थान की प्रमुख दादी जानकी और राजस्थान सरकार के मंत्री बीडी कल्ला समेत कई वक्ताओं ने भी संबोधित किया।