उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं। यही नहीं, उत्तर प्रदेश सरकार ने 15 मई तक उसने सभी स्कूल भी बंद कर दिये हैं। अधिकांश राज्यों ने सीबीएई द्वारा हाई स्कूल की परीक्षा रद कर दी गई है जबकि इंटर की परीक्षा टाल दी गई है। अधिकांश राज्यों ने परीक्षाएं स्थगित कर दी है। यह सकारात्मक निर्णय है।
जगजाहिर है कि कोरोना के चलते साल भर बच्चे अध्ययन नहीं कर पाए हैं। कुछ कॉलेजोंने आॅनलाइन क्लासेज चलाई भी हैं लेकिन उसका लाभ कितने बच्चों को मिला है, यह भी किसी से छिपा नहीं है। कोविड-19 के मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आईबी) ने देश में अपनी सभी परीक्षाएं बृहस्पतिवार को रद्द करने का फैसला किया।
आधा दर्जन राज्यों ने बोर्ड परीक्षाएं टालीं
देश में 185 ऐसे स्कूल हैं जो आईबी के पाठ्यक्रम का अनुसरण करते हैं। विदेश में स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक छात्र या जिनके अभिभावकों का दूसरे देशों में स्थानांतरण होता रहता है वे परीक्षा के लिए इस बोर्ड को चुनते हैं। सरकारी उदासीनता, लापरवाही और आसन्न खतरे की अनदेखी ने एक बार फिर देश को ऐसे गहरे संकट में डाल दिया है जिससे उबरने के लिए न सिर्फ एकजुट होकर प्रयास करना होगा।
लंबे समय बाद महामारी से उबरने का प्रयास कर रहे देश को दूसरी लहर की भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। गौरतलब है कि पहली लहर में 68 दिनों का जो लॉकडाउन लगाया गया उससे देश गंभीर संकट में फंस गया था।
उप्र बोर्ड की परीक्षाएं 20 मई तक स्थगित, 15 मई तक बंद रहेंगे सभी स्कूल
अर्थव्यवस्था को करीब तीस लाख करोड़ का नुकसान हुआ। 12 करोड़ रोजगार चले गये, कई स्थापित औद्योगिक समूह दिवालिया हो गये और संकट से अर्थव्यवस्था को उबारने के लिए 30 लाख करोड़ का राहत पैकेज देना पड़ा। बहरहाल अब एक बार फिर देश संकट में है और यह हमारी लापरवाही का नतीजा है। इसलिए इस संकट से निपटने के लिए जरूरी है कि देश एक बार फिर से विवेकपूर्ण फैसलों, संयम और आपसी सहकार के जरिए महामारी के दुष्चक्र से उबरने की कोशिश करे।
देश में एक साथ कई ऐसी गतिविधियां चल रही हैं जिससे कोराना को खाद-पानी मिल रहा है। विधान सभा चुनाव, उ. प्र. में पंचायत चुनाव, कुंभ मेला, बाजारों में भीड़, किसानों का धरना-प्रदर्शन और आगामी दिनों में देश के तमाम राज्यों की बोर्ड परीक्षाएं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक एवं शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर सीबीएसई की 4 मई से प्रस्तावित परीक्षा को टाल दिया है। इसमें कक्षा दस की परीक्षा को रद कर दिया गया है और कक्षा 12 की परीक्षा को करीब डेढ़ महीने तक टालने का फैसला किया गया है।
12वीं की परीक्षा को लेकर सीबीएसई बोर्ड 1 जून को समीक्षा करेगा और उस समय की परिस्थितियों के अनुसार फैसला करेगा। सीबीएसई परीक्षा को स्थगित कर सरकार ने सकारात्मक पहल की है, अब चुनावी रैलियों, यूपी पंचायत चुनाव, धरना-प्रदर्शन, धर्म स्थलों पर जमावड़ा और सभी बोर्ड परीक्षाओं को भी स्थगित करने या फिर रद करने की पहल करनी चाहिए। तीन घंटे की परीक्षा के बजाय पूरे साल की पढ़ाई के आधार पर मूल्यांकन करके छात्रों को प्रमोट करने के साथ ही उचित ग्रेड देना चाहिए। दरअसल कोरोना की पहली लहर के कुछ कमजोर होने के साथ ही लोग बहुत अधिक लापरवाह हो गये थे और यह एक तरह से खतरे की अनेदखी थी।
क्योंकि जिन देशों में कोरोना की पहली लहर शांत हो गयी थी वहां कुछ दिन बाद दूसरी लहर ने दस्तक दी और वह ज्यादा घातक रही। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही कोरोना की तीन-चार लहर आ चुकी थी। ऐसे में अगर हमने सबक सीखा होता तो आज इस दुर्गति के शिकार नहीं होते। बहरहाल अब संकट सिर पर है इसलिए गलतियों को खुरेदने से काम नहीं चलेगा बल्कि पूरी सजगता के साथ कोरोना के साथ जीना होगा।
सरकार जहां कोरोना रोकने, लोगों के इलाज और वैक्सीनेशन पर फोकस करे वहीं आम आदमी लंबे समय तक सावधानी बरतने का संकल्प ले तभी कोरोना से हम अच्छी तरह निपट सकेंगे। बच्चे इस देश का भविष्य हैं। उनके स्वास्थ्य की चिंता रखी जानी चाहिए लेकिन यह भी सोचा जानाचाहिए कि वे ज्ञानार्जन के क्षेत्र में लुंज-पुंज न रह जाएं।
जिस तरह कोरोना का दिनों- दिन संक्रमण बढ़ रहा है, उससे अभी कितने दिन यह समस्या रहेगी कहा नहीं जा सकता। संक्रमण की श्रृंखला टूटनी चाहिए लेकिन बच्चे ज्ञानार्जन से वंचित न हों, प्रबंध तो इसके भी होने चाहिए। परीक्षा टालना विकल्प नहीं है। सही मायने में यह सत्ताशीर्ष पर बैठे लोगों की परीक्षा है कि वे नौनिहालों का भविष्य कैसे उज्जवल और चमकदार बनाएंगे।
                        
                
                                
                    
                    
                    
                    
                    
