एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ओबीसी आरक्षण को लेकर केंद्र पर परोक्ष निशाना साधा। उन्होंने कहा- कई लोगों ने सोचा कि राज्य सरकार द्वारा आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन उन्हें भ्रमित किया जा रहा है। एनसीपी प्रमुख पवार ने कहा कि कोर्ट पूर्व में फैसला दे चुकी है कि 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। पवार के अनुसार इसका कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि लगभग सभी राज्य 50 फीसदी की सीमा पार कर चुके हैं।
अब केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य ओबीसी आरक्षण को लेकर सूची तैयार कर सकते हैं और अपने स्तर पर निर्णय कर सकते हैं। एनसीपी प्रमुख पवार ने यह भी कहा कि पिछले सप्ताह राज्यसभा में हंगामे के दौरान मार्शल बुलाना सांसदों पर परोक्ष हमला था।अब केंद्र सरकार ने कहा है कि राज्य ओबीसी आरक्षण को लेकर सूची तैयार कर सकते हैं और अपने स्तर पर निर्णय कर सकते हैं। पवार के अनुसार इसका कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि लगभग सभी राज्य 50 फीसदी की सीमा पार कर चुके हैं। यह मुद्दा जनता के सामने लाना जरूरी है।
एनसीपी प्रमुख पवार ने यह भी कहा कि पिछले सप्ताह राज्यसभा में हंगामे के दौरान मार्शल बुलाना सांसदों पर परोक्ष हमला था। उन्होंने कहा कि सात केंद्रीय मंत्रियों को मीडिया के सामने आकर सरकारी की ओर से सफाई देना पड़ी इसका मतलब है कि उनका विकेट कमजोर था। मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा कि उनके 54 साल के संसदीय जीवन में ऐसा कभी नहीं देखा कि 40 मार्शलों ने सत्र के दौरान किसी सदन में प्रवेश किया हो।
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पवार ने यह भी कहा कि इस आरोप की जांच होना चाहिए कि सदन में बाहरी लोगों ने प्रवेश किया। एनसीपी प्रमुख ने मांग की कि कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी, पी. चिदंबरम व कपिल सिब्बल को पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए बनाई जाने वाली संसदीय कमेटी में शामिल किया जाना चाहिए।