नागपुर। राज्यसभा में भी नागरिकता संशोधन विधेयक पारित होने पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने स्वागत किया है। संघ के सरकार्यवाह सुरेश उपाख्य भैय्याजी जोशी ने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का अभिनंदन किया है। इसके साथ ही भैय्याजी ने विश्वास जताया कि इस बिल के पारित होने से पीड़ित, शोषित हिन्दुओं को न्याय और अधिकार मिलेंगे।
विपक्षी दलों की ओर से लगातार विरोध के बावजूद भारतीय नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा और राज्यसभा में बहुमत से पारित हो गया है। अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह विधेयक कानून बनकर लागू हो जाएगा। इसके बाद बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिन्दुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बगैर वैध दस्तावेज के भी भारतीय नागरिकता हासिल करने का रास्ता साफ हो जाएगा।
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भैय्याजी जोशी ने कहा कि भारत को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद धर्म के आधार पर देश का विभाजन हुआ। इसके बाद 1955 में भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने नागरिकता संशोधन अधिनियम लाने का फैसला किया, लेकिन पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसे देशों में अल्पसंख्यक हिन्दू समाज को निरंतर रूप से प्रताड़ना झेलनी पड़ी। इन देशों की जनसंख्या के आंकड़े बताते हैं कि बीते 70 वर्षों में वहां की आबादी से निरंतर हिन्दू घटते गए और काफी लोग भारत की शरण में आ गए।
भैय्याजी जोशी ने कहा कि बाहर से हमारे देश में आने वाले लोगों को शरणार्थी कहा जाता है ,लेकिन इन देशों से प्रताड़ित वर्ग भारत के अलावा अन्य किसी देश की शरण में नहीं जा सकता था। इसलिए आत्म सम्मान और सुरक्षा की अपेक्षा करते हुए निरंतर रूप से यह लोग भारत का रूख करते रहे लेकिन कानूनी प्रावधान के अभाव में इन लोगों को भारत की नागरिकता से वंचित रहना पड़ा। संघ का मानना है कि ऐसे लोगों को घुसपैठिया न कहते हुए शरणार्थी मानना चाहिए। जोशी ने ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस बिल के पारित होने पर बाहर से आए हिन्दुओं तथा अन्य समुदाय के लोगों को लंबी प्रतीक्षा के बाद न्याय मिला है।
असम तथा पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों में हो रहे हिंसक प्रदर्शन पर सरकार्यवाह ने कहा कि इस बिल को लेकर फैलाई गई भ्रांतियों के चलते ऐसी घटनाएं हो रही हैं। हालांकि गृहमंत्री ने संसद में कहा है कि भारत में रहने वाले किसी भी समुदाय के साथ अन्याय नहीं होगा। सरकार्यवाह ने कहा कि केंद्र सरकार को पहल करके पूर्वोत्तर के राज्यों में इस बिल के बारे में फैली गलत धारणाओं को दूर करते हुए शांति स्थापित करने के प्रयास तेज होने चाहिए।