CS Upadhyay

चाकूओं की पसलियों से गुजारिश तो देखिए : चंद्रशेखर उपाध्याय

372 0

देहरादून। ‘हिन्दी से न्याय’ इस देशव्यापी अभियान के नेतृत्व पुरुष-न्यायविद चन्द्रशेखर पण्डित भुवनेश्वर दयाल उपाध्याय (CS Upadhyay) ने हिंदी पत्रकारिता दिवस (Hindi Journalism Day) के अवसर पर  पत्रकारों को अपनी हार्दिक शुभकामना देते हुए कहा  कि जब कलम तोप के मुकाबिल हो तो अखबार निकालना चाहिए।  उन्होंने(CS Upadhyay) कहा कि  हम शब्दवंशियों का युद्ध लोकतंत्री कहे जा सकने वाले राजवंशी टाइप की मानसिकता वाले लोगों से है। कुछ लोगों का संदेश है कि पूंजी और शब्दवंशियों के बीच चली आ रही पुरानी दुश्मनी को खत्म कर दिया जाना चाहिए।  ये दीगर है कि पूंजी और शब्दवंशियों की अन्योन्या श्रितता या मित्रता पुरानी है लेकिन वह कुछ ऐसी रही कि उसके नाजायज होने की ओर नजर कम ही जाती रही है।

उन्होंने (CS Upadhyay) कहा कि प्रायः शब्दवंशियों के हल्कों में यह सवार्नुमति सी ही है कि थोड़े बहुत इमदाद जरूरी है जो ले लेनी चाहिए। लेकिन छोटे स्तर पर, जमीनी स्तर पर शब्दवंशियों के चेहरे पर तकलीफ की हल्की सी लकीर खींची हुई हमेशा देखी जा सकती है कि हमें समझौता करना पड़ा है, एक मुक्ति-बोधीय किस्म का अपराध-बोध जमीनी स्तर पर आम  रहा  है।

इसलिए आज के इस मौके पर मेरी ‘खास’ से अपील होगी कि वो ‘आम’ को कविता लिखने दें, लतीफे सुनाने, लिखने-दिखाने का उन्हें अभ्यस्त न बनाएं, उन्हें जहर गटकने के लिए विवश न करें। मैं हस्तिनापुर का हिस्सा रहा हूं, और आज भी हूं। आपकी बिरादरी में ही कई वर्ष बिताने के बाद हस्तिनापुर के सिंहासन का हिस्सा बना हूँ, मैंने रात के काले स्याह अँधेरे में समझौते होते हुए देखे हैं। मेरी खास से अपील होगी कि कुछ इमदाद के बदले थोड़ा झुकें जरूर, लेकिन रेंगे नहीं।

देश दुनिया में तेजी से उभर रहे आईटी सेक्टर का हब बन रहा यूपी

उन्होंने (CS Upadhyay) कहा कि  मुझे मालूम है कि किन-किन लतीफों को रोका जाता है, किन-किन को लिखा जाता है। सरकारी विज्ञप्तियां खबर नहीं है, खबर मिलेगी, गाँव की मेड़-मड़ियांव से, शहर के गर्द-गुबार भरे मोहल्लों से, आखिरी आदमी से, जहाँ जाना हमने छोड़ दिया है, वातानुकूलित कक्षों से निकलकर वातानुकूलित कक्षों में पहुंचकर लतीफे बटोरने से अच्छा है कि कविता को ही तलाशें, जो हमारा कुलधर्म है। सरकारों में रहते जब मैं अपने मित्रों को कविता की जगह लतीफे लिखते-दिखाते, और सुनाते हुए देखता हूं, जहर गटकते हुए देखता हूं, तो मन खिन्न हो जाता है और दुष्यंत याद आते हैं ।

‘उनकी अपील है कि हम उन्हें मदद करें, चाकूओं की पसलियों से गुजारिश तो देखिए’

Related Post

CM Dhami honored mountaineer Rohit Bhatt

सीएम धामी ने माउंट एवरेस्ट को फतेह करने वाले पर्वतारोही रोहित भट्ट को किया सम्मानित

Posted by - June 5, 2025 0
देहारादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (CM Dhami) ने माउंट एवरेस्ट को विजय करने वाले युवा पर्वतारोही श्री रोहित भट्ट को…

…जो बीत गया, वो रीत गया

Posted by - April 12, 2022 0
देहारादून। वर्ष 2012, देश में राजनीतिक-परिवर्तन की सुगबुगाहट थी, अमित शाह (Amit Shah) का नई-दिल्ली के भोगल स्थित फ्लैट। एक…
sanjay raut

महाराष्ट्र से देश में परिवर्तन की शुरुआत हुई और हमारा मिशन पूरा : संजय राउत

Posted by - November 27, 2019 0
मुंबई। महाराष्ट्र में मंगलवार को तेजी से बदले सियासी हालात के बाद आखिकार उद्धव ठाकरे को महा विकास आगाड़ी का…
CM Yogi

गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में मुख्यमंत्री योगी ने की गोसेवा

Posted by - April 5, 2024 0
गोरखपुर। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दायित्वों की व्यस्तता के बीच गोरखपुर प्रवास के दौरान शुक्रवार की सुबह मुख्यमंत्री…
आज़म खान

आज़म खान और अब्दुल्ला का रामपुर जेल बैरक नंबर-1 होगा नया पता

Posted by - February 26, 2020 0
रामपुर। रामपुर कोर्ट ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में बुधवार को समाजवादी पार्टी के सांसद आज़म खान, उनके बेटे अब्दुल्ला…