जीवन के 90 बसंत पूरे कर चुकीं लता कुछ इस प्रकार बन गयीं स्वर कोकिला

803 0

मुंबई। अपनी आवाज़ के जादू से लोगों को दीवाना बनाने वाली स्वर कोकिला लतां मगेंशकर आज 90 वर्ष की हो गयीं। लता मंगेशकर हमेशा से ही ईश्वर के द्वारा दी गई सुरीली आवाज़, जानदार अभिव्यक्ति व बात को बहुत जल्द समझ लेने वाली अविश्वसनीय क्षमता का उदाहरण रहीं हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण उनकी इस प्रतिभा को बहुत जल्द ही पहचान मिल गई थी। लेकिन पाँच वर्ष की छोटी आयु में ही आपको पहली बार एक नाटक में अभिनय करने का अवसर मिला। शुरुआत अवश्य अभिनय से हुई किंतु आपकी दिलचस्पी तो संगीत में ही थी।

कुमारी लता दीनानाथ मंगेशकर का जन्म इंदौर, मध्यप्रदेश में 28 सितम्बर, 1929 को हुआ था। लता मंगेशकर का नाम विश्व के सबसे जाने माने लोगों में आता है। लता मंगेशकर के पिता दीनानाथ मंगेशकर एक कुशल रंगमंचीय गायक थे। दीनानाथ जी ने लता को तब से संगीत सिखाना शुरू किया, जब वे पाँच साल की थी। उनके साथ उनकी बहनें आशा, ऊषा और मीना भी सीखा करतीं थीं। लता ‘अमान अली ख़ान साहिब’ और बाद में ‘अमानत ख़ान’ के साथ भी पढ़ीं।

1942 ई. में हृदय-गति के रुक जाने से उनके पिता का देहांत हो गया। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही लता जी को परिवार की सारी ज़िम्मेदारियाँ अपने नाज़ुक कंधों पर उठानी पड़ी। अपने परिवार के भरण पोषण के लिये उन्होंने 1942 से 1948 के बीच हिन्दी व मराठी में क़रीबन 8 फ़िल्मों में काम किया। इन में से कुछ के नाम हैं: “पहेली मंगलागौर” 1942, “मांझे बाल” 1944, “गजाभाऊ” 1944, “छिमुकला संसार” 1943, “बडी माँ” 1945, “जीवन यात्रा” 1946, “छत्रपति शिवाजी” 1954 इत्यादि। लेकिन आपकी मंज़िल तो संगीत ही थी और उनके पार्श्व गायन की शुरुआत 1942 की मराठी फ़िल्म “कीती हसाल” से हुई। दुर्भाग्यवश यह गीत काट दिया गया और फ़िल्म में शामिल नहीं हुआ।

सफलता की राह कभी भी आसान नहीं होती है। लता जी को भी अपना स्थान बनाने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पडा़। कई संगीतकारों ने तो आपको शुरू-शुरू में पतली आवाज़ के कारण काम देने से साफ़ मना कर दिया था। उस समय की प्रसिद्ध पार्श्व गायिका नूरजहाँ के साथ लता जी की तुलना की जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे अपनी लगन और प्रतिभा के बल पर आपको काम मिलने लगा।

संगीत के क्षेत्र में उनके अद्भुत योगदान के लिए उन्हें फ़िल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 और 1994),राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 और 1990), महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 और 1967), सन 1969 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

सन 1989 में उन्हें फ़िल्म जगत का सर्वोच्च सम्मान ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ दिया गया। सन 1993 में फ़िल्म फेयर के ‘लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। सन 2001 में भारत सरकार ने उनकी उपलब्धियों को सम्मान देते हुए देश के सर्वोच्च पुरस्कार “भारत रत्न” से उनको विभूषित किया।

Related Post

उन्नाव जमीन अधिग्रहण मामला

उन्नाव जमीन अधिग्रहण मामला, भड़के किसानों ने पावर हाउस में लगाई आग

Posted by - November 17, 2019 0
लखनऊ। यूपी में उन्नाव के शुक्लागंज क्षेत्र में किसानों और पुलिस के बीच जमीन अधिग्रहण का मामला बढ़ता जा रहा…

इन बिमारियों की वजह से कुल एक लाख 36 हजार करोड़ की दवाएं हर साल बिक रहीं

Posted by - October 27, 2019 0
हेल्थ डेस्क। प्रतिदिन बिमारियों को लेकर एक बड़ा मुद्दा हमारे सामने आ रहा है। कैंसर, डायबिटीज, पेट की समस्या जैसी…

इस अंदाज में स्वर्ण मंदिर पहुंचीं जाह्नवी, बोलीं- ‘भारत जैसी कोई जगह नहीं’

Posted by - November 8, 2019 0
बॉलीवुड डेस्क। फिल्म ‘दोस्ताना 2’ की शूटिंग की शुरुवात से पहले बॉलीवुड अभिनेत्री जाह्नवी कपूर अमृतसर पहुंचीं जहां उन्होंने सबसे…
देखें अपने राज्य का हेल्पलाइन नंबर

कोरोना वायरस को लेकर घबराएं नहीं, यहां देखें अपने राज्य का हेल्पलाइन नंबर

Posted by - March 26, 2020 0
नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस महामारी के मामले दिन प्रतिदिन बढ़ते ही जा रहे हैं। केंद्र के साथ-साथ राज्य…
Sonu Sood helped Gorakhpur's student Pragya

सोनू सूद ने गोरखपुर की छात्रा प्रज्ञा के दोनों पैरो के ऑप्रेशन कराने में की मदद

Posted by - August 18, 2020 0
बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने गोरखपुर की एक छात्रा के दोनों पैरों के ऑप्रेशन कराने में मदद की है। लड़की…