नई दिल्ली। कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। इससे दुखद खबरें ज्यादा सुखद आती ही नहीं है। इसी बीच लॉकडाउन से परेशान गुरुग्राम से पिता को साइकिल पर बैठाकर 1200 किमी की दूरी तय कर बिहार के दरभंगा पहुंचने पर ज्योति इस समय सुर्खियों में हैं। ज्योति के प्यार की वीरगाथा सात समुंदर पार तक पहुंच गई है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप ने ट्वीट कर ज्योति की तारीफ की है।
https://twitter.com/IvankaTrump/status/1263828899575758849
इवांका ने ट्वीट कर कहा कि 15 साल की ज्योति कुमारी अपने जख्मी पिता को साइकिल से सात दिनों में 1,200 किमी दूरी तय करके अपने गांव ले गई। इवांका ने आगे लिखा कि सहनशक्ति और प्यार की इस वीरगाथा ने भारतीय लोगों और साइकलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
इसकी खबरें में मीडिया में में आने के बाद भारतीय साइकिलिंग महासंघ (सीएफआई) के निदेशक वीएन सिंह ने ज्योति को क्षमतावान करार देते हुए कहा कि महासंघ उसे ट्रायल का मौका देगा। अगर वह सीएफआई के मानकों पर थोड़ी भी खरी उतरती है तो उसे विशेष ट्रेनिंग और कोचिंग मुहैया कराई जाएगी।
बता दें कि ज्योति लॉकडाउन में अपने पिता मोहन पासवान को साइकिल पर बिठाकर एक हजार किमी से ज्यादा की दूरी आठ दिन में तय करके गुरुग्राम से बिहार के दरभंगा पहुंच गई थी। ज्योति ने रोजाना 100 से 150 किमी साइकिल चलाई।
वीएन सिंह ने बताया कि महासंघ हमेशा प्रतिभावान खिलाड़ियों की तलाश में रहता है। उन्होंने कहा कि अगर ज्योति में क्षमता है तो उसकी पूरी मदद की जाएगी। वीएन सिंह ने से कहा कि अगर लड़की में इस तरह की क्षमता है तो हम उसे जरूर मौका देंगे। आगे उसे ट्रेनिंग और कोचिंग शिविर में डाल सकते हैं। उससे पहले हालांकि हम उसको परखेंगे। अगर वह हमारे मापदंड पर खरी उतरती है तो उसकी पूरी सहायता करेंगे। विदेशों से आयात की गई साइकिल पर उसे ट्रेनिंग कराएंगे।
वीएन सिंह ने स्वीकार किया कि 15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100 किमी से अधिक साइकिल चलाना आसान काम नहीं है। उन्होंने कहा कि 14-15 साल की बच्ची के लिए रोजाना 100-150 किमी साइकिल चलाना आसान नहीं है। मैं मीडिया में आई खबरों के आधार पर ही बोल रहा हूं लेकिन अगर उसने सचमुच में ऐसा किया है तो वह काफी सक्षम है।
उन्होंने कहा कि उसने अपने पिता को भी साइकिल पर बैठा रखा था और उसके पास छोटा-मोटा सामना भी रहा होगा। इसलिए उसने जो किया वह काबिलेतारीफ है। खेल की जरूरत के अनुसार वह सक्षम है या नहीं, इसका फैसला हम टेस्ट के बाद ही कर पाएंगे। उस टेस्ट में अगर हमारे मापदंड पर वह थोड़ी सी भी खरी उतरती है तो हम उसकी पूरी सहायता करेंगे और उसे विशेष कोचिंग दी जाएगी।