विकास दर

भारत में शून्य से पांच प्रतिशत कम रहेगी विकास दर : क्रिसिल

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मुंबई । कोविड-19 के मद्देनजर लागू देशव्यापी लॉकडाउन के कारण चालू वित्त वर्ष में देश की अर्थव्यवस्था में पांच प्रतिशत का संकुचन देखा जा सकता है। जबकि गैर-कृषि क्षेत्र की विकास दर शून्य से 6.3 प्रतिशत नीचे रहने का अनुमान है।

बाजार अध्ययन एवं साख निर्धारक एजेंसी क्रिसिल के तरफ से मंगलवार को जारी रिपोर्ट में यह बात कही गयी है। इसमें कहा गया हैै कि आजादी के बाद से अब तक तीन ही बार देश ने मंदी का सामना किया है यानी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की विकास दर शून्य से नीचे रही है।

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वित्त वर्ष 1957-58 में जीडीपी में 1.2 प्रतिशत, 1965-66 में 3.7 प्रतिशत और 1979-80 में 5.2 प्रतिशत का संकुचन रहा था। चालू वित्त वर्ष में जीडीपी में पाँच फीसदी गिरावट की आशंका है और यदि लॉकडाउन लंबा चलता है तो देश सबसे बड़ी ऐतिहासिक मंदी की तरफ भी बढ़ सकता है।

रिपोट में कहा गया है कि आज हम जिस मंदी का सामना कर रहे हैं वह पूर्व की तुलना में अलग है। इस समय यदि मानसून सामान्य रहा तो कृषि क्षेत्र के कारण मंदी कुछ कम रहेगी। पहले तीन मौकों पर सूखे के कारण कृषि क्षेत्र का जीडीपी घटने से मंदी आयी थी। इस बार लॉकडाउन के कारण सभी गैर-कृषि क्षेत्र प्रभावित हुये हैं। साथ ही दुनिया के तमाम देशों के महामारी के चपेट में आने से निर्यात के मोर्चे पर भी कोई उम्मीद नहीं है।

वित्त वर्ष 1957-58 में कृषि क्षेत्र की विकास दर शून्य से 4.5 प्रतिशत नीचे रही थी। वर्ष 1965-66 में कृषि क्षेत्र में 11 प्रतिशत और 1979-80 में 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गयी थी। वहीं इन तीनों मौकों पर गैर कृषि क्षेत्र में क्रमश: 3.6 प्रतिशत, 4.4 प्रतिशत और 0.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी थी।

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