Fatima

मौत को मात देकर फातिमा ने खेल में की वापसी, पढ़ें पूरी कहानी

1601 0

मेरठ। मेरठ की एक खिलाड़ी के साथ 2016 में ऐसा भीषण सड़क हादसा हुआ। जिसके बाद वह कई महीनों तक कोमा में थी। होश आया तो फातिमा (Fatima) ने खुद को व्हील चेयर पर पाया। इसके बावजूद इस खिलाड़ी के हौंसले कम नहीं हुए हैं। पैरा खेलों में उसने राष्ट्रीय स्तर पर कई पदक जीते, फिर अंतर्राष्ट्रीय फलक पर भी भारत का तिरंगा शान से लहराया है।

आज भी ये खिलाड़ी स्टेडियम में पसीना बहाती हुई नजर आती है। भाला फेंक में ओलंपिक पदक जीतना इस खिलाड़ी का लक्ष्य है। फातिमा (Fatima)  का कहना है कि उसकी हड्डियां टूटी थीं हौंसला नहीं।

अगर किसी का भयानक एक्सीडेंट हुआ हो। शरीर में 196 घाव हुए हों। 11 प्लेट पड़ी हों। शरीर का कोई अंग टूटे बिना बचा न हो। कई महीनों तक कोमा में रहा हो, तो उसके बारे में हर व्यक्ति यही कहेगा कि भगवान ही उसका सहारा होगा। जी हां, मेरठ की रहने वाली एक खिलाड़ी की ईश्वर और उसके हौंसले ने ही मदद की। ये कहानी है पैरा खेलों की चैंपियन फातिमा की।

फातिमा (Fatima) के सपने उड़ान भर रहे थे, लेकिन उसकी ज़िन्दगी में ऐसा तूफान आया कि सब कुछ तहस नहस हो गया। एक साल तक वो बिस्तर से उठ नहीं पाई, लेकिन हिम्मत देखिए एक साल बाद जब फातिमा उठी तो फिर उठ खड़ी हुईं। सीधा खेल के मैदान में पहुंच गई।

फिल्म ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ का नाम बदलकर हुआ ‘लक्ष्मी’, जानें इसकी वजह

5 जुलाई 2017 से फातिमा ने खेलों की दुनिया में अपना मुकाम तलाशना शुरू किया वो डिस्कस और शॉटपुट खेल खेलने लगीं। हिम्मत लगन और हौसले का परिणाम देखिए। चंद महीनों में ही वह स्टेट चैंपियन और फिर नेशनल चैंपियन बन गईं। यही नहीं, उन्‍होंने फिर इंटरनेशनल स्तर पर चीन में आयोजित हुए ग्रांडप्री प्रतियोगिता में ब्रांज मेडल जीता।

बिजली विभाग में स्टेनोग्राफर के पद पर तैनात इस बेटी ने कभी सोचा नहीं था कि वो खेलों की दुनिया में अपना करियर बनाएगी, लेकिन किस्मत को शायद यही मंजूर था। पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद उसकी नौकरी लग गई थी, लेकिन 2016 में उसके साथ ऐसा हादसा हुआ। उसकी पूरी दुनिया ही बदल गई। फातिमा व्हील चेयर पर आ गईं, लेकिन कहते हैं न कि गुरु आपकी ज़िन्दगी बदल सकता है। फातिमा को संघर्ष के दिनों में गौरव त्यागी जैसे कोच मिले, जिन्होंने उसकी प्रतिभा को पहचाना और उसे अंतर्राष्ट्रीय फलक तक पहुंचा दिया।

कोलकाता इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की नई तारीखों का ऐलान

सड़क हादसे के पहले फातिमा का खेलों से कोई नाता नहीं था। हादसे के बाद वो कभी कभी ऑफिस से निकलते वक्त भामाशाह पार्क आया करती थीं। जुलाई 2017 को उनकी मुलाकात गौरव त्यागी से हुई। गौरव ने उन्हें पैरा खेलों में भाग्य आजमाने को कहा है। आज फातिमा आत्मविश्वास से लबरेज़ हैं और यही उनकी ताकत है। फातिमा को देखकर कई और दिव्यांग पैरा खिलाड़ी मेरठ के कैलाश प्रकाश स्पोर्ट्स स्टेडियम में प्रैक्टिस करते दिख जाते हैं।

फातिमा ने 2018 में आयोजित पैरा स्टेट प्रतियोगिता में एक साथ तीन गोल्ड मेडल जीते थे। उन्होंने डिस्कस थ्रो शॉटपुट और जैवलिन थ्रो में पदक जीते थे। इसके बाद चंडीगढ़ में पैरा नेशनल में सिल्वर मेडल। फिर 2019 में अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता ग्रांडप्री में ब्रांज मेडल जीता। अब फातिमा को पूर्ण विश्वास है कि वो देश का तिरंगा ओलंपिक जैसे मंच पर जरूर लहराएंगी।

Related Post

CM Vishnudev

हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं जीवन में उल्लास भी भरती हैं: सीएम साय

Posted by - November 15, 2024 0
रायपुर। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CM Vishnudev) ने गुरुवार की देर रात कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर राजधानी रायपुर के…
Jan Aushadhi kendra

सरकारी जन औषधि केंद्रों पर लगे ताले, प्राइवेट जनऔषधि केंद्रों से लाइव जुड़ेंगे पीएम

Posted by - March 6, 2021 0
लखनऊ। देशभर में इस समय जन औषधि दिवस (Jan Aushadhi Diwas 2021) समारोह मनाया जा रहा है। रविवार को प्रधानमंत्री…