Chandrashekhar Herbola

पंच तत्व में विलीन हुए शहीद चंद्रशेखर हर्बोला

206 0

हल्द्वानी। सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान शहीद हुए चंद्रशेखर हर्बोला (Chandrashekhar Herbola) बुधवार को पंच तत्व में विलीन हो गए। दोपहर बाद पूरे सैनिक सम्मान के साथ रानीबाग स्थित चित्रशिला घाट पर उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

शहीद चंद्रशेखर हर्बोला (Chandrashekhar Herbola) के पार्थिव शरीर को उनकी दोनों बेटियों ने नम आंखों से मुखाग्नि दी और सेना के जवानों ने शहीद चंद्रशेखर को गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस दौरान लोग शहीद चंद्रशेखर अमर रहे के नारे लगाते रहे। अंतिम संस्कार के दौरान शासन-प्रशासन और सेना के अफसरों के साथ बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

आज ही 24 वर्षीय शहीद चंद्रशेखर (Chandrashekhar Herbola) का पार्थिव शरीर डहरिया, धान मिल स्थित उनके आवास पर पहुंचा था। यहां पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, जिले की प्रभारी मंत्री रेखा आर्य, सैनिक कल्याण गणेश जोशी, कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत, डीएम नैनीताल धीराज गर्ब्याल, एसएसपी पंकज भट्ट, एसडीएम मनीष कुमार समेत क्षेत्र के लोगों ने उनको अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को याद किया।

38 साल बाद मिले शहीद लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला का पार्थिव शरीर बुधवार दोपहर उनके घर हल्द्वानी पहुंचा था। शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर पहले हल्द्वानी के आर्मी ग्राउंड हेलीपैड पर पहुंचा। इसके बाद शहीद चंद्रशेखर के पार्थिव शरीर को सड़क मार्ग से सरस्वती विहार धान मिल उनके आवास पर लाया गया। पार्थिव शरीर उनके आवास पर पहुंचते ही पूरा क्षेत्र भारत माता की जयकारों से गूंज उठा। चंद्रशेखर के पार्थिव शरीर को देखकर परिवार के लोग रोने लगे। गांव के लोग भी गमगीन हो गए।

38 साल बाद घर पहुंचा शहीद का पार्थिव शरीर, सीएम धामी देंगे उत्तराखंड के लाल को श्रद्धांजलि

सीएम धामी भी शहीद चंद्रशेखर हर्बोला के अंतिम दर्शन और श्रद्धांजलि देने के लिए उनके घर पहुंचे थे। उन्होंने शहीद के परिवार के लोगों से मुलाकात की और उन्होंने सांत्वना दी। अभी परिवार और भारी संख्या में आसपास के लोग शहीद के पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन कर रहे हैं। इसके बाद शहीद चंद्रशेखर का पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

गौरतलब है कि सियाचिन ग्लेशियर पर अक्साई चिन की ओर चीन और पाकिस्तान के स्याला बिल्ला पहाड़ी की ओर पुल बनाने की सूचना पर भारतीय सेना के ऑपरेशन मेघदूत के तहत श्रीनगर से वह लोग पैदल सियाचिन गए थे। इस लड़ाई में प्रमुख भूमिका 19 कुमाऊं रेजीमेंट ने निभाई थी। शहीद चंद्रशेखर हर्बोला 19 कुमाऊं रेजीमेंट ब्रावो कंपनी में थे और लेंफ्टिनेंट पीएस पुंडीर के साथ 16 जवान हल्द्वानी के ही नायब सूबेदार मोहन सिंह की आगे की पोस्ट पर कब्जा कर चुकी टीम को मजबूती प्रदान करने जा रहे थे।

इसी दौरान 29 मई 1984 की सुबह 4 बजे आए एवलांच यानी हिमस्खलन में पूरी कंपनी बर्फ के नीचे दब गई थी। इसमें लांस नायक चंद्रशेखर हर्बोला भी दबकर गए थे और इसके बाद उनका कुछ पता नहीं चल सका था। इस समय चंद्रशेखर की आयु 28 वर्ष थी। इस लड़ाई में भारतीय सेना ने सियाचिन के ग्योंगला ग्लेशियर पर कब्जा किया था। अब तक 14 शहीदों के पार्थिव शरीर ही मिल पाए हैं। जबकि कुछ शहीदों के पार्थिव शरीर अब भी नहीं मिल पाए हैं।

Amul ने खास अंदाज में दी राकेश झुनझुनवाला को श्रद्धांजलि

Related Post

Snigdha

लाइलाज बीमारी भी नहीं तोड़ सकी स्निग्धा का हौसला, बना रहीं हैं तरक्की की राह

Posted by - January 24, 2021 0
गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर जिले की बेटी स्निग्धा (Snigdha) को लाइलाज बीमारी मेजर थैलेसीमिया जूझ रही है। इसके बावजूद स्निग्धा…
CROWD IN KUMBH

केंद्र सरकार ने महाकुंभ में कोरोना टेस्टिंग की संख्या को बताया नाकाफी

Posted by - March 21, 2021 0
देहरादून। हरिद्वार में महाकुंभ (Mahakumbh) को लेकर देशभर से श्रद्धालुओं का पहुंचना जारी है। इस बीच सीएम तीरथ सिंह रावत…