natural farming

यूपी को प्राकृतिक खेती का हब बनाने में मददगार बनेगा आम बजट

119 0

लखनऊ। प्राकृतिक खेती (Natural Farming)  समय की मांग है। देश के नवीनतम आम बजट (Budget) में किए गए प्रावधान भी इसकी तस्दीक करते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) तो अपने संसदीय कार्यकाल से ही प्राकृतिक खेती पर जोर देते रहे हैं। ऐसे में अंतर्निहित असीम संभावनाओं के कारण केंद्र के बजटीय प्रावधान का फायदा उठाकर उत्तर प्रदेश आने वाले समय में प्राकतिक खेती के हब के रूप में अग्रसर होने को तत्पर होगा।

केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने 2023 का बजट पेश करते हुए अगले तीन वर्षों में एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती (Natural Farming) से जोड़ने की घोषणा की है। स्वाभाविक तौर पर इस घोषणा का सर्वाधिक लाभ उत्तर प्रदेश के किसानों को मिलेगा। बजट में इसे तकनीक से जोड़ने के लिए देश भर में 10 हजार बायो इनपुट रिसर्च सेंटर भी खोलने की घोषणा की गई है। इससे भी उत्तर प्रदेश के किसान ही सर्वाधिक लाभान्वित होंगे। क्योंकि मुख्यमंत्री की पसंद के नाते उत्तर प्रदेश में इस मामले में पहले से ही बहुत कुछ हो रहा। लिहाजा इस क्षेत्र में जो काम हो रहे हैं उत्तर प्रदेश के लिए वे बूस्टर डोज साबित होंगे। वास्तव में उत्तर प्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा है। इसी वजह से हर क्षेत्र में यहां संभावनाएं भी अपरंपार हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बात को बार-बार जोर देकर कहते हैं। स्वाभाविक है कि प्रकृति के अनुरूप किये जाने वाले हर कार्य का सर्वाधिक लाभ भी उत्तर प्रदेश को ही मिलेगा।

प्राकृतिक खेती (Natural Farming) के प्रशिक्षण में आएगी और तेजी

उल्लेखनीय है कि जन, जल एवं जमीन के लिए प्राकृतिक खेती जरूरी है। पर, यह किसानों के लिए तभी लाभप्रद होगी जब इसे तकनीक से जोड़ा जाय। यही वजह है कि जिस मंच से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्राकृतिक खेती की चर्चा करते हैं वहां वे इसे तकनीक से जोड़ने की बात जरूर करते हैं। बायो इनपुट रिसोर्स केंद्र के जरिए यह काम आसान हो जाएगा। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुसार कृषि विभाग अब तक करीब 10 हजार किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित कर चुका है। यह सिलसिला जारी है। केंद्र की मदद से यकीनन इसमें और तेजी आएगी।

1714 क्लस्टर में चल रहा फार्मर्स फील्ड स्कूल

केंद्र सरकार द्वारा वित्त पोषित नेशनल मिशन आन नेचुरल फार्मिंग योजना के तहत प्रदेश के 49 जिलों में 85710 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसमें 1714 क्लस्टर गठित कर “फार्मस फिल्ड स्कूल” कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसी प्रकार राज्य सेक्टर से बुन्देलखण्ड के समस्त जिलों (बाँदा, हमीरपुर, ललितपुर, जालौन, झांसी, महोबा,) में 470 क्लस्टरों (23500 हेक्टेयर) में दो चरणों में प्राकृतिक खेती कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 235 क्लस्टर गठित कर फार्मस फिल्ड स्कूल के आयोजन का कार्यक्रम वर्तमान में संचालित है। दोनों योजनाओं अन्तर्गत फार्मस फिल्ड स्कूल संचालन में कुल 93369 कृषक प्रतिभाग कर रहे है।

परंपरा के साथ जरूरत भी है प्राकृतिक खेती (Natural Farming)

प्राकृतिक खेती हमारी परंपरा के साथ जरूरत भी है। जरूरत इसलिए कि रासायनिक खादों के अंधाधुंध प्रयोग से हमारी धरती बांझ हो रही है। अब अधिक खाद डालने पर भी अपेक्षित पैदावार नहीं हो रही। इसी तरह फसलों को कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए जिन जहरीले रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग हो रहा है उनके प्रति रोग एवं कीट क्रमशः प्रतिरोधी होते जा रहे हैं। लिहाजा हर कुछ साल बाद और जहरीले एवं महंगे कीटनाशकों की जरूरत पड़ रही है। इन दोनों के प्रयोग से किसानों की लागत जरूर बढ़ती जा रही है। जल, जमीन एवं जन एवं जैव विविधता को होने वाली क्षति अलग से। इन सबका समाधान है प्राकृतिक खेती। उत्तर प्रदेश के लिए तो यह और भी जरूरी है। साथ ही यहां इनकी संभावनाएं भी अधिक हैं।

गंगा की निर्मलता बचाने में भी होगी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) की कारगर भूमिका

गंगा को जहरीली खेती के दुष्प्रभाव से बचाने में भी बजट में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल मददगार बनेगी। दरअसल गंगा के तटवर्ती इलाको में देश के करीब 52 करोड़ लोग रहते हैं। कृषि एवं पर्यटन आदि को शामिल कर लें तो देश की जीडीपी में इस क्षेत्र का योगदान करीब 40 फीसद है। देश के भौगोलिक रकबे का मात्र 11 फीसद होने के बाद अगर उत्तर प्रदेश कुल पैदा होने वाले अनाज का 20 फीसद पैदा करता है तो इसकी वजह इंडो गंगेटिक बेल्ट की वह जमीन है जिसका शुमार दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में होता है। गंगा का सर्वाधिक अपवाह क्षेत्र उत्तर में ही पड़ता है।

सौर ऊर्जा से चलाइए खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां, योगी सरकार देगी 50% तक सब्सिडी

बिजनौर से लेकर बलिया तक। औद्योगिक लिहाज से प्रदेश का कभी सबसे महत्वपूर्ण महानगर रहा कानपुर एवं धार्मिक और पर्यटन के लिहाज से पूरी दुनियां में अपनी अलग पहचान रखने वाला तीर्थराज प्रयागराज एवं तीन लोकों से न्यारी दुनियां के प्राचीनतम शहरों में शुमार काशी भी गंगा के ही किनारे हैं। कुल मिलाकर गंगा की गोद में 27 जिलों, 21 नगर निकायों, 1038 से अधिक ग्राम पंचायतें आती हैं। इनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती की योजना गंगा को जहरीले रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों से मुक्त कराने की पहल की ही एक कड़ी है। बजट की घोषणा पर अमल होने पर यह कड़ी और मजबूत होगी।

Related Post

सिख दंगा

सिख दंगा: मनमोहन सिंह के बयान पर पूर्व पीएम नरसिम्हा राव के पोते ने दी सफाई

Posted by - December 5, 2019 0
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 1984 के सिख विरोधी दंगों को लेकर बुधवार को एक बयान दिया था।…
pm modi

Budget Webinar में बोले पीएम मोदी, प्रोसेस्ड फूड का वैश्विक मार्केट में करना होगा विस्तार

Posted by - March 1, 2021 0
नई दिल्ली । प्रधामनंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) कृषि क्षेत्र में बजट के कार्यान्वयन पर वेबिनार को संबोधित किया। इस…
अमित शाह

कश्मीर में हालात सामान्य, प्रशासन नेताओं की रिहाई पर लेगा निर्णय : अमित शाह

Posted by - December 10, 2019 0
नई दिल्ली। लोकसभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर घाटी में स्थिति सामान्य है। उन्होंने कहा कि…