बिहार विधानसभा चुनाव में कई राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों के आपराधिक इतिहास सार्वजनिक नहीं करने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा, कांग्रेस समेत नौ राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है, साथ ही सभी को अवमानना का दोषी ठहराया है। एनसीपी और सीपीएम पर पांच लाख का जुर्माना लगाया है, लोजपा, जदयू, सीपीआई, रालोसपा पर एक लाख रुपए जुर्माना लगाया है।
कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि एक ऐप बनाएं जिसके जरिए जनता अपने उम्मीदवारों के संबंध में जानकारी हासिल करे। कोर्ट ने बहुजन समाज पार्टी को चेतावनी देकर छोड़ दिया है कोर्ट ने कहा कि लिप सर्विस ना करें अदालत के आदेशों का पालन भावना के साथ करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर वोटर को उम्मीदवार के बारे में जागरूक करने के लिए अभियान और सभी उम्मीदवार की आपराधिक पृष्ठभूमि के संबंध में सूचना भी उपलब्ध कराएं। यह विभिन्न प्लेटफार्म के जरिए किया जाए, जिसमें सोशल मीडिया, वेबसाइट, टीवी विज्ञापन, प्राइम टाइम, वाद-विवाद, पर्चे शामिल हैं। इस उद्देश्य के लिए एक कोष तैयार किया जाना चाहिए।
4 सप्ताह की अवधि के भीतर जिसमें न्यायालय की अवमानना के लिए जुर्माना भुगतान निर्देशित किया जा सकता है। इन उद्देश्यों के लिए चुनाव आयोग को एक अलग प्रकोष्ठ बनाने के लिए भी निर्देशित किया जाता है, जो आवश्यक अनुपालनों की निगरानी भी करेगा, ताकि इस न्यायालय को गैर- अनुपालन के बारे में तुरंत अवगत कराया जा सके।
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उसने कहा, आदेश में यह भी स्पष्ट किया जाता है कि राजनीतिक दल के चयन के बाद 48 घंटों के भीतर उम्मीदवार का विवरण प्रकाशित किया जाएगा। हम पिछले आदेश में संशोधन कर रहे हैं, जिसमें नामांकन दाखिल करने संबंधी पहली तारीख के दो सप्ताह से पहले विवरण देने को कहा गया था। आदेश के अनुपालन में कोई राजनीतिक दल विफल रहता है तो चुनाव आयोग के साथ राजनीतिक दल और उम्मीदवार के खिलाफ अदालत के आदेशों/निर्देशों की अवमानना करने को लेकर बहुत गंभीरता से देखा जाए।