नई दिल्ली। यौन उत्पीड़न आरोपों का सामना कर रहे एक्टर आलोकनाथ को सेशन कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने कहा है कि तमाम तथ्यों के आधार पर इस संभावना से इनकार नहीं कर सकते कि आरोपी को इस मामले में गलत तरीके से फंसाया गया हो और हो सकता है कि विंता नंदा ने अपने किसी फायदे के लिए उन पर ये आरोप लगाया हो।
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आपको बतादें घटना के 20 साल बाद एफआईआर दर्ज करवाने पर कोर्ट ने कहा कि सेक्शन 376 (रेप) और 377 (अप्राकृतिक यौन अपराध) के लिए केस दर्ज कराने की कोई समय-सीमा नहीं है, लेकिन विंता नंदा के मामले में ऐसे भी कोई रिकॉर्ड नहीं हैं जो साबित कर सके कि आरोपी आलोक नाथ ने नंदा को केस दर्ज ना कराने को लेकर धमकाया हो।
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जानकारी के मुताबिक आलोक नाथ पर #MeToo मूवमेंट के जरिए राइटर और डायरेक्टर विनता नंदा ने बलात्कार का आरोप लगाया था। बता दें 21 नवंबर को पुलिस ने एक्टर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत मुकदमा दर्ज किया था। इससे पहले ये भी खबर आई थी कि समन से संबंधित लेटर लेकर जब उनके घर पुलिसकर्मी पहुंचे तो वहां कोई नहीं मिला थे।