अक्षय तृतीया

अक्षय तृतीया : बिना घर से निकले खरीदें सोना, ऐसे होगी होम डिलीवरी

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नई दिल्ली। आभूषण विक्रेताओं ने सोने की खरीदारी का त्योहार अक्षय तृतीया पर रविवार को रत्न-आभूषणों के ऑनलाइन खरीदारी का ऑफर दिया है। लॉकडाउन खुलने के बाद खरीदार अपने सोने की डिलीवरी ले पाएंगे।

देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं और ज्यादातर शहरी क्षेत्रों आभूषणों की दुकानें बंद

कोरोना कहर के कारण बदलते काम के तरीके के बीच इस साल अक्षय तृतीया भी डिजिटल ढंग से ही मनेगी। क्योंकि देशव्यापी लॉकडाउन के कारण लोग घरों से निकल नहीं पा रहे हैं और ज्यादातर शहरी क्षेत्रों आभूषणों की दुकानें बंद हैं।

इंडिया बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन के नेशनल सेक्रेटरी सुरेंद्र मेहता ने बताया कि अक्षय तृतीया सोने की खरीदारी का शुभ मुहूर्त है। इसलिए आभूषण कारोबारियों ने अपने ग्राहकों को ऑनलाइन सोना खरीदने का ऑफर दिया है। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय के हालिया आदेश के बाद देश के कई इलाकों में दुकानें खुल रही हैं। मेहता ने बताया कि गुजरात और ओडिशा में आभूषणों की दुकानें खुल रही हैं।

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पिछले साल अक्षय तृतीया पर देश में 23 टन सोने की खरीदारी हुई थी। मेहता का अनुमान है कि डिजिटल लिवाली अच्छी रहने और जिन क्षेत्रों में दुकानें खुल रही हैं वहां की हाजिर खरीद को मिलाकर भी बमुश्किल से पिछले साल के मुकाबले तकरीबन 10-15 फीसदी सोने की खरीदारी हो पाएगी।

केडिया एडवायजरी के डायरेक्टर अजय केडिया ने कहा कि कोरोना ने बेशक हमारे काम करने का तरीका बदल दिया है और जिस तरह बैठकें डिजिटल होने लगी हैं उसी तरह सोने की खरीदारी भी इस साल अक्षय तृतीया पर डिजिटल होगी। उन्होंने कहा कि कोरोना के कहर के चलते छायी वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच सोने में तेजी की संभावना लगातार बनी हुई है। इसलिए, निवेश के मकसद से लोग सोने की खरीदारी को उत्साहित हो सकते हैं।

जेम एंड ज्वैलरी ट्रेड काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रेसीडेंट शांतिभाई पटेल कहते हैं कि आभूषणों की हाजिर खरीद में लोगों की दिलचस्पी कम है क्योंकि कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण शादी-समारोह नहीं हो रहे हैं, जिसके लिए भारत में सोना, चांदी जैसी महंगी घातुओं व रत्न-आभूषणों की खरीद ज्यादा होती है। अक्षय तृतीया बैसाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह सुख-समृद्धि का त्योहार जिसके बारे में कई कथाएं प्रचलित हैं। एक कथा के अनुसार, यह अक्षय फल देने वाला त्योहार है और पांडवों के वनवास के दौरान द्रोपदी को इसी दिन दुवार्सा ने अक्षय पात्र दिया था।

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