किसान कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन कर रहे, किसान अपना विरोध तेज करते हुए अब जंतर-मंतर पर किसान संसद लगा रहे हैं। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने संसद को यह जानकारी दी कि आंदोलन के दौरान मृत किसानों का सरकार के पास कोई रिकॉर्ड नहीं। तोमर ने यह भी कहा कि सरकार ने कानूनों के बारे में किसानों के मन में आशंकाओं का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया है।
मंत्री ने कहा कि केंद्र किसान संघों के साथ सक्रिय चर्चा में लगा हुआ है, उन्होंने एक बार फिर कहा कि सरकार कानून वापसी के लिए तैयार नहीं। बता दें कि तीन कानूनों के विरोध में मुख्य रूप से पंजाब-हरियाणा और पश्चिमी यूपी के किसान आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
राज्यसभा में अपने लिखित उत्तर के दौरान उन्होंने कहा कि हालांकि, केंद्र सरकार ने किसान संघों के साथ चर्चा के दौरान उनसे अपील की थी कि उस समय की ठंड और कोविड -19 की स्थिति को देखते हुए बच्चों और बुजुर्गों, विशेषकर महिलाओं को घर जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
इसके अलावा, एक अलग जवाब में, तोमर ने कहा, ‘इन कृषि कानूनों के कारण किसानों के मन में पैदा हुई आशंकाओं के कारणों का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन नहीं कराया गया है।’ उन्होंने साथ ही यह कहा कि केंद्र ने किसानों की आशंकाओं को दूर करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं।
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सरकार और यूनियनों के बीच आखिरी दौर की बातचीत 22 जनवरी को हुई थी। 26 जनवरी को किसानों के विरोध प्रदर्शन के तहत एक ट्रैक्टर रैली के दौरान व्यापक हिंसा के बाद बातचीत फिर से शुरू नहीं हुई है।उच्चतम न्यायालय ने तीनों कानूनों के क्रियान्वयन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। मसले का समाधान खोजने के लिए न्यायालय ने एक समिति का गठन किया था जिसकी रिपोर्ट मिल चुकी चुकी है।