the tomb of King Dasharatha

वर्षों से उपेक्षित पड़ी चक्रवर्ती राजा दशरथ की समाधि स्थल का योगी सरकार ने कराया कायाकल्प

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अयोध्या : चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ (King Dasharatha) की समाधि स्थल के गौरव का वर्णन पुराणों में भी उल्लेखित है। ऐसी मान्यता है कि यहां मांगी गई सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरा बाजार ग्राम पंचायत के उत्तर दिशा में धार्मिक, पौराणिक इतिहास समेटे बिल्वहरि घाट के समीप राजा दशरथ (King Dasharatha) की समाधि स्थली व भव्य मंदिर है। मान्यता यह भी है कि इस समाधि स्थल पर पूजन-अर्चन करने वाले साधकों को शनि की साढ़ेसाती जैसी महादशा के प्रकोप से छुटकारा मिल जाता है।

अनेक धार्मिक व पौराणिक प्रतीकों वाले दशरथ समाधि स्थल की पूर्ववर्ती सरकारों ने सुधि नहीं ली, लेकिन जब योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनी तो अयोध्या के साथ ही इस स्थल के जीर्णोद्धार का मार्ग प्रशस्त हो गया। राम जन्मभूमि से लगभग 15 किमी. दूर इस स्थान का प्रथम चरण में सुदृढ़ीकरण व सौंदर्यीकरण कराया गया है। द्वितीय चरण में भी योगी सरकार यहां विकास के लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है।

अनदेखी से निरंतर जूझती रही राजा दशरथ (King Dasharatha) की समाधि स्थली

जिस रामनगरी में प्रभुश्रीराम से जुड़ी हर एक चीजों का विशिष्ट महत्व होना चाहिए, वहीं उनके पिता चक्रवर्ती सम्राट राजा दशरथ (King Dasharatha) की समाधि स्थली अनदेखी से निरंतर जूझती रही, लेकिन योगी सरकार की दृढ़ इच्छाशक्ति से यहां का जीर्णोद्धार कराया गया। पद्मपुराण में भी दशरथ समाधि स्थल के आध्यात्मिक महत्व का वर्णन करते हुए कहा गया है कि जो भी मनुष्य एक बार यहां आकर दर्शन करके दशरथ कृत शनि स्तोत्र का पाठ व स्मरण करता है उसे शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिलती है।

यहां विद्यमान कर्मफल दाता शनिदेव का एक विलक्षण विग्रह भी विद्यमान है। इसके दर्शन मात्र से ही साढ़ेसाती, ढैय्या समेत सभी प्रकार के शनिजन्य कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। यह भी दावा किया जाता है कि एक बार जो यहां आकर शनिदेव के इस अनोखे विग्रह का दर्शन कर राजा दशरथ द्वारा कृत शनि स्तोत्र का स्मरण-पठन करता है उसे जीवनपर्यंत शनि की शुभ दृष्टि व कृपा प्राप्त होती है।

रामलला की बाललीलाओं का प्रतीक रहे त्रेता की धरोहर, दशरथ महल की वर्षों तक हुई अनदेखी

समाधि स्थल के उत्तराधिकारी संदीप दास जी महराज के मुताबिक यहां चारों भाइयों की चरण पादुका, पिंड वेदी, गुरु वशिष्ठ का चरण चिह्न, प्राचीन ऐतिहासिक अस्त्र-शस्त्र मौजूद हैं, जिसमें आज तक जंग तक नहीं लगी। यहां दशरथ जी, भरत व शत्रुघ्न और गुरु वशिष्ठ की प्रतिमा विद्यमान है। उन्होंने बताया कि भरत ने राजा दशरथ के निधन के उपरांत पूछा कि यहां सबसे पवित्र स्थल कौन है, जहां दशरथ जी का दाह संस्कार हो सके, तब गुरु वशिष्ठ के नेतृत्व में इस जगह का चयन किया गया।

प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर होंगे विविध आयोजन

अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम के मद्देनजर योगी सरकार इस स्थली पर भी अनेक आयोजन भी कराएगी। यहां भी सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। रामलीला, भजन-संकीर्तन, विशिष्ट कलाकारों की तरफ से अनेक कार्यक्रम व अनुष्ठान आदि का कार्यक्रम होगा। नव्य अयोध्या में इसकी पौराणिकता से योगी सरकार आम जनमानस को अवगत कराएगी। इसके लिए संस्कृति व पर्यटन विभाग के अधिकारी खाका तैयार कर रहे हैं।

नव्य अयोध्या से बढ़ेगी कनेक्टिविटीः दशरथ समाधि स्थल तक जाने के लिए सड़क के 24 मीटर चौड़ीकरण की योजना है। इसे नव्य अयोध्या से जोड़ा जाएगा। योगी सरकार द्वारा दशरथ समाधि स्थल के महत्व को देखते हुए पहले चरण में यहां मंदिर का सुंदरीकरण किया गया है।

परिसर का विस्तारीकरणः यहां परिसर का विस्तारीकरण, सौंदर्यीकरण व सुदृढ़ीकरण किया गया। योगी सरकार ने इस कैंपस को भव्य व दिव्य रूप भी दे दिया।

बाउंड्रीवॉल का सुदढ़ीकरणः योगी सरकार में दशरथ समाधि स्थल पर बाउंड्रीवॉल का सुदृढ़ीकरण किया गया। इसके रंग रोगन के साथ ही इसे सुरक्षा के लिहाज से ऊंचा भी कराया गया है।

सत्संग भवन का जीर्णोद्धारः योगी सरकार में ही यहां कीर्तन-भजन स्थल के रूप में सत्संग भवन का जीर्णोद्धार किया गया है। यहां लगभग 200 से 250 सत्संगी एक साथ भजन के आनंद सागर में डुबकी लगा सकते हैं।

सोलर पैनल के जरिए विद्युत निर्माण, पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता में हुई कटौतीः अयोध्या को सोलर सिटी बनाने के क्रम में यहां भी सोलर पैनल के जरिए विद्युत निर्माण को सुनिश्चित किया गया है। इसके जरिए पारंपरिक ऊर्जा निर्भरता को कम करने में मदद मिली है।

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