World Environment Day

प्राणवायु देवता पेंशन योजना के तहत दी जा रही है प्रदेश में पेंशन

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चंडीगढ़। विश्व पर्यावरण दिवस (World Environment Day) के अवसर पर आज हरियाणा में अधिक उम्र के हजारों वृक्षों की पूजा की गई ताकि लोगों को पर्यावरण (Environment) के प्रति जागरूक किया जा सके।

इस अवसर पर राज्य के वन विभाग, राज्य वन विकास निगम एवं जैव विविधता बोर्ड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के अलावा अन्य लोगों ने भी समूचे राज्य में महत्वपूर्ण स्थलों पर 75 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वृक्षों की पूजा करके उनके पारिस्थितिक, सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान के के लिए आम जनमानस की ओर से आभार व्यक्त किया गया।

वन विभाग के एक प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बड़े वृक्षों की पूजा करने की इस पहल का मुख्य उद्देश्य वृक्षों द्वारा मानव कल्याण के लिए दी गई सेवाएं के लिए उनको सम्मानित किया जाना है।

उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की भूमिका हरियाणा सरकार द्वारा अपने आप में एक अनूठी योजना जिसका नाम प्राणवायु देवता पेंशन योजना(Pranvayu Devta Pension Yojna)  में निहित है। इस योजना में ऐसे वृक्षों जिनकी उम्र 75 वर्ष हो चुकी है, को वृद्ध सम्मान भत्ता (पेंशन) की तर्ज पर इनकी देखभाल करने वाले लोगों की आर्थिक सहायता प्रदान करने की है।

प्रवक्ता ने आगे बताया कि इस पहल की शुरुआत 26 अक्टूबर 2023 को की गई थी। योजना के अंतर्गत लाभ लेने के लिए वृक्षों के मालिकों द्वारा वन विभाग को आवेदन पत्र दिया जाना होता है। अब तक राज्य में कुल 3876 ऐसे वृक्षों की पहचान की गई है जो इस योजना के अन्तर्गत पेंशन के पात्र बनते हैं। इन वृक्षों को वार्षिक पेंशन राशि 2750 रुपए स्वीकृत की गई है जिसे इन वृक्षों के मालिकों के खाते में रख-रखाव के लिए जमा किया जाएगा। निर्धारित पेंशन राशि में समय पर वार्षिक वृद्धि भी की जाएगी।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 के लिए आवश्यक धनराशि वृक्ष परिरक्षकों के खाते में जमा करवा दी गई है। योजना में वृक्षों की लगभग 40 प्रजातियां शामिल हैं जिनमें पीपल, बरगद, नीम, आम, जाल, गूलर, कृष्णकदम, पिलखन आदि प्रमुख हैं। रेवाड़ी जिले में सबसे ज्यादा 680 प्राणवायु देवता वृक्ष चिन्हित किए गए हैं। वन भूमि पर खड़े वृक्षों को योजना में सम्मिलत नहीं किया गया है।

उन्होंने यह भी बताया आज के वृक्ष पूजन कार्यक्रम के माध्यम से इन प्राणवायु देवता वृक्षों की पारिस्थितिकी, आर्थिक एवं सांस्कृतिक योगदान के प्रति एक जागरुकता एवं प्रकृति संरक्षण का एक व्यापक संदेश जन-जन तक पँहुचाने का समुचित प्रयास किया गया है।

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