भारतीय वायुसेना के नए प्रमुख बने वीआर चौधरी, आरकेएस भदौरिया की ली जगह

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नई दिल्ली। एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भारतीय वायुसेना के नए प्रमुख बन गए हैं। उन्होंने आरकेएस भदौरिया की जगह ली है। एयर चीफ मार्शल विवेक राम चौधरी जो चीन के साथ संकट के चरम के दौरान लद्दाख सेक्टर के प्रभारी थे, उन्होंने गुरुवार को एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया से नए वायु सेना प्रमुख के रूप में पदभार संभाला। निवर्तमान वायुसेना अध्यक्ष आरकेएस भदौरिया आज वायुसेना से रिटायर हो गए। रिटायरमेंट से पहले निवर्तमान वायुसेना चीफ ने आज दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए भदौरिया

बता दें कि एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया 42 साल की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं। भदौरिया ने सितंबर 2019 में वायुसेना प्रमुख का पद संभाला था। भदौरिया को जून 1980 में भारतीय वायु सेना की लड़ाकू शाखा में शामिल किया गया और वह कई पदों पर रहे। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र भदौरिया ने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ पुरस्कार भी जीता।

करीब चार दशक की सेवा के दौरान भदौरिया ने जगुआर स्क्वाड्रन और एक प्रमुख वायु सेना स्टेशन का नेतृत्व किया। इसके अलावा उन्होंने जीपीएस का इस्तेमाल कर जगुआर विमान से बमबारी करने का तरीका ईजाद किया। यह साल 1999 में ‘ऑपरेशन सफेद सागर’ में जगुआर विमान की बमबारी में भूमिका से खासतौर से जुड़ा है। इस दौरान उन्होंने 36 राफेल और 83 मार्क1ए स्वदेशी तेजस जेट सहित दो मेगा लड़ाकू विमान सौदों में अहम भूमिका निभाई थी।

MIG-21 की उड़ान से शुरू हुआ था भदौरिया का करियर

आरकेएस भदौरिया का करियर ‘पैंथर्स’ स्क्वाड के साथ MIG-21 की उड़ान के शुरू हुआ था और फिर उसी एयरबेस पर और उसी स्क्वाड्रन के साथ ही समाप्त हुआ। पूर्व एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने 13 सितंबर को 23 वर्ग, हलवारा में वायु सेना प्रमुख के रूप में एक लड़ाकू विमान में अपनी अंतिम उड़ान भरी।

गौरतलब है कि नए वायुसेना प्रमुख चौधरी भारतीय वायुसेना की पश्चिमी वायु कमान (डब्ल्यूएसी) के कमांडर-इन-चीफ के रूप में भी काम कर चुके हैं। इस कमान के पास संवेदनशील लद्दाख क्षेत्र के साथ-साथ उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में देश के वायु क्षेत्र की सुरक्षा की जिम्मेदारी होती है।

राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र, एयर मार्शल वीआर चौधरी 29 दिसंबर, 1982 को भारतीय वायुसेना में शामिल हुये थे। लगगभग 38 वर्षों के विशिष्ट करियर में उन्होंने भारतीय वायुसेना के विभिन्न प्रकार के लड़ाकू और प्रशिक्षक विमान उड़ाए हैं। उन्हें मिग-21, मिग-23 एमएफ, मिग-29 और सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को 3,800 घंटे से ज्यादा के उड़ान का अनुभव है।

जल्द ही भारतीय वायुसेना का हिस्सा बनने वाले एस-400 जैसे मॉर्डन डिफेंस सिस्टम के संचालन की जिम्मेदारी भी उन्हीं के पास होगी। वे जल्दी ही स्वदेशी और विदेशी मूल के एयरक्राफ्ट को भारतीय वायुसेना में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। राफेल को भारतीय वायुसेना में शामिल कराने के पीछे भी आर एस चौधरी का हाथ है। उस वक्त अंबाला एयरबेस पश्चिमी वायु सेना कमांडर के अधीन ही था। ऑपरेशन मेघदूत और ऑपरेशन सफेद सागर (1999 में कारगिल संघर्ष के दौरान IAF द्वारा प्रदान की गई सहायता) के दौरान उनका अहम रोल रहा।

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