नई दिल्ली। कोरोनो के कारण लॉकडाउन में बच्चों पर हिंसा की घटनाओं में दो गुना वृद्धि को देखते हुए यूनिसेफ ने अभिभावकों के लिए विशेष दिशा निर्देश जारी किए हैं।
हिंसा में शारीरिक हिंसा, मौखिक दुर्व्यवहर तथा भावनात्मक दुर्व्यवहार भी शामिल
यूनीसेफ की अगुआई में किए गए अध्ययन में हिंसा का सामना कर रहे बच्चों के लिए शारीरिक और मौखिक दुर्व्यवहार के कम से कम 30 विभिन्न रूपों को चिन्हित किया गया है। इस अध्ययन में घरों में बच्चों के खिलाफ हिंसा के विभिन्न रूपों को बताया गया है। इसमें शारीरिक हिंसा, मौखिक दुर्व्यवहर तथा भावनात्मक दुर्व्यवहार भी शामिल है।
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डॉ. यास्मीन अली हक ने बताया कि छोटे बच्चों के साथ हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा होने की संभावना अधिक
भारत में यूनीसेफ की प्रतिनिधि डॉ. यास्मीन अली हक ने बताया कि इबोला संकट के हमारे अनुभव बताते हैं कि छोटे बच्चों के साथ हिंसा, दुर्व्यवहार और उपेक्षा होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि परिवार जिंदगी से संघर्ष करने में व्यस्त रहते हैं, जिसका उन पर आजन्म प्रभाव पड़ सकता है। बच्चों के दोनों तरह के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को प्रोत्साहित करने के लिए सकारात्मक पेरेंटिंग अभ्यासों पर जागरूकता अब पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है।
चाइल्ड हेल्पलाइन पर प्राप्त शिकायतों के अनुसार अप्रैल में दो सप्ताह के लॉकडाउन के दौरान, परेशान बच्चों के द्वारा की गई कॉलों की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। लॉकडाउन में आवाजाही पर प्रतिबंध लगने और प्रीस्कूल तथा स्कूलों को बंद करने से अपने बच्चों की देखभाल और शिक्षा के लिए माता-पिता पर तत्काल दबाव बना है।