मिग 27

भारतीय वायुसेना से मिग 27 युग का अंत, खौफजदा पाक कहता था ‘चुड़ैल’

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जोधपुर। भारतीय वायुसेना में अपनी 38 साल की शानदार सेवाएं देने वाले मिग 27 का सफर शुक्रवार को थम गया। इससे पहले वह कई वायुसैनिकों को अपनी यादें दे गया। शहर के वायुसेना स्टेशन से शुक्रवार सुबह मिग 27 स्क्वाड्रन के सात विमानों ने अपनी उड़ान भरी तो सभी की निगाहें बरबस आसमान पर टिक गईं, क्योंकि यह अपनी यादों का सफर खत्म कर आज रुखसत जो हो रहा था।

साल 1999 में पाक सेना के सप्लाई और पोस्ट पर इतनी सटीक और घातक बमबारी की जिससे उनके पांव उखड़ गए

साल 1999, कारगिल की ऊंची चोटियों पर घात लगाकर बैठे पाक सैनिकों के यह अंदेशा नहीं था कि उनके ऊपर आसमान से भी हमला हो सकता है। भारतीय वायुसेना के मिग 27 लड़ाकू विमानों ने आसमान से पाक सैनिकों पर आग बरसाना शुरू कर दिया। वायुसेना के इस बहादुर ने पाक सेना के सप्लाई और पोस्ट पर इतनी सटीक और घातक बमबारी की जिससे उनके पांव उखड़ गए।

1700 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार और हवा से जमीन पर अचूक हमला करने में सक्षम इस रूसी लड़ाकू विमान को कारगिल युद्ध में पराक्रम दिखाने के लिए बहादुर नाम दिया गया। इसका खौफ पाकिस्तान के दिलो दिमाग में ऐसा छा गया कि उसने चुड़ैल नाम दे डाला।

वायुसेना में करीब 38 साल तक अपनी सेवाएं देने के बाद लड़ाकू विमान मिग-27 जोधपुर से सेवानिवृत्त हो गया। समारोह की अध्यक्षता वायुसेना की दक्षिणी पश्चिमी कमान के प्रमुख एयर मार्शल एस के घोटिया ने की। मिग-27 की अंतिम उड़ान नए साल की पूर्व संध्या यानी 31 दिसम्बर को होगी। मिग-27 का विदाई समारोह शुक्रवार को सुबह वायुसेना स्टेशन जोधपुर पर हुआ।

एयरफोर्स के 50 से ज्यादा पायलट बने साक्षी

एयरफोर्स के आला अधिकारियों सहित करीब 50 पूर्व पायलट एक दौर में भारतीय वायुसेना के बेहतरीन रहे इस फाइटर जेट की विदाई के साक्षी बने। सभी सातों फाइटर के वापस आने पर लोगों की कर्तल ध्वनि के बीच सभी को वाटर कैनन सलामी दी गई। इसके साथ ही ये फाइटर अतीत का हिस्सा बन गए।

मिग-27 जहां आसमान की ऊंचाइयां नाप रहे थे वहीं सूर्यकिरण टीम हैरतअंगेज करतब दिखा सभी का मोह रही थी मन

जोधपुर एयर बेस पर शुरू हुए भव्य समारोह में सबसे पहले वायुसेना के योद्धाओं ने अपनी शानदार परेड से लोगों का दिल जीत लिया। इसके बाद एक-एक कर सात मिग-27 विमान तालियों की गड़गड़ाहट के बीच अपनी उड़ान पर रवाना हुए। इस दौरान सूर्य किरण टीम ने भी उड़ान भरी। मिग-27 जहां आसमान की ऊंचाइयां नाप रहे थे वहीं सूर्यकिरण टीम हैरतअंगेज करतब दिखा सभी का मन मोह रही थी। इसके बाद वेस्टर्न कमांड के चीफ एयर मार्शल बी सुरेश के नेतृत्व में सातों मिग-27 विमानों ने तेज गर्जना के साथ कम ऊंचाई पर अलग-अलग फॉरमेशन बनाते हुए उड़ान भरी और सेवानिवृत्त हो रहे इस विमान का आखिरी बार जलवा दिखाया।

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सबसे पहले आकाशगंगा स्काइ डाइवर्स का प्रदर्शन

कार्यक्रम में सबसे पहले आकाश गंगा के स्काईडायवर्स का प्रदर्शन हुआ। हेलीकॉप्टर से काफी ऊंचाई से छलांग लगाकर पैराशूट के जरिए नीचे आए। इसके बाद वायुसेना की सूर्य किरण टीम का एयरोबेटिक डिस्पले हुआ। इसमें 6 हॉक जेट ट्रेनर आसमान में विभिन्न मैनुवर के साथ कलाबाजियां दिखाईं। इसका नेतृत्व विंग कमाण्डर जीएस ढिल्लन ने किया। इस विदाई समारोह के साक्षी करगिल युद्ध के हीरो भी बने। इनमें ग्रुप कैप्टन अश्विनी कुमार मंडोखोट व फ्लाइट लेफ्टिनेंट के. नचिकेता राव भी शामिल थे, जिन्होंने मिग-27 के मारक प्रहारों से करगिल की पहाड़ियों से दुश्मन को मार भगाया था।

मिग-27 के फ्लाई पास्ट के नीचे उतरने के बाद दमकल से विमानों पर पानी का स्प्रे कर वाटर सैल्यूट

दो सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों ने ग्रुप कैप्टन जीबीएस चौहान के नेतृत्व में फॉर्मेशन फ्लाई पास्ट किया। मिग-27 के फ्लाई पास्ट के नीचे उतरने के बाद दमकल से विमानों पर पानी का स्प्रे किया गया, जिसको वाटर सैल्यूट कहते हैं। इसी के साथ भारत में मिग-27 का अध्याय समाप्त हो गया।

सुखोई-तेजस ले सकते हैं जगह

भारतीय वायुसेना के घटते स्कवाड्रन की संख्या को देखते हुए जल्द ही मिग 27 की जगह सुखोई 30 एमकेआई और एलसीए तेजस मार्क वन को तैनात किया जा सकता है। बता दें कि वायुसेना को 42 से ज्यादा स्क्वाड्रन की जरूरत है लेकिन वर्तमान में केवल 30 स्कवाड्रन की कार्यरत हैं। मिग 21 बाइसन को भी जल्द ही रिटायर किए जाने की उम्मीद है। इससे वायुसेना के स्कवाड्रन की संख्या और कम होगी।

राफेल आने में लगेगा समय

भारतीय वायुसेना ने फ्रांस की दसाल्ट एविएशन के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने का समझौता किया है। हालांकि इन्हें पूर्ण रूप से भारत आने में तीन साल से ज्यादा का वक्त लगेगा। इसलिए अपनी जरूरतों के देखते हुए वायुसेना एमएमआरसीए 2.0 डील को आगे बढ़ाने पर विचार कर रही है।

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