नई दिल्ली। देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ‘लैंगिक न्याय के लक्ष्य’ पर आगे बढ़ने के लिए भारतीय न्यायपालिका के प्रयासों की रविवार को प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हमेशा से ‘सक्रिय एवं प्रगतिशील’ रहा है। ‘न्यायपालिका और बदलती दुनिया’ विषयक अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन 2020 में राष्ट्रपति ने कहा कि शीर्ष अदालत ने ‘प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन’ की अगुवाई की है।
President Ram Nath Kovind: From issuing guidelines on preventing sexual harassment in the workplace two decades ago to providing directives for granting equal status to women in the Army this month, the Supreme Court of India has led progressive social transformation. https://t.co/yWltuimzgE
— ANI (@ANI) February 23, 2020
लैंगिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट हमेशा से सक्रिय और प्रगतिशील रहा
राष्ट्रपति ने कहा कि दो दशक पुराने विशाखा दिशा-निर्देशों का संदर्भ दिया जो कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए लागू किया गया था। कोविंद ने कहा कि अगर एक उदाहरण दें तो लैंगिक न्याय के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट हमेशा से सक्रिय और प्रगतिशील रहा है।
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उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न को रोकने के लिए दो दशक पहले दिशा-निर्देश जारी करने । इसके अलावा सेना में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने के लिए इस महीने निर्देश जारी करने तक कोर्ट ने प्रगतिशील सामाजिक परिवर्तन की अगुवाई की है।