नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रदूषण मामले पर शुक्रवार को सुनवाई की। कोर्ट ने केंद्र की मोदी सरकार को सख्त निर्देश दिए है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह प्रदूषण की बढ़ती समस्या से निपटने के लिए दिल्ली में अलग-अलग स्थानों पर एयर प्यूरीफाइंग टावर लगाने का खाका तैयार किए जाए। कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण में कोई राहत मिली है या नहीं।
प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली मुख्य सचिवों को भी तलब किया
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी हासिल करने के लिए पंजाब, हरियाणा, उप्र और दिल्ली मुख्य सचिवों को भी तलब किया है। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वायु प्रदूषण कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। इसके साथ ही दिल्ली में प्रदूषण वाले 13 मुख्य स्थानों को प्रदूषकों से मुक्त किया जाना चाहिए। कोर्ट ने दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने मे कटौती किए जाने के बावजूद बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर पर चिंता व्यक्त की है।
Delhi is suffering badly, the Air Quality Index (AQI) is almost 600 even today. How do people breathe? asks Supreme Court from Delhi government. https://t.co/SoPAc7O64W
— ANI (@ANI) November 15, 2019
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कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि दिल्ली बुरी तरह पीड़ित है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आज भी लगभग 600 है। लोग सांस कैसे लेंगे?’ केजरीवाल सरकार ने अदालत को बताया कि ऑड-ईवन योजना की वजह से प्रदूषण में 5-15 प्रतिशत की गिरावट आई है। यह परिणाम और बेहतर हो सकते हैं कि यदि इस योजना के तहत कोई छूट न दी जाए। पराली जलाने की वजह से दिल्ली में प्रदूषण हो रहा है। साथ ही कहा कि पिछले साल ऑड-ईवन के प्रभाव को लेकर कोई शोध नहीं हुआ।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ऑड-ईवन समाधान नहीं हो सकता है। दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि यदि ऑड-ईवन योजना के तहत मिली कुछ छूटों को हटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि जैसे कि दोपहिया वाहनों को मिली छूट तो इससे मदद मिलेगी। हम इसे आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, अगर दुपहिया वाहनों को अनुमति नहीं दी जाएगी तो शहर में ठहराव आ जाएगा।