राजस्थान विधानसभा में संकल्प पारित

सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संकल्प पारित

782 0

जयपुर। राजस्थान विधानसभा में शनिवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के विरोध में संकल्प ध्वनिमत से पारित कर दिया है। राजस्थान सीएए, एनआरसी और एनपीआर के विरोध में संकल्प पारित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है। इससे पहले पंजाब और केरल विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित हुआ था।

संकल्प पारित करने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य

सदन में संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल के संकल्प पेश करते ही भाजपा विधायकों ने जमकर विरोध किया। विपक्ष की संकल्प पर मत विभाजन की मांग अध्यक्ष ने ठुकरा दी। तब विपक्षी सदस्य वेल में आ गए और नारेबाजी करने लगे। इस दौरान पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई। कांग्रेस विधायकों ने जहां सीएए को संविधान की मूल भावना के विपरीत बताया है। वहीं विपक्षी सदस्यों ने सीएए को नागरिकता देने का कानून बताया ना कि नागरिकता छीनने का है।

संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने पेश संकल्प में कहा गया कि सीएए संविधान की मूल भावना का करता है उल्लंघन 

संसदीय कार्य मंत्री धारीवाल ने पेश संकल्प में कहा गया कि सीएए संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है। सीएए में किए गए संशोधन धार्मिक आधार पर लोगों में विभेद करते हैं। यह व्यक्तियों के एक वर्ग को भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए बनाए गए हैं। संकल्प में बताया गया है कि एनआरसी और एनपीआर की प्रस्तावना एक ही है। एनपीआर में लोगों से चाही जाने वाली प्रस्तावित अतिरिक्त सूचना से बड़े पैमाने पर लोगों को असुविधा होने की संभावना है। इसका कोई वास्तविक लाभ नहीं होगा। असम इसका जीवंत उदाहरण है, इसलिए केंद्र सरकार सीएए के संशोधन वापस लेने के साथ लोगों के मन में उपजी ऐसी आशंकाओं को भी दूर करे, जो एनपीआर में अपडेट के लिए चाही गई हैं। एनपीआर में किए गए संशोधन वापस लेने के बाद ही केन्द्र सरकार को जनगणना का काम हाथ में लेना चाहिए।

देश की चुनाव प्रक्रिया को जीवंत व सहभागी बनाने के लिए EC का आभार: पीएम मोदी 

देशभर में सीएए, एनआरसी और एनपीआर इन तीनों के खिलाफ व्यापक विरोध हुए

संकल्प में लिखा गया है कि हमारे देश के संविधान में यह स्पष्ट कथन है कि भारत एक पंथ निरेपक्ष देश हैं। यह संविधान की आधारभूत विशेषता है और इसे बदला नहीं जा सकता। इसके साथ ही संविधान का अनुच्छेद-14 स्पष्ट रूप से यह निश्चित करता है भारत के राज्य क्षेत्र में कोई व्यक्ति विधि के समक्ष समता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं होगा। सीएए का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है। धर्म के आधार पर ऐसा विभेद संविधान के प्रतिष्ठित पंथ निरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है। इससे देश का पंथ निरपेक्ष ताना बाना खतरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा अन्य पड़ोसी देश श्रीलंका, म्यांमार, नेपाल और भूटान देशों से आने वाले प्रवासियों के संबंध में सीएए में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। ऐसा क्यों किया गया? इसकी आशंका भी जनता में है। इसी के चलते देशभर में सीएए, एनआरसी और एनपीआर इन तीनों के खिलाफ व्यापक विरोध हुए है।

संकल्प प्रस्ताव पर हुई बहस के बाद धारीवाल ने कहा कि सीएए के कारण देश भर में हिंसा हुई, कई जानें चलीं गईं

संकल्प प्रस्ताव पर हुई बहस के बाद धारीवाल ने कहा कि सीएए के कारण देश भर में हिंसा हुई, कई जानें चलीं गईं। इस कारण देश का सामाजिक सद्भाव बिगड़ रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की इज्जत इसकी धर्मनिरपेक्ष छवि से बनी है लेकिन सीएए आने के बाद छवि खराब हुई है। उन्होंने कहा किसी भी राज्य अथवा व्यक्ति को केन्द्र सरकार के किसी भी कानून के खिलाफ न्यायालय जाने का अधिकार है। हमारी मांग है कि चुनौती पर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय होने तक सीएए के क्रियान्वयन को रोक देना चाहिए और इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। चुनिंदा देशों के नागरिकों को धर्म के आधार पर नागरिकता देने का हम विरोध करते हैं।

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने  कहा कि सीएए धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव करने वाला कानून

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को केंद्र सरकार से मांग की कि वह संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को निरस्त करें, क्योंकि यह धर्म के आधार पर लोगों से भेदभाव करने वाला कानून है। सीएए को जिक्र करते हुए गहलोत ने ट्वीट किया, राज्य विधानसभा ने सीएए के खिलाफ संकल्प प्रस्ताव आज पारित किया और हम केंद्र सरकार से आग्रह करते हैं कि वह इस कानून को निरस्त करें क्योंकि यह धार्मिक आधार पर लोगों से भेदभाव करता है जो हमारे संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।

गहलोत ने कहा कि हमारा संविधान किसी भी प्रकार के भेदभाव पर रोक लगाता है। देश के इतिहास में पहली बार कोई ऐसा कानून बनाया गया है जो धार्मिक आधार पर लोगों के साथ भेदभाव करता है। यह हमारे संविधान के पंथनिरपेक्ष सिद्धांतों और हमारे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। उन्होंने देशभर में सीएए के विरोध का जिक्र करते हुए कहा कि चूंकि यह संविधान की मूल भावना के खिलाफ है इसलिए इसे निरस्त किया जाना चाहिए।

राज्य में इस कानून को लागू करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती

संकल्प प्रस्ताव के विरोध में बोलते हुए भाजपा विधायक सतीश पूनिया ने कहा कि संसद ने नागरिकता संशोधन विधेयक बहुमत से पारित कर कानून बना दिया है। राज्य में इस कानून को लागू करने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए, इतने सारे तथ्यों के बावजूद पीड़ितों के आंसू पोंछने के बजाय सीएए का विरोध कर रही है।

प्रस्ताव का विरोध करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि कि सीएए नागरिकता देने का कानून है, ना कि नागरिकता छीनने का। केंद्र ने बहुमत के आधार पर कानून बनाया है, इसे प्रदेश सरकार को चैलेंज करने का कोई अधिकार नहीं है।

Related Post

CM Yogi

GIS से बनेंगे रोजगार के लाखों नये अवसर, युवाओं के लिए अवसर: सीएम योगी

Posted by - January 31, 2023 0
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) ने सरकार की रोजगारोन्मुखी योजनाओं, नीतियों से युवाओं को परिचित कराने के लिए भारतीय…
आनंद महिंद्रा

आनंद महिंद्रा ने VIDEO शेयर कर कहा बीजेपी ने शिवसेना को ऐसे दी पटखनी

Posted by - November 23, 2019 0
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार का दिन बड़ा बदलाव का रहा है। शुक्रवार देर रात तक कांग्रेस -एनसीपी…
Anand Bardhan reached the State Disaster Control Room

मुख्य सचिव ने राज्य आपदा कंट्रोल रूम पहुंच प्रदेश में अतिवृष्टि की जानकारी ली

Posted by - August 29, 2025 0
देहारादून। मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन (Anand Bardhan) ने शुक्रवार को राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से विभिन्न जनपदों में अतिवृष्टि की…