जातीय जनगणना को लेकर भाजपा के कई नेता अपनी ही सरकार पर निशाना साध रहे हैं। एनडीए में शामिल अपना दल की चीफ अनुप्रिया पटेल ने सवाल उठाए हैं। पटेल ने कहा कि पिछड़ी जातियों की संख्या व आर्थिक स्थिति जानकर उनके विकास का काम किया जा सकता है। उन्होंने अलग से एक ओबीसी मंत्रालय की भी मांग की है। अनुप्रिया पटेल ने इकॉनिक टाइम्स से कहा कि एनडीए और संसद में किए गए कई वादों के बाद वह सरकार पर जातीय जनगणना के लिए दबाव बना रही हैं।
उन्होंने राजनाथ सिंह की बात याद दिलाते हुए कहा कि 2018 में उन्होंने वादा किया था कि 2021 की जनगणना में ओबीसी की गिनती की जाएगी। पर सरकार अब अपना संकल्प पूरा नहीं कर रही है। बता दें कि इससे पहले बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी एक प्रतिनिधिमंडल के साथ इसी मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात की थी। उनके साथ आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी थे।
उत्तर प्रदेश में कुर्मी जाति के बीच में बड़ा आधार रखने वाले अपना दल (सोनेलाल) की नेता अनुप्रिया ने कहा कि सितंबर, 2018 में गृह मंत्री रहते हुए राजनाथ सिंह ने 2021 की जनगणना के दौरान ओबीसी की जातियों की ग़िनती कराने का वादा किया था। उन्होंने हैरानी जताई कि अब सरकार अपने वादे को पूरा करने से पीछे क्यों हट रही है।
सरकार अगर राष्ट्र की संपत्ति में इजाफा नहीं कर सकती तो औनेपौने दामों पर क्यों बेच रही?- तेजस्वी यादव
अनुप्रिया पटेल को मोदी कैबिनेट के हालिया विस्तार में मंत्री बनाया गया था। अपना दल (सोनेलाल) उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ता है। पटेल ने कहा कि जातिसे ही पता चलेगा कि पिछड़ी जातियों को कितना आरक्षण मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर हमारी आबादी के अुनपात में आरक्षण देना है तो हमारी संख्या को ग़िनना होगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में ओबीसी जातियों के बारे में जो अनुमान है, वह 1931 की जाति जनगणना के आधार पर है हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में अंतिम फ़ैसला प्रधानमंत्री को ही लेना है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सभी राजनीतिक दल इसकी मांग कर रहे हैं।