निजीकरण के विरोध में उन्नाव में रेल कर्मचारियों का प्रदर्शन

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उन्नाव। उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद में रेल कर्मचारियों ने रेलवे के निजीकरण (Rail Privatization)  के विरोध में आवाज बुलंद की है। महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि हर हाल में रेलवे के निजीकरण (Rail Privatization) को रोकना होगा। इसके लिए जन आंदोलन किया जाएगा। ‘ रेल बचाओ देश बचाओ ‘ संघर्ष समिति के माध्यम से रेल निजीकरण (Rail Privatization) को रोका जाएगा।

जनपद में रेल कर्मचारियों ने रेलवे के निजीकरण (Rail Privatization) के विरोध में आवाज बुलंद की है। ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के बैनर तले स्टेशन परिसर और प्लेटफॉर्म पर कर्मचारियों ने सरकार के फैसले का विरोध किया। संगठन ने निजीकरण के विरोध में ‘ रेल बचाओ देश बचाओ ‘ संघर्ष समितियां बनाने का फैसला लिया है। इन समतियों के माध्यम से रेल कर्मचारियों ने सरकार के फैसले के खिलाफ अब जन आंदोलन का रास्ता चुना है।

ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन ने रोकी ट्रेन

ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन ( AIRF ) के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र सोमवार को सुबह करीब 10 बजे उन्नाव के रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां रेल कर्मचारी और संगठन के पदाधिकारी शोभित शुक्ल, शकील अहमद की अगुवाई में उन्नाव रेलवे स्टेशन पर तैनात रेल कर्मचारियों ने उनका फूल मालाओं से स्वागत किया। महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने बैठक कर रेलवे का निजीकरण (Rail Privatization) होने पर कर्मचारी हितों को होने वाले नुकसान के बारे में बताया। रेल यात्रियों पर पड़ने वाले भार के बारे में भी जानकारी दी।

हर हाल में रोकना है निजीकरण (Rail Privatization)

महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि हर हाल में रेलवे के निजीकरण को रोकना होगा। इसके लिए जन आंदोलन किया जाएगा। ‘ रेल बचाओ देश बचाओ ‘ संघर्ष समिति के माध्यम से रेलवे के निजीकरण को रोका जाएगा।

सरकार हर सेक्टर पर लागू कर रही निजीकरण (Rail Privatization)

मीडिया से बातचीत में ऑल इंडिया रेलवे फेडरेशन के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि देश की सरकार हर सेक्टर में निजीकरण को थोप रही है। हम समझते हैं कि भारतीय रेल देश की सेवा में है। आम आदमी की सेवा में है। यह सेवा केवल सरकार ही कर सकती है। कोई उद्योगपति और कॉर्पोरेट घराना नहीं कर सकता। हर स्टेशन पर ‘ रेल बचाओ-देश बचाओ ‘ समितियां बनाई जा रहीं हैं। समितियों में रेल कर्मचारी ही नहीं बल्कि बुद्धिजीवी वर्ग, पत्रकार, किसान, मजदूर, उपभोक्ता और सामाजिक संगठन के लोग शामिल किए जाएंगे। समितियां रेल के निजीकरण को बचाने के लिए जन आंदोलन करेंगी।

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