पेगासस जैसे खुलासे से पीएम घबराने वाले नहीं, ‘क्लीन चिट’ का काफी पुराना अनुभव है!- पत्रकार

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इजराइली स्पाइवेयर पेगासस के जरिए भारत के पत्रकारों, नेताओं और अधिकारियों के फोन टैप करवाए जाने का मामला चर्चा का विषय बना हुआ है।इस पर पत्रकार विष्णु नागर ने मोदी सरकार पर तंज कसा, उन्होंने लिखा-  मजबूर हो कर सरकार को जांच करवाना भी पड़ा तो इतनी ‘शानदार जांच’ करवाएंगे कि उसमें उन्हें ‘क्लीन चिट’ मिलकर रहेगी। उन्होने  लिखा- जांच का एक सीनेरियो यह भी हो सकता है कि मोदी जी जांच करने वाले की नियुक्ति में छह महीने लगा देंगे।

उन्होंने कहा- सरकार को हर बार ‘क्लीन चिट’ किसी आयोग से चाहिए भी नहीं। गोदी मीडिया की क्लीन चिट ही काफी है। भागवत जी दे दें तो वह ‘मोर देन इनफ’ है। पत्रकार ने तंज कसते हुए कहा- पोल खोलने वालों समझ लो, ये पोलप्रूफ मोदी जी हैं। ऐसे-वैसे प्रधानमंत्री नहीं हैं कि आरोप लगे तो भी वे अपने को बचा न पाएं।

और मान लो, उन्हें मजबूर होना पड़ा कि जांच करवाना है तो वह इतनी ‘शानदार जांच’ करवाएंगे कि उसमें उन्हें ‘क्लीन चिट’ मिलकर रहेगी, जिसे लेकर वे 2024 में शहर-शहर घूमेंगे।लो जी हो गई जांच। उन्हें जांच करवाकर ‘क्लीन चिट’ लेने का काफी पुराना अनुभव है। वह जानते हैं कि किन तिलों से तेल किस विधि निकलता है। उन्हें इससे कोई लेनादेना नहीं है कि पेगासस की फ्रांस या इजरायली जांच का नतीजा क्या निकलता है। जो निकलता है, निकलता रहे। वह जानते हैं कि जो भी निकलेगा, वह ‘क्लीन चिट’ के खिलाफ ही होगा। उसकी परवाह क्यों करें? अरे हम स्वदेशी हैं, आत्मनिर्भर हैं। हम जांच के उनके विदेशी चोंचलों से प्रभावित क्यों हों? हम नकलची होते तो क्या कभी जगद्गुरु बन पाते?

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पेगासस जांच का एक सीनेरियो यह भी हो सकता है कि अंततः उन्होंने जांच की मांग मान ली। विपक्ष इससे खुश हो गया। उसने अपनी विजय की दुंदुभि बजा दी। उधर मोदी जी जांच करने वाले की नियुक्ति में छह महीने लगा देंगे। जांच करने वाले को नियुक्त कर दिया तो जांचकर्ता को दफ्तर नहीं मिलेगा। दफ्तर मिल गया तो क्लर्क, कागज, कंप्यूटर, पेंसिल, कंप्यूटर ऑपरेटर नहीं मिलेगा। इसमें एक साल गुजर जाएगा। तब काम शुरू होगा। चूंकि जांच का काम सावधानी का है, बहुस्तरीय है, ‘निष्पक्षता’ की मांग करता है, इसलिए आयोग को विदेश जाना पड़ेगा। इस तरह 2024 आ जाएगा- ‘क्लीन चिट’ मिलने का वर्ष।

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