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मुश्किलों के रास्ते पर दीपाली ने जलाया कामयाबी की दीया, पढ़ें उनकी कहानी

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लखनऊ: अगर जिंदगी में कोई समस्या न हो तो फिर भला वो जिंदगी कैसे रहेगी। पर हम अपनी मुश्किलों को किस तरह से झेलते हैं और अपनी जिंदगी के साथ क्या करते हैं ये हमारे हाथ में है। मुश्किलों के आगे बढ़कर अपना जहां बनाना आसान नहीं होता, लेकिन ये जिंदगी को खुशनुमा जरूर बना देता है। आज हम एक ऐसी ही महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं जो मुश्किलों से आगे बढ़कर अपनी एक पहचान बना रही हैं। दीपाली शिवशंकर (Deepali Shivshankar) जो अपनी शारीरिक कमजोरियों को बड़ी समस्या नहीं मानतीं।

उन्होंने अपनी पहचान बनाने का निश्चय किया और अब दीपाली फैशन डिजाइनिंग की फील्ड में आगे बढ़ रही हैं। कपड़े सिलना सीखने से लेकर खुद के डिजाइन्स बनाकर अपने कपड़े बनाने तक का सफर उन्होंने तय किया। दिव्या का कहना है कि, ‘स्पेशल एबल्ड होने के कारण मुश्किलें जिंदगी का हिस्सा होती हैं और इंसान अपनी जिंदगी नई उपलब्धियों का जश्न मनाते हुए बिता सकता है या फिर मुश्किलों के बारे में रोते हुए बिता सकता है। मैंने ये कोशिश की कि पॉजिटिव चीजों पर ध्यान दिया जाए और जीवन ज्योति प्रोग्राम ने मेरे लिए नए रास्ते खोले।’

दीपाली शिवशंकर ने बताया कि मैंने पढ़ाई सिर्फ 10वीं तक ही की है और मैं आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन फिजिकली चैलेंज्ड होने के कारण मैं गांव के बाहर स्कूल या कॉलेज में खुद से नहीं जा सकती थी। इसलिए अपने माता-पिता का हाथ बंटाने के लिए और फाइनेंशियली इंडिपेंडेंट होने के लिए मैंने ब्लाउज सिलना शुरू किया। मेरे माता-पिता ने एक मशीन खरीद कर मुझे दी थी और उसी के जरिए मैंने काम शुरू किया।’

‘कुछ समय बाद जीवन ज्योति वुमेन एम्पावरमेंट वोकेशनल कोर्स के बारे में पता चला और उसमें एडमिशन होना ही मेरी जिंदगी का बड़ा पड़ाव रहा। मैंने सोचा कि ये मौका मेरे लिए बेहतर हो सकता है। इस प्रोग्राम के जरिए मुझे फ्री ट्रांसपोर्टेशन, स्टडी कॉस्ट आदि सब मिला। इससे मैं अपने गांव के बाहर जाकर अपनी जिंदगी को नया मुकाम देना शुरू किया।’

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सफलता का रास्ता कभी आसान नहीं होता है। मेरा गांव प्रोग्राम लोकेशन से लगभग 35-40 किलोमीटर दूर था। सभी स्टूडेंट्स को लेने के लिए एक ही गाड़ी आती थी, लेकिन मेरी समस्या के कारण गाड़ी में चढ़ना और उतरना बहुत मुश्किल होता था। इसी के साथ, रोज़ाना ट्रैवल करना भी मेरे लिए बहुत मुश्किल था। पर एक सशक्त महिला बनने के लिए मुझे ये परेशानियां छोटी लग रही थीं।’

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