नीट परीक्षा में ओबीसी आरक्षण दिए जाने के फैसले के बाद देशभर के ओबीसी नेताओं ने जातीय जनगणना पर एकजुट होने की अपील की है। बिहार में सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव भी इस मामले में एकमत हैं और इस मुद्दे को पीएम नरेंद्र मोदी के सामने उठाने पर सहमत हो गए हैं। केंद्र द्वारा जाति आधारित जनगणना में अभी तक अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति शामिल होते रहे हैं, ऐसे में अब ओबीसी की भी गणना की मांग हो रही है।
तेजस्वी ने कहा- सीएम ने हमें बताया कि वह जाति आधारित जनगणना पर हमारी मांग से सहमत हैं, वह दिल्ली जाएंगे तो पीएम से मिलकर हमारी बात रखेंगेओबीसी वर्ग से ताल्लुक रखने वाले सीएम नीतीश कई बार जातीय जनगणना की वकालत कर चुके हैं, विधानसभा चुनाव के दौरान भी उन्होंने इसकी बात कही थी।
आंध प्रदेश उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश वी. ईश्वरैया, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश वीरेंद्र सिंह यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अवधेश कुमार साह, ‘वोटर एजुकेशन फाउंडेशन’ नामक संगठन के पदाधिकारी अशोक कुमार सिंह, ओबीसी महासभा (मध्य प्रदेश) के अध्यक्ष धर्मेंद्र कुशवाहा तथा कुछ अन्य लोग शामिल थे।उन्होंने कहा, ‘‘हम सरकार के इस फैसले से आहत और हतप्रभ हैं कि 2021 की जनगणना में जाति आधारित जनगणना शामिल नहीं होगी।
मिजोरम पुलिस ने असम सीएम के खिलाफ दर्ज किया केस, जोरमथंगा बोले- भाई जैसे हैं हिमंत
उन्होंने कहा, ‘‘इस बार की जनगणना में जाति आधारित जनगणना को शामिल किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया गया तो पिछड़े वर्गों के लोग आंदोलन करने को विवश होंगे।’’एसआरए की ओर से यह मांग भी गई है कि ‘नीट’ की परीक्षा में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित किया जाए, ओबीसी वर्गों के कल्याण के लिए केंद्र के स्तर पर अलग मंत्रालय बनाया जाए और संघ लोक सेवा आयोग की तर्ज पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग बनाया जाए।