सौरभ सागर

मनुष्य को क्रोध पर काबू और क्षमा, समता का भाव रखना चाहिए : सौरभ सागर

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लखनऊ। संस्कार प्रणेता मुनि श्री सौरभ सागर जी महाराज यहियागंज जैन मन्दिर से सआदतगंज जैन मन्दिर के लिए शनिवार को विहार किया। कटरा चैराहा पहुंचने पर बैण्ड बाजे के साथ 51 महिलाओं ने पीले वस्त्र पहने भाव नृत्य करते हुए मनिश्री को मन्दिर ले गए। रास्ते में जगह जगह गुरुवर का पादप्रक्षालन, आरती भक्तों ने की।

मुनिश्री के सानिध्य में संगीतमय कल्याण मन्दिर विधान शुरु

बाद में मन्दिर में मुनिश्री के सानिध्य में संगीतमय कल्याण मन्दिर विधान शुरु हुआ। इसमें सौधर्म इन्द्र मुकेश जैन, धनकुबेर जागेश जैन, ईशान महेन्द्र कमल जैन, रमेश जैन, ईन्द्र सभा के अध्यक्ष विनय जैन बनकर विधान में भाग लिया। बाद में मुनिश्री सौरभ सागर जी महाराज ने प्रवचन में विधान के महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि एक दुष्ट कमठ नाम का व्यक्ति जो रावण के समान था। उसने भगवान पाश्वर्नाथ की पूजा अर्चना के वक्त कई बार पत्थर और ओले से प्रहार किया। लेकिन भगवान इतने दयालु है उसको दण्ड तक नही दिया। बल्कि शांति मुद्रा, ध्यान मग्न होकर उसको क्षमा किया। मुनिश्री ने कहा कि इसी प्रकार मनुष्य को भी क्रोध, मान, माया पर विजय प्राप्त कर विरोधियों को क्षमा समता का भाव रखना चाहिए। जिससे मनुष्य का कल्याण हो सके।
श्री जैन धर्म प्रवर्द्धनी सभा के अध्यक्ष विनय कुमार जैन ने बताया कि मुनिश्री रविवार को सआदतगंज जैन मन्दिर से प्रातः 7 बजे चारबाग जैन मन्दिर के लिए विहार होगा। कार्यक्रम में गम्भीर जैन, जम्बू जैन, महेश जैन, विमल जैन आदि लोग मौजूद रहे।

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