रंजन गोगोई

रंजन गोगोई – न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में, यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार

950 0

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने ऊपर एक महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों से इनकार किया है।  एक महिला ने कथित तौर पर उत्पीड़न के संबंध में लगाए हैं। इन आरोपों से जुड़ी खबरों के बाद सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष सुनवाई में जस्टिस गोगोई ने तमाम आरोपों को खारिज किया।

न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता, इसको अस्थिर करने की हो रही बड़ी है साजिश 

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शनिवार को दावा किया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है। प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि जब तक मेरा कार्यकाल समाप्त नहीं हो जाता, मैं इस पीठ में बैठूंगा और बिना डरे और निष्पक्षता के साथ अपना कर्तव्य निभाऊंगा। न्यायमूर्ति गोगोई ने कहा कि चीजें बहुत दूर चली गई हैं। न्यायपालिका को बलि का बकरा नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका को अस्थिर करने की एक बड़ी साजिश है।

यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कोई बड़ी ताकत

यौन उत्पीड़न के आरोपों पर प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली महिला के पीछे कोई बड़ी ताकत है, जो सीजेआई के ऑफिस को डिएक्टिवेट करना चाहती है। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई वाली बेंच ने इस पर फिलहाल कोई आदेश पारित नहीं किया है और मीडिया को न्यायपालिक की स्वतंत्रता के लिए संयम दिखाने को कहा है। सीजेआई का कहना है कि यह आरोप बेबुनियाद और अविश्वसनीय है।

हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता से चिंतित हैं, क्योंकि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मुझे कोई पैसे के आधार पर नहीं खरीद सकता, लोगों को कुछ चाहिए था तो उन्होंने इसे आधार बनाया। उन्होंने कहा कि हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता से चिंतित हैं, क्योंकि लोगों का न्यायिक प्रणाली में विश्वास है।

ये भी पढ़ें :-रोहित शेखर की हत्या गला दबाकर हुई, जांच के दायरे में मां, पत्नी और ससुर

बिना किसी डर के न्यायिक कार्यों का करूंगा निर्वहन 

रंजन गोगोई ने अपनी 20 साल की सर्विस का जिक्र करते हुए कहा कि यह 20 साल की सेवा के बाद प्रधान न्यायाधीश को मिलने वाला इनाम है। उन्होंने कहा कि जज के रूप में 20 साल की निस्वार्थ सेवा के बाद, मेरे पास 6.80 लाख रुपये का बैंक बैलेंस है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं इस कुर्सी पर बैठूंगा और बिना किसी डर के अपने न्यायिक कार्यों का निर्वहन करूंगा। वहीं, इस मामले पर जस्टिस अरुण मिश्रा ने कहा कि इस तरह के भद्दे आरोपों से न्यायपालिका पर से लोगों का विश्वास डगमगा जाएगा।

न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ को लेकर स्पेशल बेंच गठित

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अचानक ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता’ को लेकर स्पेशल बेंच गठित कर दी। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई सहित जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल हैं। कोर्ट के एडिशनल रजिस्ट्रार की ओर से इस संबंध में जारी किए गए नोटिस के मुताबिक स्पेशल बेंच का गठन सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के उस उल्लेख के बाद किया गया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के अधिकारी के सामने कहा था कि गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप हैं।

सभी आरोप गलत और इसका कोई आधार नहीं: संजीव सुधाकर

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के महासचिव संजीव सुधाकर कलगांवकर ने कहा कि गोगोई पर महिला द्वारा लगाए गए सभी आरोप गलत हैं और इसका कोई आधार नहीं है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह एक दुर्भावनापूर्ण आरोप है। उन्होंने कहा कि इस पर सुनवाई अभी होने वाली है’।

प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई पर कथित यौन उत्पीड़न का आरोप

मीडिया रिपोर्टेस के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट की पूर्व कर्मचारी का एक हलफनामा सामने आया है। 22 पन्नों के इस हलफनामे में पूर्व कर्मचारी ने चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न और घटना के बाद उसके परिवार को परेशान करने का आरोप लगाया है। इन रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह महिला जूनियर कोर्ट असिस्टेंट के तौर पर काम करती थी। महिला ने आरोप लगाया है कि चीफ जस्टिस ने पिछले साल अक्टूबर 10 और 11 को अपने घर के ऑफिस में ‘फायदा’ उठाने की कोशिश की। हालांकि जस्टिस गोगोई ने महिला द्वारा लगाए गए इन आरोपों से इनकार किया है।

महिला ने अपने हलफनामे में  कहा कि 21 अक्टूबर को महिला को नौकरी से बाहर कर दिया गया

महिला ने अपने हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने जस्टिस गोगोई की मांग की ठुकरा दिया और ऑफिस से बाहर आ गई। इसके बाद 21 अक्टूबर को उसे उसकी नौकरी से बाहर कर दिया गया। महिला ने सीनियर रिटायर्ड जजों की समिति बनाकर उसके आरोपों पर जांच कराने की मांग की है। सॉलिस्टिर जनरल तुषार मेहता द्वारा मामले की तत्काल सुनवाई का जिक्र करने के बाद, प्रधान न्यायाधीश गोगोई, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने पूर्वाह्न् 10.30 बजे मामले की सुनवाई की।

Related Post

Amrit Abhijat

सभी नगरीय निकायों में रैन बसेरों व सेल्टर होम्स को मिशन मोड पर संचालित किए जाने के निर्देश

Posted by - December 20, 2022 0
लखनऊ। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात (Amrit Abhijat) द्वारा प्रदेश में बढ़ती ठंड एवं शीतलहर के दृष्टिगत नगरीय निकायों…
Workshop will be organized for the elected representatives of the state

प्रदेश के निर्वाचित प्रतिनिधियों के लिए एक दिवयीय अभिमुखीकरण कार्यशाला का होगा आयोजन

Posted by - May 30, 2023 0
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री (CM Yogi) की प्रेरणा एव नगर विकास मंत्री (AK Sharma) के प्रयासों से नगर विकास विभाग…
Neha Sharma

डीएम ने ग्राम चौपाल में सुनी समस्याएं, अधिकारियों को दिए ये सख्त निर्देश

Posted by - June 23, 2023 0
गोंडा। शुक्रवार को विकास खंड रुपईडीह की 6 ग्राम पंचायतों में डीएम नेहा शर्मा (Neha Sharma) की अध्यक्षता में ग्राम…
Maha Kumbh 2025

महाकुम्भ में जल निगम, नगरीय के 3 अस्थाई और नैनी, झूंसी के स्थाई एसटीपी करेंगे स्लज ट्रीटमेंट

Posted by - December 6, 2024 0
महाकुम्भनगर। महाकुम्भ 2025 (Maha Kumbh) के लिए निर्माण कार्य भी पूरे जोर शोर से हो रहे हैं। सीएम योगी (CM…