जिरेनियम

किसानों ने सीखा ‘जिरेनियम’ की खेती से आमदनी बढ़ाने का तरीका

1159 0

लखनऊ। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) लखनऊ में ‘आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण औषधीय एवं सगंध फसलों के उत्पादन एवं प्रसंस्करण’ पर तीन दिवसीय कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन मंगलवार को सीमैप के निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने किया।

औषधीय एवं सगंध पौधों की व्यवसायिक एवं जैविक खेती से तीन गुनी की जा सकती है आय 

प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रमुख डॉ. आलोक कालरा ने बताया कि ‘जिरेनियम’ की मांग प्रतिवर्ष 120-130 टन है और भारत में उत्पादन सिर्फ 1-2 टन होता है। अत: मांग को देखते हुये जिरेनियम की खेती उत्तर भारत में की जा सकती है। उन्होंने बताया कि औषधीय एवं सगंध पौधों की व्यवसायिक एवं जैविक खेती से तीन गुनी आय की जा सकती है। उन्होंने कृषि वानिकी तथा वर्मीकोंपोस्टिंग द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया। डॉ. आलोक कालरा ने एरोमा के राष्ट्रीय स्वरूप के बारे में बताया। इस अवसर पर डॉ. सौदान सिंह ने जिरेनियम और मिंट की खेती उत्तर भारत में व्यावसायिक स्तर पर करने की सलाह दी और उनकी प्रौद्योगिकी के बारे में बताया।

संघ के विधान को न बनने दें भारत का संविधान,CAB पर प्रियंका ने कार्यकर्ताओं को लिखा पत्र 

सीमैप में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 13 राज्यों से आए 100 किसान एवं उद्घमियों ने भाग लिया

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की अग्रणी पौध शोध प्रयोगशाला सीमैप में आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम में 13 राज्यों से आए 100 किसान एवं उद्घमियों ने भाग लिया। जिसमें मुख्यत उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, झारखंड, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमांचल प्रदेश, राजस्थान एवं तेलंगाना इत्यादि राज्यो से प्रतिभागियों ने विशेष व्याख्यान माला में भाग लिया और उत्तर प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों के 150 जिरेनियम की खेती कर रहे किसानों ने भी भाग लिया।

जिरेनियम कम पानी में आसानी से हो जाता है और इसे जंगली जानवरों से भी कोई नुकसान नहीं

बता दें कि जिरेनियम कम पानी में आसानी से हो जाता है और इसे जंगली जानवरों से भी कोई नुकसान नहीं है। इसके साथ ही नए तरीके की खेती ‘जिरेनियम’ से उन्हें परंपरागत फसलों की अपेक्षा ज्यादा फायदा भी मिल सकता है। खासकर पहाड़ का मौसम इसकी खेती के लिए बेहद अनुकूल है। यह छोटी जोतों में भी हो जाती है। जिरेनियम पौधे की पत्तियों और तने से सुगंधित तेल निकलता है। इसका प्रयोग साबुन, सौंदर्य प्रसाधन, उच्च स्तरीय इत्र व तंबाकू के साथ ऐरोमाथिरेपी में किया जाता है।

Related Post

CM Dhami

प्रदेश में UCC लागू करने पर धन्यवाद रैली में शामिल हुए सीएम धामी

Posted by - June 8, 2025 0
प्रदेश में समान नागरिकता सहिता कानून लागू करने पर धन्यवाद रैली का आयोजन किया गया जिसका शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह…
Priya Prakash Srivastava

यूपीपीएससी परीक्षा में झांसी की बेटी प्रिया प्रकाश श्रीवास्तव का एपीओ पद पर चयन

Posted by - December 12, 2020 0
झांसी। झांसी की बेटी प्रिया प्रकाश श्रीवास्तव (Priya Prakash Srivastava) उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) की वर्ष 2020 की…