AK Sharma

स्वच्छता परमो धर्म: एके शर्मा

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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री  ए.के. शर्मा (AK Sharma)  ने स्वच्छता परमो धर्म: अर्थात स्वच्छता परम धर्म है के मूल मंत्र को तीर्थ राज प्रयाग के माघ मेले (Magh Mela) में अपनाने की अपील की. माघ मेला हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। हिन्दू पंचांग के अनुसार 14 या 15 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन माघ महीने में इस मेले का आयोजन किया जाता है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। नदी या सागर स्नान इसका मुख्य उद्देश्य होता है। धार्मिक गतिविधियों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा पारंपरिक हस्त शिल्प, भोजन और दैनिक उपयोग की पारंपरिक वस्तुओं की बिक्री भी की जाती है।

धार्मिक महत्त्व के अलावा यह मेला एक विकास मेला भी है तथा इसमें राज्य सरकार विभिन्न विभागों के विकास योजनाओं को प्रदर्शित करती है। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज का माघ मेला बहुत ही प्रसिद्ध है। कहते हैं, माघ के धार्मिक अनुष्ठान के फलस्वरूप प्रतिष्ठानपुरी के नरेश पुरुरवा को अपनी कुरूपता से मुक्ति मिली थी। वहीं भृगु ऋषि के सुझाव पर व्याघ्रमुख वाले विद्याधर और गौतम ऋषि द्वारा अभिशप्त इंद्र को भी माघ स्नान के महाम्त्य से ही श्राप से मुक्ति मिली थी। पद्म पुराण के महात्म्य के अनुसार-माघ स्नान से मनुष्य के शरीर में स्थित उपाताप जलकर भस्म हो जाते हैं।

माघ मेले (Magh Mela) की तैयारियों में स्वछता को महत्त्वपूर्ण अंग बनाने के लिए माननीय मंत्री नगर विकास  एके शर्मा ने प्रमुख सचिव  अमृत अभिजात और निदेशक नगर निकाय  नेहा शर्मा के साथ वर्चुअली उपस्थित सभी अधिकारिणों को स्वच्छता परमो धर्म: का मूल मन्त्र दिया। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले माघ मेले (Magh Mela) की तैयारियां जोरो पर हैं. माननीय मंत्री नगर विकास  एके शर्मा तैयारियों को देखते हुए सभी अधिकारियों को कहा की  स्वच्छता हमारा परम धर्म है. माघ मेले (Magh Mela) में स्वच्छता को परम धर्म मानते हुए सफाई व्यवस्था बनाना और अन्य श्रद्धालुयों को इसके प्रति जागरूक कर स्वच्छ महोत्सव के रूप में संपन्न कारना है। मंत्री  शर्मा (AK Sharma) ने कहा कि हम सभी जानते है कि किसी समूह, जाति, समाज, धर्म और राष्ट्र की उन्नति के लिए स्वच्छता सबसे अहम तत्व है। यह मौलिक कला है।

मंत्री  शर्मा (AK Sharma) ने कहा, वैसे भी मनुष्य में स्वाभाविक सौन्दर्य-वृत्ति होती है, जो सफाई की प्रवृत्ति को जन्म देती है। धीरे-धीरे यह आदत और फिर संस्कार बन जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे धार्मिक स्थलों में प्रार्थना भी तभी स्वीकार होती है, कि जब हम स्वयं स्वच्छ होकर, स्वच्छ वातारवण और स्वच्छ मन से करते हैं। माघ मेला आस्था का बहुत बड़ा केंद्र है। हमें इस मेले में स्वच्छता को मूल मंत्र बनाकर पूजा स्थल के साथ ही वहां रुकने वाले संतों, महात्माओं और श्रद्धालुओं के स्थानों व शौचालयों को नियमित रूप से साफ़-सुथरा रखना है. धर्म स्थलों के बाहर और सार्वजनिक स्थलों पर भी सफाई पर ध्यान रखना है।

मेले में बहुसंख्य ऐसे होते हैं जो सार्वजनिक स्थलों पर कूड़ा फेंकने में कोई संकोच ही नहीं करते। यहां तक कि ऐतिहासिक महत्व की जगहों को भी गंदा करने में हिचकिचाहट नहीं दिखाते। परिवार या दोस्तों में ही ऐसा दृश्य कई बार देखते हैं, जब बच्चे जेब में टॉफी का रैपर भी रख लेते हैं, लेकिन बड़े लोग सड़क पर खुलेआम थूकते हैं, मगर हमें इस मूल मंत्र के माध्यम से उन्हें सफाई  भी जागरूक करना है।

नगर विकास विभाग द्वारा चालाये गए नियमित सफाई, अपशिष्ट की ढेर से मुक्ति और नगर सुशोभन अभियान की तरह ही माघ मेले (Magh Mela) में स्वछता परमो धर्मा का मूल मन्त्र अपनाते हुए एक अभियान के रूप में स्वच्छ मेले का आयोजन करना है. यह कार्य कठिन लगता है, लेकिन है नहीं। बस इसके लिए हमें स्वछता के प्रति प्रतिबद्ध होना पड़ेगा और प्रण लेकर स्वछता परमो धर्मा के मूल मंत्र साकार करना होगा। गांधी  के कथनानुसार हर व्यक्ति को स्वच्छता और सफाई के बारे में सदा जागरूक रहना होगा। यह सोचना होगा कि सफाई की जिम्मेदारी सिर्फ कुछ कर्मचारियों की नहीं है। हम जहां भी रहते हैं, काम कर रहे हैं, वहां सफाई की जिम्मेदारी खुद अपने हाथों में लेनी होगी।

सार्वजनिक स्थलों को स्वच्छ रखना होगा। अब तक जो लोग स्वच्छता के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं, उन्हें यह अहसास हुआ होगा कि गंदगी फैलाना कितना आसान है, लेकिन उसे साफ करना बहुत मुश्किल। धीरे-धीरे ही सही, लेकिन इससे लोगों की आदतें बदल रही हैं। फिर भी अभी हमें बहुत बड़ी राह तय करनी है। माघ मेले (Magh Mela) में हम आपके साथ स्वच्छता में अग्रिम भूमिका निभाएंगे। माघ मेले (Magh Mela) को गंदगी से मुक्त कर 2025 के स्वच्छ महाकुम्भ मेले के आयोजन के लिए संकल्प का शंखनाद करेंगे।

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