गुलशन ने बदला सोच

तमाम बाधाओं को तोड़ गुलशन बनी कन्या गुरुकुल की नई उम्मीद, बचपन का सपना पूरा

1081 0

न्यूज डेस्क। बेटियां किसी भी धर्म की हो, उनके प्रति समाज की धारणा एक सी है। उन्हीं बेटियों में से गुलशन भी एक हैं। जो आज भी कट्टरपंथियों के निशाने पर रहती है। तमाम बाधा आने के बाद भी गुलशन नहीं मुरझाई। गुलशन ने जब अपने चारों ओर देखा तो बेटियों को बंदिशों में ही पाया।

बचपन से उसके अंदर समाज के लिए कुछ करने का जज्बा था। जब रश्मि ने बाहर से आकर गुलशन के गांव में बेटियों की शिक्षा की अलख जगाई तो उसे भी राह मिल गई। गुलशन का मकसद इस संकीर्ण मानसिकता से बहुत ऊपर है। गुलशन का परिवार उसकी ढाल बनकर खड़ा हैं।

मजहब की दीवारों को तोड़कर गुलशन कन्या गुरुकुल की नई उम्मीद बन गई। उसने ममत्व से इस आंगन को सींचा और बच्चियों को शिक्षा दी। गुरुकुल के संचालन में रश्मि का हाथ बंटाया। निःशुल्क सेवा के सफर को 14 साल हो चुके हैं। नारंगपुर का श्रीमद् दयानंद उत्कर्ष आर्ष कन्या गुरुकुल इस नजर से भी बहुत मायने रखता है। वह धर्म, जाति के बंधनों से परे है। वहां आजाद ख्यालों का गुलशन भी खिलता है।

CCA के खिलाफ फरहान अख्तर ने किया ‘क्रांति’ का आह्वान 

2005 में रश्मि आर्य ने गांव के एक छोटे से घर से इसकी शुरुआत की थी। गुरुकुल के प्रचार में रहने के कारण बच्चों को पढ़ाने में परेशानी होती थी। तब गुलशन और उसकी बहन इस मुहिम में रश्मि के साथ आईं। गुलशन उस वक्त दसवीं की छात्रा थी।

उसने खुद को गुरुकुल को समर्पित कर दिया। उसे लगा, उसकी यहां ज्यादा जरूरत है। इसलिए गुरुकुल में पढ़ाते हुए अपनी शिक्षा पूरी की। तब से वह रश्मि आर्य के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बेटियों को सशक्त बनाने का काम कर रही है।

एमबीए, एलएलबी कर चुकी गुलशन कहती है, मुझे बचपन से समाज सेवा में रुचि थी। मैंने सोचा जब दीदी बाहर से आकर हमारे क्षेत्र की बेटियों को शिक्षित कर रही हैं तो मैं क्यों नहीं कर सकती। मेरे पिता ने इस कदम में पूरा साथ दिया। परिवार ने बहुत कुछ झेला। बहनों की शादी में दिक्कत आई।

हिंदू और मुस्लिम दोनों को मुझसे दिक्कत होती है। मैं कहती हूं, मैंने गुरुकुल को अपने 14 साल दिए हैं। मैं यहां आना छोड़ दूंगी लेकिन क्या आप लोग इस सेवा को करेंगे? तब लोग शांत हो जाते हैं। गुरुकुल मेरा दूसरा घर है।

बच्चियां मुझसे बहुत घुली-मिली हैं। लड़कियों को पढ़ाने से लेकर उनके लिए भोजन आदि की व्यवस्था करने में दीदी का हाथ बंटाती हूं। मुझे अच्छा लगता है कि मैं कुछ सार्थक कर रही हूं।

NEFT और RTGS करने पर इस तारीख से नहीं लगेगा कोई शुल्क 

गुरुकुल की संचालक रश्मि आर्य ने बताया, मेरे बाद यहां की सारी जिम्मेदारी गुलशन संभालती है। लोग उसे कहते हैं, तू हिंदू बन गई पर उसे इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे इस सेवा में आनंद आता है। 13-14 साल से वह हमारे साथ जुड़ी है।

बेटियों के प्रति बदला लोगों की सोच

गुलशन ने कहा, पहले गांव की चार-पांच लड़कियां गुरुकुल में शिक्षा लेने आती थीं। समय के साथ लोगों की सोच बदली है। नारंगपुर व आसपास के लोग नवरात्रि में गुरुकुल की लड़कियों को हवन कराने के लिए बुलाते हैं। यहां की बेटियां शांति यज्ञ में भी जाती हैं।

लोग विवाह में मंत्रोच्चारण के लिए भी उन्हें बुलाने लगे हैं। गुरुकुल को लेकर लोगों की धारणा बदली है। पहले एक कटोरा अनाज भी नहीं देते थे। गुरुकुल की लड़कियां खेलों में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं।

Related Post

PM Modi

ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी: पीएम मोदी ने 1406 परियोजनाओं का किया शिलान्यास

Posted by - June 3, 2022 0
लखनऊ: लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान (IGP) में आज ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (Ground breaking ceremony) का आयोजन है। सेरेमनी में…
फैक्ट्री में लगी आग

बिजली के तार से निकली चिंगारी से पटाखा फैक्टरी में लगी आग, झुलसे मजदूर

Posted by - December 1, 2019 0
उत्तरप्रदेश। आज रविवार को सहारनपुर देहात कोतवाली के ग्राम पुंवारका स्थित पटाखे की एक फैक्टरी में बिजली के तार से…