बायोप्सी से मुक्ति

ब्लड टेस्ट से मिलेगी बायोप्सी से मुक्ति, जल्द शुरू हो पाएगा मरीज का इलाज

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नई दिल्ली। कई बार हमारे शरीर में गंभीर बीमारियों के लक्षण दिखने लगते हैं। जैसे सिस्ट या कोई गांठ सीटी स्कैन में सामने आने पर डॉक्टर्स कोशिका (सेल) का नमूना लेकर उसकी जांच करते हैं। इसी को ही हम बायोप्सी कहते हैं। एम्स ने ऐसे दो बायोमार्कर की पहचान की है, जिससे सीलिएक बीमारी से ग्रस्त लोगों की आंत में होने वाले नुकसान का पता लगाना संभव होगा।

जानें सीलिएक बीमारी के बारे में

सीलिएक एक ऐसी बीमारी है जिसमें गेंहू में पाए जाने वाले प्रोटीन ग्लूटेन का सेवन करने से शरीर में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया होने लगता है जिस वजह से छोटी आंत को नुकसान पहुंचता है।

बायोप्सी से होने वाले नुकसान

अभी तक इस बीमारी में आंत के अंदर मौजूद विलस को पहुंचे नुकसान का अनुमान लगाने के लिए बायोप्सी करानी पड़ती है। इससे मरीज को बहुत ज्यादा दर्द होता है और समय भी काफी लगता है। अब सिर्फ दो रक्त परीक्षण से ही आंत को होने वाले नुकसान का पता चल जाएगा। मरीज का इलाज जल्द और आसानी से संभव हो सकेगा।

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विलस हमारा खाना पचाने में करता है मदद

आंत में विलस ऐसी कार्यप्रणाली होती है जो खाने को पचाने में मदद करती है। एम्स के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर गोविंद मखारिया ने कहा कि सीलिएक में ग्लूटेन से छोटी आंत की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया सक्रिय हो जाती है। इस बीमारी की वजह से आंत में विलस को नुकसान पहुंचता है। इस बारे में पता नहीं चल पता, क्योंकि विलस को पहुंचे नुकसान का पता तभी लगता है जब मरीज बायोप्सी कराता है।

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