टेलीकॉम कंपनियों को बड़ी राहत

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लंबी प्रतीक्षा के बाद दूरसंचार विभाग ने टेलीकॉम कंपनियों (telecom companies) को 5जी सेवा की ट्रायल की इजाजत दी है। 4 मई 2021 को कई कंपनियों को मिली इस इजाजत के तहत अगले छह महीने तक ट्रायल चलेगा, जिसका मतलब यह है कि ये कंपनियां (telecom companies) इस साल दिसंबर में या फिर अगले साल जनवरी फरवरी में 5जी सेवाएं हिंदुस्तान में शुरु कर सकती हैं। जिन कंपनियों को अपने साथी या अनुबंधित कंपनियों के साथ ट्रायल की अनुमति मिली है, उनमें- एयरटेल, रिलायंस, जियो, वोडाफोन-आइडिया के अलावा महानगर टेलीफोन लिमिटेड भी शामिल है। गौरतलब है कि इन कंपनियों ने टेलीकॉम उपकरणों के मूल निर्माता के साथ करार किया है, जिन्हें एरिक्शन, नोकिया,सैमसंग और सीडॉट 5जी टेक्नोलॉजी मुहैय्या कराएंगी।

5जी के बारे में हम आगे कुछ और जानें, इसके पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्या 5जी तकनीक का देश और दुनिया में कहर बरपा रही कोरोना जैसी महामारी से भी कोई सीधा या आड़ा-तिरछा किसी किस्म का रिश्ता है? चूंकि इन दिनों सोशल मीडिया में कई ऐसी पोस्ट वायरल हो रही हैं, जिनमें कहा गया है कि भारत में कोरोना की खौफनाक दूसरी लहर कुछ और नहीं बल्कि 5जी तकनीक के हो रहे ट्रायल का नतीजा है। यह महज एक अफवाह और शरारत है।  विज्ञान के हर महत्वपूर्ण आविष्कार के पहले हायतौबा मचाता है। अब जरा इस बात को समझिये कि इस समय 5जी तकनीक महज दुनिया के 5-6 देशों में व्यवहारिक रूप से इस्तेमाल में है। अमरीका, चीन, हांगकांग, दक्षिण कोरिया तथा एक दो यूरोपीय देशों में और जिन भी देशों में यह तकनीक है, वहां भी यह आधी अधूरी ही है।

कहीं कुछ हिस्सों में, कहीं ट्रायल के तौरपर आदि। इसी क्रम में यह भी जान लें कि इस समय करीब 17 देशों में 5जी तकनीक का ट्रायल चल रहा है और आने वाले कुछ दिनों में इनकी संख्या 35 हो जायेगी।  अगर वाकई कोरोना का 5जी तकनीक से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रिश्ता होता तो वह इतने ही देशों में हाहाकार मचा रहा होता। लेकिन हम सब जानते हैं कि कोरोना दुनिया के 197 देशों में फिलहाल फैला हुआ है। यह उन देशों में भी भयानक तबाही मचा रहा है जो 5जी तो छोड़िये अभी 4जी के नजदीक भी नहीं हैं और शायद वहां दसियों साल तक 5जी तकनीकी के दर्शन भी न हों। मसलन- हैती, जांबिया, ग्वाटेमाला, जिबूती, साइप्रस और नामीबिया जैसे देश जहां जमकर कोरोना तांडव मचा रहा है। इससे साफ पता चलता है कि 5जी तकनीक और कोरोना का आपस में कोई रिश्ता नहीं है। एक बात और अगर इसका कोई रिश्ता ट्रायल से होता तो भारत में भी कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही कोरोना होता या उन जगहों पर ज्यादा जहां इन दिनों 5जी ट्रायल हो रहा है, जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है। इससे बिल्कुल साफ है कि कोरोना और 5जी तकनीक के ट्रायल का आपस में रिश्ता जोड़ना या तो जुगुप्सा है या माहौल में पसरी दहशत का नतीजा है। इसलिए दिलोदिमाग से इस बात को पूरी तरह से निकाल दीजिए कि 5जी तकनीक से इंसान मर जाएंगे। यदि आधुनिक विकास तकनीक और साफ व शुद्घ प्रकृति की आपस में तुलना करनी है तो यह कभी संभव नहीं होगी, क्योंकि हर मानवीय विकास किसी न किसी हद तक प्रकृति से छेड़छाड़ ही है।

5जी के बाद एक नई तरह की वायरलेस कनेक्टिविटी का दौर शुरु  होगा। इसके चलते जीबीपीएस की रफ्तार से डेटा ट्रांसफर होगा। इसका मतलब यह है कि इन्फॉर्मेशन को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने में सेंकेंड के हजारवें हिस्से के बराबर समय लगेगा यानी इतना कम कि उसे बताना भी संभव नहीं। बस खट क्लिक किया और फट से हो गया। 5जी मतलब है पांचवीं पीढ़ी की संचार तकनीक। अभी हम जिस संचार तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं, वह कहीं पर 4जी है, कहीं पर 3जी या 2जी। 5जी पांचवीं पीढ़ी की ब्रॉडब्रैड सेल्युलर नेटवर्क तकनीक है। जो मौजूदा 4जी यानी फोर्थ जनरेशन लांग टर्म इवोल्यूशन की जगह लेगी। 1जी में जहां हम टूटी फूटी और खरखराहट भरी आवाज में वायरलेस कनेक्टिविटी के तहत संवाद करने के लायक हुए थे, वहीं 2जी में साफ आवाज से बात करना संभव हुआ था। यही नहीं इस दौर में एसएमएस सरीखी डेटा सर्विस भी शुरु हो गई। मतलब यह कि मोबाइल इंटरनेट की शुरुआत। 3जी तकनीक जिन दिनों आयी, वह बेहद क्रांतिकारी लगती थी। लेकिन आज कितना ही धीमी लगती है। 3जी के जरिये हमने वेबसाइटों को एक्सेस करना शुरु किया, बीच बीच में गोल गोल घूमते गोलों के बीच वीडियो देखना शुरु किया, म्यूजिक सुनना तो आसान ही हुआ और 4जी में कभी कभार बाधित हुए वीडियो देखने लगे। लेकिन 5जी की तो बात ही अलग है। यह तकनीक अब तक के हमारे समूचे अनुभव को बदल देगी और अभी जो बातें हमें कल्पना लग रही हंै, वो तमाम बातें मामूली सच हो जाएंगी।

इस तकनीक के जरिये तमाम डिवाइसेस और मशीनें आपस में कनेक्ट होंगी और ये रियल टाइम डायलॉग करेंगी। मतलब यह कि आप अपनी मशीनों से जो चाहें पूछ सकेंगे और वे पलक झपकते जवाब देंगी। संचार की दुनिया में यह एक काल्पनिक स्मार्ट युग होगा। 1 किलोमीटर के दायरे में 10 लाख तक मशीनें आपस में कनेक्ट होंगी और किसी भी तरह की उनकी गतिविधियां न तो धीमी पड़ेगी और न ही वे रूकेगी। 5जी तकनीक पीक डेटा रेट्स यानी आदर्श परिस्थितियों में एक सेकेंड में 20 गीगा बिट्स डेटा डाउनलोड और 50 गीगा बिट्स डेटा अपलोड कर सकेगी। इससे इंटरनेट उपभोक्ताओं को डाटा की हाई डेंसिटी मिलने लगेगी, जिससे कामकाज की रफ्तार भी काल्पनिक हो जायेगी।

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