नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की समीक्षा बैठक का गुरुवार को एलान हुआ। इसमें रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन RBI ने जीडीपी का अनुमान घटा दिया है। रेपो दर 5.15 फीसदी पर बरकरार रहेगी। तीन दिसंबर को मौद्रिक नीति समिति की बैठक शुरू हुई थी। इसके बाद पांच दिसंबर को रेपो रेट की घोषणा हुई।
Monetary Policy Committee has decreased GDP projection from 6.1% to 5% for 2019-20 https://t.co/vNelqlxYG1
— ANI (@ANI) December 5, 2019
मार्च, 2010 के बाद यह रेपो रेट का सबसे निचला स्तर
बता दें कि RBI खुदरा महंगाई को ध्यान में रखते हुए प्रमुख नीतिगत दरों पर फैसला लेता है। इस साल रेपो दर में कुल 135 आधार अंकों की कटौती हुई है। नौ सालों में पहली बार रेपो रेट इतना कम है। मार्च, 2010 के बाद यह रेपो रेट का सबसे निचला स्तर है। रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी है बैंक रेट 5.40 फीसदी पर है।
GDP का घटाया अनुमान
रेपो रेट के फैसले के अतिरिक्त RBI ने GDP का अनुमान जताया है। RBI के अनुसार, साल 2019-20 के दौरान GDP में और गिरावट आएगी और यह 6.1 फीसदी से गिरकर पांच फीसदी पर आ सकती है। इससे अर्थव्यवस्था को झटका लगा है।
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2019 में रेपो दर में कुल 1.35 फीसदी की कटौती
बता दें कि दिसंबर, 2018 में शक्तिकांत दास के गवर्नर पद संभालने के बाद से RBI ने हर एमपीसी बैठक में रेपो दरें घटाई हैं, लेकिन इस बार इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। 2019 में छह बार की बैठक में कुल 1.35 फीसदी की कटौती की जा चुकी है। बावजूद इसके अर्थव्यवस्था को गति मिलना तो दूर, लगातार गिरावट दिख रही है।
रेपो रेट कम होने का था अनुमान
पहले ये अनुमान जताया गया था कि RBI द्वारा मौद्रिक नीति समिति (MPC) की समीक्षा बैठक में रेपो दर 25 आधार अंक घटाकर 4.90 फीसदी की जाएगी। अगर ऐसा होता, तो इस साल रेपो दर में कुल 160 आधार अंकों की कटौती होती और रेपो रेट 10 सालों में पहली बार इतना कम होता।
जानें क्या है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। अगर रेपो रेट में कटौती का फायदा बैंक आप तक पहुंचाते हैं, तो आम लोगों को इससे फायदा होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि RBI द्वारा रेपो रेट घटाने से बैंकों पर ब्याज दरों में कटौती करने का दबाव रहता है। इससे लोगों को लोन सस्ते में मिलता है। हालांकि बैंक इसे कब तक और कितना कम करेंगे ये उन पर निर्भर करता है।