भोपाल।एक तरफ जहाँ वंदे मातरम को लेकर सियासी उठापटक जारी है वहीँ मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एलान करते हुए कहा है कि हमारी पार्टी (बीजेपी) के सभी 109 विधायक 7 जनवरी को सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे।बता दें कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा वंदे मातरम की अनिवार्यता पर अस्थायी रोक लगाने के बाद सियासी खींचतान शुरू हो गई थी।जिसके बाद विपक्षी दल बीजेपी, कांग्रेस पर हमलावर हो गई है।
मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद कुछ हेर फेर तो लाज़मी ही था जिसके चलते सचिवालय के एक रिवाज को अचानक से बदल दिया गया। यह परंपरा थी महीने के पहले दिन राष्ट्रगीत गाने की। नया साल शुरू हुआ, पहली तारीख पर जब वंदे मातरम नहीं गूंजा तो सवाल खड़े होने लगे। शिवराज ने कहा, ‘हमारे सभी 109 विधायक 7 जनवरी को भोपाल स्थित सचिवालय में वंदे मातरम गाएंगे।’
इतना ही नहीं इससे पहले भी ट्विटर पर शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस पर जमकर हमला किया। यही नहीं, उन्होंने तंज भरे अंदाज में कहा, ‘अगर कांग्रेस को राष्ट्रगीत के शब्द नहीं आते हैं या राष्ट्रगीत के गायन में शर्म आती है तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदेमातरम मैं गाऊंगा।’
इसका जवाब देते हुए मध्य प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था कि उन्होंने वंदे मातरम पर अस्थायी रूप से रोक लगाई है। उन्होंने कहा, ‘हर महीने की 1 तारीख को मंत्रालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को फिलहाल अभी बंद करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय ना किसी अजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदे मातरम को लेकर कोई विरोध है। वंदे मातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है। हम इसे वापस शुरू करेंगे लेकिन एक अलग रूप में।’ कमलनाथ ने आगे कहा, ‘जो लोग वंदे मातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है? हमारा यह भी मानना है कि राष्ट्रीयता या देशभक्ति का जुड़ाव दिल से होता है। इसे प्रदर्शित करने की आवश्यकता नहीं है। हमारी भी धर्म, राष्ट्रीयता, देशभक्ति में आस्था है। कांग्रेस पार्टी, जिसने देश की आजादी की लड़ाई लड़ी, उसे देशभक्ति, राष्ट्रीयता के लिए किसी से भी प्रमाणपत्र लेने की आवश्यकता नहीं है। हमारा यह भी मानना है कि इस तरह के निर्णय वास्तविक विकास के मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए व जनता को गुमराह, भ्रमित करने के लिए थोपे जाते रहे हैं।’
फिलहाल वंदे मातरम को लेकर ये सियासी खींचतान क्या अलग रूप लेगी ये तो समय तय करेगा।
                        
                
                                
                    
                    
                    
                    
                    
