दिवाली पर इन शुभ मुहूर्त में करें पूजा

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दिवाली (Diwali) का पर्व आज कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन पूरे देश में मनाया जा रहा है। मान्यता है कि आज के दिन भगवान राम चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे।

अपने प्रभु राम, माता सीता और प्रभु लक्ष्मण के अयोध्या वापसी की खुशी में लोगों ने चारों तरफ दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। मान्याताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान कृष्ण ने भी नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस दिन मां लक्ष्मी और गणेश जी का पूजन किया जाता है।

मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं। दिवाली का पूजन करते समय शुभ मुहूर्त का ध्यान रखना चाहिए। यहां देखें दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और पूजा सामग्री-

दिवाली पूजा मुहूर्त

दिवाली के दिन प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी की पूजा होती है। मान्यता है कि इस समय लक्ष्मी जी की पूजा करने से मनुष्य को कभी दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। पंचांग के अनुसार, लक्ष्मी पूजन अमवास्या तिथि को शाम 6 बजकर 9 मिनट से रात 8 बजकर 4 मिनट किया जाएगा। अमावस्या तिथि 4 नवंबर को शाम 6 बजकर 3 मिनट से 5 नवंबर को देर रात 2 बजकर 44 मिनट तक रहेगी।

मुहूर्त व चौघड़िया मुहूर्त

लक्ष्मी पूजा शुभ मुहूर्त: 6 बजकर 29 से 08 बजकर 04 मिनट तक

अवधि: 1 घंटे 55 मिनट

लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त: 11:39 PM से 12:31 AM, 5 नवंबर तक

प्रदोष काल: 5 बजकर 34 से 8 बजकर 10 मिनट

वृषभ काल: 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 6 मिनट

दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त

प्रातः काल मुहूर्त्त (शुभ): 6 बजकर 34 मिनट से 7 बजकर 57 मिनट

सायंकाल मुहूर्त्त (शुभ, अमृत, चल): 4 बजकर 11 मिनट से 8 बजकर 49 मिनट

दिवाली पूजा की आवश्यक साम्रगी

दिवाली पूजा के लिए रोली, चावल, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए।

दिवाली की पूजा इस तरह करें

1) स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक अमावस्या के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर सभी देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए।

2) शाम के समय पूजा घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर स्थापित करना चाहिए।

3) मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़कना चाहिए।

4) अब फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि सामग्रियों का प्रयोग करते हुए पूरे विधि-विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा करनी चाहिए।

5) इनके साथ-साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, मां काली और कुबेर की भी विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप और एक बड़ा दीप जलाना चाहिए।

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